परिसीमन आयोग की पहली बैठक में नहीं पहुंचे फारुख अब्दुला के सांसद, केंद्रीय मंत्री ने किया तंज 

जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों का खाका तैयार करने के लिए परिसीमन आयोग की आज नई दिल्ली में बैठक हुई. इस मीटिंग में फारुख अब्दुला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपना सांसद नहीं भेजा. इसे लेकर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इनकी कथनी और करनी में साफ अंतर दिखाई देता है. 

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह. (Photo- ANI) केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह. (Photo- ANI)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 6:19 PM IST
  • परिसीमन प्रक्रिया की हुई औपचारिक शुरुआत 
  • विधान सभा सीटों का तैयार होगा खाका 

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव क्षेत्रों के नए सिरे से परिसीमन के लिए पहली मीटिंग नई दिल्ली में हुई. आयोग की पहली बैठक के साथ ही राज्य में परिसीमन प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत हो गई है. परिसीमन आयोग की अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा बीजेपी के दो सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर शर्मा भी शामिल हुए.

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दिल्ली के अशोक होटल में हुई बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी सहित विपक्षी दलों के अड़ियल रवैये पर तंज करते हुए कहा कि इनकी कथनी और करनी में अंतर साफ दिखता है. संसद के सदन में ये लोग चीख चीख कर जम्मू कश्मीर में विधानसभा बहाल कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया फिर से शुरू करने की बात कहते हैं, लेकिन जब लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू हो रही है तो राजनीति करते हैं. वो संसदीय लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से अपनाई गई प्रक्रिया को ही असंवैधानिक बताते हुए बहिष्कार का नाटक कर रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आयोग की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को चिट्ठी लिख कर इस बैठक में शामिल होने से असमर्थता जताई है, यानी उनकी चिट्ठी से साफ है कि वो आयोग की बैठक में शामिल होकर अपनी राजनीतिक लाइन और एजेंडे से अलग नहीं होना चाहते हैं.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये ताज्जुब है कि इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया का इस्तेमाल वही लोग राजनीतिक स्वार्थों के लिए कर रहे हैं, जबकि राज्य की जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी है, जिसे वो भूल गए हैं. जिस जनता ने अपने हित की बात के लिए उनको वोट दिया है उसे ही ये नजरअंदाज कर रहे हैं. करीब दो घंटे चली बैठक में परिसीमन के लिए बुनियादी बातों पर चर्चा हुई.

डॉ. सिंह ने कहा कि हमें उम्मीद है कि राज्य की जनता की नुमाइंदगी के लिए सभी वर्ग, पक्ष और पक्षकार अपने सुझाव और सलाह के साथ आगे आएंगे. उम्मीद की जा रही है कि अगली बैठक की तारीख भी जल्दी ही तय कर ली जाएगी, लेकिन अगले माह मार्च की पांच तारीख को आयोग की अध्यक्ष का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है, जबकि आयोग ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया है.

114 सीटों पर हो रहा परिसीमन  
नया परिसीमन 114 सीटों पर हो रहा है, इसमें से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके की जनता के लिए होंगी. बाकी बची 90 सीटों के परिसीमन पर चर्चा होगी, जिन पर चुनाव होंगे. केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. लद्दाख के अलग क्षेत्र होने के बाद सरकार ने जम्मू कश्मीर विधानसभा में 111 से 114 सीटें कर दी गईं. जम्मू संभाग को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए सात सीटें और दी गईं. इसके अलावा अब विधानसभा के लिए कश्मीर संभाग में भी अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटें भी होंगी. अब तक सभी सात आरक्षित सीटें जम्मू संभाग में ही थीं. ये सीटें थीं छंब, दोमाना, आरएस पुरा, हीरानगर, चिनैनी और रामबन विधान सभा क्षेत्र. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि किस संभाग में कितनी सीटें बढ़ती हैं. चुनाव में कश्मीर घाटी के पंडितों ने पांच सीटें आरक्षित करने की मांग भी की है.

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पिछले साल हुआ परिसीमन आयोग का गठन  
सरकार ने पिछले साल 6 मार्च 2020 को परिसीमन आयोग का गठन किया था. साल भर आयोग का कार्यकाल तय हुआ था. उसके मुताबिक भी 5 मार्च को आयोग और अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. आयोग में पांच एसोसिएट सदस्यों को नामित किया गया है. सभी जम्मू कश्मीर से सांसद हैं. नामित सदस्यों में जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और अकबर लोन भी शामिल हैं. बीजेपी की ओर से डॉ. जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर शर्मा हैं. 

 

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