घने जंगल और टेक्नोलॉजी बनी मददगार? 10 दिन से कहां छिपे हैं पहलगाम हमले के आतंकी

खुफिया इनपुट से पता चला है कि आतंकवादी एन्क्रिप्टेड ऐप का उपयोग कर रहे थे, जिससे उनका पता लगाना और भी मुश्किल हो गया है. सुरक्षाबलों को शक है कि इन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भी हेल्प मिल रही है. एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि ये प्रशिक्षित आतंकी हैं और इलाके की भौगोलिक कठिनाइयों का फायदा उठा रहे हैं.

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पहलगाम हमले के दोषियों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है पहलगाम हमले के दोषियों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है

कमलजीत संधू

  • पहलगाम,
  • 02 मई 2025,
  • अपडेटेड 2:14 AM IST

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था. इसमें 26 निर्दोष लोगों की मौत हुई थी. आतंकियों ने लोगों का धर्म पूछकर उन्हें निशाना बनाया था. पीएम मोदी ने इस आतंकी हमले को देश की आत्मा पर हमला बताया था. वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुन-चुनकर बदला लेने की बात कही है, उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. हालांकि इस घटना को 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन आतंकी अभी तक सुरक्षाबलों की पकड़ से बाहर हैं. अब पूरे देश की निगाहें दक्षिण कश्मीर में चल रहे काउंटर-टेरर ऑपरेशनों पर टिकी हैं, पूरा देश प्रतिशोध की प्रतीक्षा कर रहा है. हालांकि आतंकियों की तलाश ‘भूसे के ढेर में सुई ढूंढने’ जितनी मुश्किल साबित हो रही है.

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ऊबड़-खाबड़ जंगल बने आसान ठिकाना

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम और पहलगाम के घने और ऊबड़-खाबड़ जंगल आतंकियों को छिपने के लिए आसान जगह हैं, क्योंकि आतंकियों को यहां नेचुरल शेल्टर मिल जाता है. और सुरक्षाबलों को ऐसी जगहों पर आतंकियों को खोजना आसान नहीं होता है. 

चुनौतीभरा इलाका, भागने के कई रास्ते

15 कॉर्प्स के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजेएस ढिल्लों ने आजतक को बताया कि ये इलाका बेहद चुनौतीपूर्ण है, जहां कई भागने के रास्ते हैं. यहां खुफिया तंत्र भी कमजोर नजर आ रहा है. यह ऐसा इलाका भी है, जहां आतंकवाद विरोधी अभियान नहीं चलाए गए हैं. आतंकी हमले का मास्टरमाइंड माना जा रहा हाशिम मूसा लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ एक पूर्व पाकिस्तानी पैरा-कमांडो है. उसकी सैन्य पृष्ठभूमि उसकी मददगार साबित हो रही है. 

क्या जंगलों में छिपे हैं आतंकी?

खुफिया जानकारी से पता चलता है कि हमले की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई थी, जिसके तहत ये ग्रुप दो महीने पहले सांबा-कठुआ कॉरिडोर के माध्यम से भारत में घुसा. कहा जाता है कि सीमा पार से निर्देश मिलने पर यही मॉड्यूल पीर पंजाल रेंज को पार करके दक्षिण कश्मीर में आया था. वरिष्ठ अधिकारियों का मानना ​​है कि यह ये सिर्फ 4 आतंकवादियों का समूह नहीं है, बल्कि इस ग्रुप में 7-8 आतंकी शामिल हैं, जो जंगलों में बिखरा हुआ हो सकता है. सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी नलिन प्रभात खुद मौके पर डेरा डाले हुए हैं.

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तकनीकी चुनौतियां, ISI के समर्थन की आशंका 

खुफिया इनपुट से पता चला है कि आतंकवादी एन्क्रिप्टेड ऐप का उपयोग कर रहे थे, जिससे उनका पता लगाना और भी मुश्किल हो गया है. सुरक्षाबलों को शक है कि इन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भी हेल्प मिल रही है. एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि ये प्रशिक्षित आतंकी हैं और इलाके की भौगोलिक कठिनाइयों का फायदा उठा रहे हैं. घेराबंदी और तलाशी अभियान कई किलोमीटर तक फैले विशाल क्षेत्रों में चलाया जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि एंटी फिदायीन स्क्वॉड और सुरक्षाबल के जवान जंगलों में सावधानी से सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं, ताकि खुद को नुकसान न पहुंचे. लेकिन सुरक्षाबलों को भरोसा है कि आतंकवादी अभी भी जंगल में छिपे हुए हैं.

खुफिया जानकारी के बावजूद पकड़ से बाहर

भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ऑपरेशन चला रहे हैं, हालांकि बीते दिनों कुलगाम के पास मुठभेड़ में आतंकियों के देखे जाने की पुष्टि हुई, लेकिन वे फिर भी बच निकले. ऐसे में स्थानीय मदद से इनकार नहीं किया जा सकता है. आतंकी हमले को 10 दिन बीत गए हैं लेकिन आतंकियों ने खाद्य आपूर्ति के लिए किसी आम नागरिक की मदद नहीं मांगी है, जिससे सुरक्षाबलों को लगता है कि वे वे पहले से छिपे सुरक्षित ठिकानों में मौजूद हैं.

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सरकार की सख्त चेतावनी और निर्णायक कार्रवाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकियों के खिलाफ कदम उठाने के लिए तीनों सेनाओं को खुली छूट दे दी है. वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करेंगे, किसी को बख्शा नहीं जाएगा. कुल मिलाकर, जम्मू-कश्मीर में इस समय करीब 140 सक्रिय आतंकी हैं, जिनमें 14 स्थानीय आतंकियों की पहचान हो चुकी है. कई के घर भी ध्वस्त किए जा चुके हैं. सुरक्षाबलों का मानना ​​है कि भले ही चुनौती कठिन है, लेकिन वे आतंकी हमले के अपराधियों तक पहुंच जाएंगे. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन आतंकियों की जानकारी देने वालों को 20 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है.

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