हाल ही में आज तक के स्टिंग ऑपरेशन में पता चला कि हरियाणा में अवैध क्लीनिक चलाकर कुछ लोग कन्या भ्रूण हत्या करवा रहे हैं. खुफिया कैमरे पर इस अवैध नेटवर्क को चलाने वाले लोग अपनी ही जुबान से लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या के कारोबार की बात कुबूलते हुए कैद हुए हैं. अब इस पर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है.
टीवी से लेकर सोशल मीडिया पर जिस तेजी से आज तक की ये खबर दौड़ी उतनी ही तेजी से प्रशासन भी हरकत में आया. खबर का ऐसा असर हुआ कि हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दतात्रेय के आदेश से डॉ. प्रभु दयाल, उप सिविल सर्जन-सह नोडल अधिकारी (पीएनडीटी), हिसार की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया. सस्पेंशन के दौरान उनका मुख्यालय सिविल सर्जन, भिवानी में निर्धारित किया गया है. हालांकि, उन्हें हरियाणा सिविल सेवा (सामान्य) नियम, 2016 के नियम 83 के अनुसार निर्वाह भत्ता दिया जाएगा.
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बता दें कि आजतक के खुफिया कैमरे में इस अवैध नेटवर्क के संचालक कोख में ही बेटियों को मारने के लिए पैकेज ऑफर करते दिखे. दो लाख रुपये में हरियाणा में गर्भावस्था में लिंग की जांच से लेकर बेटी होने पर गर्भपात करवाया जा रहा है.
भ्रूण लिंग जांच का बेखौफ नेटवर्क
आज तक की टीम हरियाणा के कम लिंगानुपात वाले जिलों में गई, हमें जो मिला वो परेशान और चौंकाने वाला था. टीम का पहला पड़ाव दिल्ली से लगभग 230 किलोमीटर दूर हिसार था. यहां एक ऐसे नेटवर्क के बारे में बताया गया जो इतना बेशर्म और बेखौफ है कि पुलिस की बार-बार कार्रवाई के बावजूद अपना काम नहीं रोकता. इसकी मिसाल हिसार के अनंतराम बरवाल हैं, जो पांच बार भ्रूण लिंग जांच के आरोप में जेल जा चुका है. फिर भी जननायक जनता पार्टी के टिकट पर हरियाणा चुनाव लड़ने में कामयाब हो जाता है. ये बताता है कि हरियाणा में ये अवैध नेटवर्क कितना मजबूत और गहरा है.
'ऊषा ने समझा दिया धंधे का अर्थशास्त्र'
टीम को हिसार सिविल अस्पताल में ऊषा नाम की एक महिला का पता चला, जो एड्स की रोकथाम में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में काम करती है. लेकिन ये महिला अवैध लिंग परीक्षण के धंधे की एक खिलाड़ी है. इस रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए हमने अपनी पहचान पानीपत के एक परिवार के रूप बताई. हमने ऊषा को मिलने के लिए फोन किया, उसे भरोसा दिलाया कि हम अपने बच्चे का लिंग पता करवाना चाहते हैं. ऊषा ने लिंग परीक्षण करने के गैरकानूनी काम के लिए हामी भर दी और बातों बातों में इस गोरखधंधे का पूरा अर्थशास्त्र भी समझा दिया.
'50,000 से 1 लाख रुपये, हर चीज का रेट तय'
प्रदेश में भ्रूण के भाग्य का फैसला करने की कीमत 50,000 से 1 लाख रुपये के बीच तय है. रंगीन अल्ट्रासाउंड की कीमत दोगुनी है. हमारी पड़ताल में पता चला कि ऊषा तो इस गोरखधंधे की बस छोटी सी कड़ी है. ऊषा से बात करते हुए हमें पता चला कि ये सिर्फ लिंग परीक्षण नहीं था, बल्कि पूरे पैकेज की डील थी जिसमें हर चीज का रेट पहले से तय है. साफ हो गया कि हरियाणा में खुलेआम कन्या भ्रूण को नष्ट करने का अवैध धंधा चल रहा है. बेटी को मारने और बेटे के लिए दवाई तक दी जा रही है. वो भी तब जब हरियाणा समेत पूरे देश में इसे लेकर सख्त कानून हैं.
खबरदार करते राज्य में लिंगानुपात के आंकड़े
सरकार के तमाम अभियानों के बावजूद बेटियों को लेकर मानसिकता बदलने की कोशिश पूरी तरह से कामयाब होती नहीं दिखती. इस हकीकत से आंकड़े भी खबरदार करते हैं. साल 2015 में हरियाणा में 1,000 पुरुषों पर 876 महिलाएं थीं. 2019 में लिंगानुपात 1,000 लड़कों पर 923 लड़कियों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया. लेकिन साल 2025 आते आते ये लिंगानुपात 1,000 लड़कों पर 909 लड़कियों तक जा गिरा पिछले साल अकेले हरियाणा में 5,16,402 बच्चे पैदा हुए जिनमें से केवल 47.64% लड़कियां थीं. यानी कहीं न कहीं हरियाणा वहीं जा रहा है जिसके लिए वो बदनाम रहा है.
बता दें कि आज तक के स्टिंग ऑपरेशन पर प्रतिक्रिया देते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा था कि अगर कोई भी शख्स ऐसे गलत कामों में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है. उन्होंने कहा था कि इसे रोकने के लिए हम समाज, एनजीओ और सरपंचों की मदद ले रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा था कि स्टिंग में दिखाए गए जो भी लोग इन कामों में शामिल हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
कमलजीत संधू