लड़की से दोस्ती पर मेजर लीतुल गोगोई का कोर्ट मार्शल, नहीं मिलेगा प्रमोशन

घाटी में ह्यूमन शील्ड बनाने के मामले में चर्चा में आए मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. श्रीनगर की एक स्थानीय महिला से दोस्ती रखने के दोष में उनका अगला प्रमोशन रोक दिया गया है. मेजर गोगोई ने 2017 में पत्थरबाजी करने वाले युवक को जीप के आगे बांधने की वजह से विवादों में आए थे.

Advertisement
मेजर लीतुल गोगोई(file) मेजर लीतुल गोगोई(file)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 5:08 PM IST

घाटी में ह्यूमन शील्ड बनाने के मामले में चर्चा में आए मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. श्रीनगर की एक स्थानीय महिला से दोस्ती रखने के दोष में उनका अगला प्रमोशन रोक दिया गया है. मेजर गोगोई ने 2017 में पत्थरबाजी करने वाले युवक को जीप के आगे बांधने की वजह से विवादों में आए थे. मेजर गोगोई के ड्राइवर समीर मल्ला के खिलाफ भी कश्मीर में कोर्ट मार्शल हुआ है.  मल्ला को ड्यूटी से गायब रहने का दोषी पाया गया है. उन्हें 'कड़ी फटकार' लगाए जाने की संभावना है.

Advertisement

इस मामले पर चल रहा था कोर्ट मार्शल

23 मई 2018 को तब विवाद हुआ जब यह खबर फैली कि सेना के एक अफसर को  18 साल की लड़की के साथ स्थानीय होटल से पुलिस ने गिरफ्तार किया जो यौन शोषण की मंशा से उसे होटल लाया था. मामला तब तूल पकड़ा जब यह पता चला होटल से पकड़ा गया अफसर मेजर लीतुल गोगोई है, जिसने ह्यूमन शील्ड बनाया था. हालांकि लड़की ने कहा था कि वह अपनी मर्जी से मेजर के साथ गई थी. उसकी दोस्ती फेसबुक के जरिए हुई थी. जहां मेजर ने अपना नाम उबैद अरमान लिख रखा था. घटना के ठीक बाद आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा था कि अगर मेजर गोगोई दोषी साबित हुए तो उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी.

ह्यूमन शील्ड बनाकर हुए चर्चित

Advertisement

मेजर 2017 में टेरीटोरियल आर्मी में भर्ती हुए. इसके बाद वे राष्ट्रीय राइफल के 53 सेक्टर में तैनात हुए. 9 अप्रैल 2017 को सेंट्रल कश्मीर के बड़गाम निवासी फारूक अहमद डार उपचुनाव में अपना वोट डालने के बाद पड़ोस के गांव में अपने एक रिश्तेदार के यहां हुई मौत के बाद लौट रहे थे. तभी उसे रोक कर उसकी बाइक से उतरने को कहा गया. उस इलाके में हुई मौत से नाराज लोग पत्थरबाजी कर रहे थे. इससे बचने के लिए फारूक अहमद डार को सेना की जीप के बोनट पर बांधा गया. करीब 6 घंटे तक डार को कई गांवों में घुमाया गया. यह सब मेजर गोगोई के कहने पर हुआ था. लीतुल ने तब कहा था कि पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना का ऐसा करना जरूरी था. इस घटना के बाद मेजर को सम्मानित भी किया गया था.

मेजर को हो गया था अहंकार!

डार ने पिछले साल कहा था कहा कि मैं अल्लाह का शुक्रगुजार हूं. जिस बंदे ने मेरा जीवन तबाह कर दिया, आखिरकार उसे खुदा के कोप का सामना करना पड़ा. खुदा का इंसाफ करने का अपना तरीका होता है. डार ने कहा कि सेना के मेजर को पावर का अहंकार हो गया था और वह अपने को खुदा समझने लगे थे. लेकिन उन्हें शायद पता नहीं था कि उसकी लाठी में आवाज नहीं होती.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement