मुसलमानों के मन की भ्रांतियां दूर करेगा RSS, वार्षिक बैठक में संगठन से जोड़ने पर होगा मंथन

RSS Meeting: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक आम बैठक हरियाणा के पानीपत जिले में शुरू हो गई है. ये बैठक 14 मार्च तक चलेगी. बैठक की शुरुआत में सबसे पहले पिछले एक साल में दिवंगत हुए राजनीतिक नेताओं और प्रसिद्ध हस्तियों को श्रद्धांजलि दी गई. इस सूची में मुलायम सिंह यादव, शरद यादव और भूषण समेत 100 से ज्यादा नाम शामिल थे.

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हरियाणा: पानीपत जिले के समालखा में RSS की बैठक आयोजित की गई है. हरियाणा: पानीपत जिले के समालखा में RSS की बैठक आयोजित की गई है.

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 3:58 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की वार्षिक आम बैठक हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा में शुरू हो गई है. ये बैठक तीन दिन यानी 14 मार्च तक चलेगी. बैठक में सामाजिक प्रकल्पों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाए जाने पर भी चर्चा होगी. इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय को भी संगठन से जोड़ने पर मंथन किया जाएगा. इसके अलावा, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा अपने शताब्दी वर्ष विस्तार योजना के तहत 2022-23 में कार्यों की समीक्षा करेगा और अगले साल का लक्ष्य निर्धारित करेगा. 

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अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा संघ की सर्वोच्च नीति निर्णायक इकाई है. बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ साल 2025 में अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, पंजाब में पिछले कुछ महीनों में जो हालात बने हैं, खासकर खालिस्तान समर्थकों के बवाल और अस्थिरता पैदा करने की कोशिश किए जाने पर तनाव बढ़ा है. इस संबंध में बैठक में चर्चा होगी.

मुस्लिमों को लेकर भ्रम और भ्रांतियां दूर करेगा RSS

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के सहयोग से समुदाय के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों से संवाद बढ़ाए जाने पर बातचीत होगी. RSS के प्रति जो भ्रम और भ्रांतियां हैं, उनको दूर किया जाएगा और राष्ट्र-समाज के लिए एक साथ आगे आकर काम करने पर समन्वय पर चर्चा होगी. इस बारे में रिपोर्टिंग होगी और फिर चर्चा भी होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैदराबाद और नई दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक स्पष्ट कह चुके हैं कि पसमांदा मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा संपर्क करना चाहिए.

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1400 से ज्यादा पदाधिकारी लेंगे भाग

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत 1400 से अधिक पदाधिकारी भाग ले रहे हैं. तीन दिनों तक विश्व हिंदू परिषद समेत संघ से जुड़े 34 संगठनों के पदाधिकारी भी इसमें भाग लेंगे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बी एल संतोष भी शामिल होने पहुंचे हैं.

सामाजिक सद्भाव पर रहेगा जोर

यह प्रतिनिधि सभा कई सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर भी चर्चा करेगी. खासकर देश में सामाजिक सद्भाव का माहौल कैसे बनाया जाए और नागरिकों को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने जैसे विषय भी इसमें शामिल हैं. 

महिलाओं को 'शाखाओं' से जोड़ने पर चर्चा 

आरएसएस के संयुक्त महासचिव डॉ. मनमोहन वैद्य ने बताया कि महिलाओं को 'शाखाओं' से जोड़ने पर बैठक में चर्चा होगी. इसके अलावा आरएसएस के मीडिया संबंधों के प्रमुख सुनील आंबेकर के मुताबिक, आरएसएस की शाखाएं वास्तव में समाज में बदलाव लाने के केंद्र हैं और वे स्वयंसेवकों द्वारा किए गए समाज के अध्ययन के आधार पर अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में इसके लिए काम करती हैं. इस बैठक में पिछले कुछ वर्षों में स्वयंसेवकों द्वारा किए गए अध्ययनों और उनके आधार पर किए गए कार्यों पर चर्चा होगी.

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42 हजार स्थानों पर लगती हैं शाखाएं

आरएसएस पदाधिकारियों के अनुसार, देश में 42 हजार 613 स्थानों पर संघ की 68 हजार 651 दैनिक शाखाएं चल रही हैं. 26 हजार 877 साप्ताहिक बैठकें होती हैं. 10 हजार 412 संघ मंडली हैं. 2020 की तुलना में 6 हजार 160 शाखाएं बढ़ी हैं. साप्ताहिक बैठकें 32% बढ़कर 6,543 हो गई हैं. संघ मंडली में 20% की वृद्धि हुई. संघ देश भर में 71,355 स्थानों पर मौजूद है.

पसमांदा मुस्लिमों को लेकर क्या है मोदी ने...

इसी साल जनवरी में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी नेताओं को नसीहत दी और कहा- मुस्लिमों को लेकर गलत बयानबाजी ना करें. मोदी ने कार्यकर्ताओं से पसमांदा मुसलमानों, बोहरा मुस्लिमों तक पहुंच बनाने के लिए कहा. पीएम ने कहा कि कोई हमें वोट दे या ना दें, लेकिन सबसे संपर्क बनाएं.

बताते चलें कि पीएम मोदी ने पहली बार पसमांदा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने पर जोर नहीं दिया, बल्कि गुजरात में सीएम पद पर रहते हुए ही उन्होंने मुस्लिम वोटबैंक के बीच अपनी पैठ जमाने की कोशिश शुरू कर दी थी. उन्होंने पूरे मुस्लिम समाज को जोड़ने के बजाय पसमांदा और बोहरा मुस्लिमों पर फोकस किया था. इस रणनीति में बीजेपी को गुजरात में फायदा भी हुआ था और सीएम से पीएम बनकर दिल्ली आए तो भी मोदी ने मुसलमानों को इसी तबके को साथ लेने पर जोर देते रहे.

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