कॉल सेंटर के अंदर बेची जाती थी नकली यौनवर्धक दवाएं, फर्जी महिला डॉक्टर कस्टर को देती थीं सलाह... 11 गिरफ्तार

गुरुग्राम में एक कॉल सेंटर रैकेट का भंडाफोड़ किया गया है. यह कॉल सेंटर लोगों को 50-100 रुपये की नकली यौनवर्धक दवाएं 2000 रुपये में बेचता था. इसके लिए कॉल सेंटर की तरफ से सोशल मीडिया पर विज्ञापन भी दिया जाता था.

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नकली यौन वर्धक दवाएं बेचने वाले गैंग का भंडाफोड़. (Photo: Representational ) नकली यौन वर्धक दवाएं बेचने वाले गैंग का भंडाफोड़. (Photo: Representational )

aajtak.in

  • गुरुग्राम,
  • 28 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:38 AM IST

गुरुग्राम में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देकर नकली यौनवर्धक गोलियां बेचने वाले एक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया गया है. साथ ही कॉल सेंटर के मालिक समेत 11 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. इस बात की जानकारी एक पुलिस अधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी को दी.

गिरफ्तार किए गए लोगों में कुछ महिलाएं भी शामिल हैं, जो डॉक्टर बनकर लोगों को लुभाने व नकली यौनवर्धक दवाएं बेचने का काम करती थीं. पुलिस के अनुसार साइबर पुलिस की टीम ने एक गुप्त सूचना के बाद कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया.

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2 हजार में बेचते थे 100 रुपये की दवाएं

शुक्रवार को उद्योग विहार फेज 5 की एक इमारत के बेसमेंट में चल रहे कॉल सेंटर पर छापा मारा गया और मौके से 7 पुरुषों व 4 महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने उनके पास से 13 मोबाइल फोन, नकली यौनवर्धक दवाओं के 54 कैप्सूल बॉक्स और 35 तेल स्प्रे बरामद किए हैं.

एसीपी साइबर प्रियांशु दीवान ने बताया कि पूछताछ के दौरान गिरफ्तार आरोपियों ने खुलासा किया कि वे दिल्ली में किसी से 50 या 100 रुपये में नकली दवाइयां खरीदते हैं. इसके बाद उन्हें 2000 रुपये से ज़्यादा में बेचते हैं. कॉल सेंटर के कर्मचारियों को 15000 से 20000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है. साथ ही उन्हें धोखाधड़ी के लिए अलग से 3 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है.

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विज्ञापन देखने वालों से सीधे संपर्क करती थी टीम

पुलिस ने बताया कि सभी 7 पुरुष आरोपियों को शहर की एक अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. जबकि चार महिला आरोपियों को जांच में शामिल होने के बाद ज़मानत पर छोड़ दिया गया. पुलिस ने बताया कि कॉल सेंटर का मालिक पीयूष इंस्टाग्राम और फेसबुक पर यौनवर्धक दवाओं का विज्ञापन करता था. 

वहीं, जब कोई विज्ञापन देखता था और एक फॉर्म भरता था तो कॉल सेंटर की टीम नकली डॉक्टर बनकर उनसे संपर्क करती थी. इसके बाद वे ऑनलाइन भुगतान लेते थे. फिर नकली दवा दे देते थे. 

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