हरियाणा: सीएम नायब सैनी के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिरा, वोटिंग से पहले ही कांग्रेस का वॉकआउट

कांग्रेस ने यह अविश्वास प्रस्ताव सरकार पर 'जनादेश की चोरी' और 'चुनावी प्रक्रिया में धांधली' जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए पेश किया था. 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास अपने सहयोगियों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से स्पष्ट बहुमत है, जबकि कांग्रेस संख्या बल में पीछे है.

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सीएम सैनी के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया (File Photo: ITG) सीएम सैनी के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया (File Photo: ITG)

असीम बस्सी

  • चंडीगढ़,
  • 19 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:31 PM IST

हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव शुक्रवार को गिर गया. प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया, जिसके चलते सरकार को बहुमत साबित करने की नौबत ही नहीं आई.

दरअसल, कांग्रेस ने यह अविश्वास प्रस्ताव सरकार पर 'जनादेश की चोरी' और 'चुनावी प्रक्रिया में धांधली' जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए पेश किया था. नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सदन में कहा कि भाजपा ने अवैध तरीकों, फर्जी वोटरों और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के सहारे सरकार बनाई है. उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुईं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर किया गया.

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मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कांग्रेस पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया. सीएम सैनी ने अपने भाषण में कहा कि हरियाणा की जनता ने भाजपा को तीसरी बार स्पष्ट जनादेश दिया है और विपक्ष इसे पचा नहीं पा रहा. उन्होंने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि पारदर्शिता, विकास और सुशासन ही भाजपा की पहचान है.

वॉकआउट के बाद सदन में सत्ता पक्ष के विधायक मौजूद रहे और अविश्वास प्रस्ताव औपचारिक रूप से गिर गया. 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास अपने सहयोगियों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से स्पष्ट बहुमत है, जबकि कांग्रेस संख्या बल में पीछे है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह अविश्वास प्रस्ताव सरकार गिराने से ज्यादा कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था, जिसके जरिए वह चुनावी मुद्दों, कथित फर्जी वोटरों और प्रशासनिक फैसलों को लेकर सरकार को घेरना चाहती थी. वहीं, भाजपा ने इसे विपक्ष की हताशा करार दिया है.

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