प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू-कश्मीर के मसले पर बुलाई गई बैठक को लेकर लगातार राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. जम्मू-कश्मीर के गुपकार ग्रुप ने मीटिंग में जाने का फैसला लिया है. हालांकि, शिवसेना गुपकार संगठन को बुलाने के फैसले से खुश नहीं है.
शिवसेना, बाला साहेब ठाकरे जम्मू-कश्मीर इकाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में कश्मीरी नेताओं के शामिल होने का विरोध किया है. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मनीष साहनी के नेतृत्व में एकत्रित शिव सैनिकों ने जम्मू-तवी पुल पर स्थित महाराजा हरि सिंह की प्रतिमा के पास मंगलवार को प्रदर्शन भी किया.
यहां साहनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का भविष्य तय करने को लेकर उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भरोसा है, मगर कश्मीरी नेताओं के साथ विचार-विमर्श कतई मंजूर नहीं है. शिवसेना नेताओं का आरोप है कि जिन्होंने भारतीय संविधान और निशान लागू होने का विरोध किया हो और जो आज भी धारा 370 की बहाली का दावा करते हो, उनके साथ बात नहीं होनी चाहिए.
शिवसेना नेता मनीष साहनी ने कहा कि उन्हें आज केन्द्र सरकार की मंशा पर शक भी होने लगा है, शायद एकबार फिर जम्मू-कश्मीर की सत्ता हथियाने के मकसद से भाजपा कश्मीरी नेताओं के साथ किसी गठजोड़ की तैयारी कर रही है.
मनीष साहनी ने कहा कि जम्मू संभाग की विधानसभा सीटें को बढ़ाने को लेकर भी कुछ साफ नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि जम्मू को अपना भविष्य तय करने के लिए "अलग जम्मू" की आवाज़ बुलंद करनी होगी.
बीजेपी ने टाल दिया सवाल
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा से दिल्ली में जब कश्मीरी नेताओं को लेकर सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि ये पार्टी नहीं सरकार का मसला है, ऐसे में वो कुछ नहीं कहना चाहेंगे. हालांकि, जम्मू-कश्मीर बीजेपी के नेता रविंद्र रैना का कहना है कि पीएम मोदी की अगुवाई में होने वाली मीटिंग में हर कोई शामिल होगा. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होने के प्रस्ताव को गुपकार ग्रुप ने स्वीकार कर लिया है.
सुनील जी भट्ट / aajtak.in