हरियाणाः रोहतक के प्रोफेसर ने गोबर से बना लिया घर, जानिए ये है खासियत

रोहतक के प्रोफेसर ने एक घर बनाया है. ये आम घर नहीं है. इसमें गोबर का इस्तेमाल किया गया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि घर का तापमान बाहर के तापमान से कम रहता है.

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डॉक्टर शिव दर्शन मलिक ने गोबर से घर बनाया है डॉक्टर शिव दर्शन मलिक ने गोबर से घर बनाया है

मनीष चौरसिया

  • रोहतक ,
  • 05 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 11:45 PM IST
  • मिट्टी, चूना और वनस्पति का इस्तेमाल किया
  • 7 डिग्री तक कम रहता है घर का तामपान

रोहतक के डॉक्टर शिव दर्शन मलिक ने घर बनाया है. ये  घर सामान्य घर नहीं हैं. क्योंकि इमसें न ईंट लगी है न सीमेंट. यहां तक कि मौरंग, बालू और सरिया का भी इस्तेमाल नहीं किया गया. आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसा घर, जिसमें ये सब चीजें न लगी हों. तो हम आपको बता दें डॉक्टर शिव दर्शन मलिक ने गोबर से घर बनाया है. 

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गोबर से बने इस घर की खासियत ये है कि इसका तापमान बाहर के तापमान से 7 डिग्री कम रहता है. शिव दर्शन मलिक ने अपने बैल और बछड़ी के गोबर का इस्तेमाल इस पूरे कमरे को बनाने में किया है. साथ ही मिट्टी, चूना और स्थानीय वनस्पति का इस्तेमाल किया गया है.

डॉक्टर शिव दर्शन मलिक केमिस्ट्री के प्रोफेसर थे, एक रात लाइट चली गई तो वह गर्मी से परेशान हो उठे. बस फिर क्या था, उन्होंने ठान लिया किए इसका समाधान निकाला जाए. इसके बाद शिव दर्शन मलिक ने वैदिक प्लास्टर और गौक्रीट का निर्माण किया. शिव दर्शन ने कहा कि जब लोगों ने ये सुना कि घर बनाने में गोबर का इस्तेमाल हुआ है, तो उनके मन में ये सवाल उठा कि यह आसानी से आग पकड़ लेगा. साथ ही गल भी जाएगा. 

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उन्होंने बताया कि गौक्रीट या वैदिक प्लास्टर का जब आप इस्तेमाल करते हैं, तो गोबर होने के बावजूद यह ना जलता है ना गलता है. डॉक्टर शिव दर्शन मलिक दावा करते हैं कि वैदिक प्लास्टर से रेडिएशन का खतरा भी न के बराबर हो जाता है. साथ ही इससे घर का तापमान भी बाहर के तापमान से 7 डिग्री तक कम रहता है.

सबको सिखाने की चाहत

डॉक्टर शिव दर्शन मलिक बताते हैं कि अगर दिल्ली में बैठा कोई आदमी मुझसे गौक्रीट या वैदिक प्लास्टर लेगा, तो यहां से भेजने में बहुत पैसा लगेगा. ट्रांसपोर्टेशन में डीजल और पेट्रोल भी खर्च होगा. फिर इससे पर्यावरण को क्या फायदा होगा. उन्होंने कहा कि मै लोगों को इसे बनाने की ट्रेनिंग देता हूं. अबतक 150 लोग ट्रेनिंग ले चुके हैं. पंजाब, तमिलनाडु, जयपुर, अजमेर, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में लोगों ने इस तकनीक से घर बनाए हैं.

 

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