'लालच या डर की वजह से धर्म नहीं बदलना चाहिए', गुजरात में बोले मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि हम एकजुट होना जानते हैं और एकजुट होना चाहते हैं. हम लड़ना नहीं चाहते, लेकिन हमें खुद को बचाना होगा. इसके लिए प्राचीन काल से ही व्यवस्थाएं हैं, क्योंकि आज भी ऐसी ताकतें हैं जो हमें बदलना (धर्मांतरित करना) चाहती हैं.

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RSS प्रमुख मोहन भागवत RSS प्रमुख मोहन भागवत

aajtak.in

  • वलसाड ,
  • 12 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:51 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि रोजमर्रा की जिंदगी में लालच, प्रलोभन और मोह का सामना करना पड़ सकता है, और वे लोगों को उनके धर्म से दूर कर सकते हैं, लेकिन धर्म ही सभी को सुख की ओर ले जा सकता है. मोहन भागवत ने गुजरात के वलसाड के बारुमल में सद्गुरुधाम में कहा कि लोगों को लालच या भय के प्रभाव में धर्म नहीं बदलना चाहिए. आरएसएस प्रमुख यहां श्री भाव भवेश्वर महादेव मंदिर के रजत जयंती समारोह में शामिल हुए.

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इस दौरान मोहन भागवत ने कहा कि हम एकजुट होना जानते हैं और एकजुट होना चाहते हैं. हम लड़ना नहीं चाहते, लेकिन हमें खुद को बचाना होगा. इसके लिए प्राचीन काल से ही व्यवस्थाएं हैं, क्योंकि आज भी ऐसी ताकतें हैं जो हमें बदलना (धर्मांतरित करना) चाहती हैं. उन्होंने कहा कि महाभारत के समय धर्मांतरण करने वाला कोई नहीं था, लेकिन दुर्योधन ने पांडवों का राज्य हड़पने के लालच में जो किया, वह 'अधर्म' था. लिहाजा धार्मिक आचरण का नियमित पालन करना चाहिए. हमें आसक्ति और प्रलोभन के प्रभाव में आकर काम नहीं करना चाहिए, न ही लालच में फंसना चाहिए. 

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब दूरदराज के इलाकों में ऐसे केंद्र संचालित नहीं होते थे, तो तपस्वी गांव-गांव जाकर लोगों को सत्संग सुनाते थे और उन्हें धर्म के मार्ग पर दृढ़ बनाए रखते थे. बाद में जब आबादी बढ़ी, तो इन केंद्रों की स्थापना की व्यवस्था की गई, जहां लोग आते थे और धर्म का लाभ उठाते थे. उन्होंने कहा कि ऐसे केंद्रों को मंदिर कहा जाता था, जहां हमेशा पूरा समाज इकट्ठा होता था, जहां वे पूजा, अध्यात्म का लाभ उठाते थे और कला का अभ्यास करने का अवसर भी प्राप्त करते थे. 

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पीटीआई के मुताबिक मोहन भागवत ने कहा कि ये केंद्र जरूरी हैं और विभिन्न क्षेत्रों के लोग इस प्रयास में योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि संत जंगलों में जाते हैं, लोगों को उपदेश देते हैं और उनके जीवन के लिए जो भी व्यवस्थाएं आवश्यक होती हैं, वे करते हैं. वे लोगों का धर्म परिवर्तन नहीं करते. वे सभी को उनके धर्म में दृढ़ बनाए रखते हैं. 

भागवत ने कहा कि अपने धर्म पर दृढ़ रहने से अन्य परेशानियां नहीं आती हैं. हमारा धर्म, सनातन धर्म, किसी के प्रति दुर्भावना नहीं रखता है. उन्होंने कहा कि धर्म के अभाव में लोग नशे और शराब की ओर आकर्षित हो सकते हैं, जिससे उनका जीवन बर्बाद हो सकता है. उन्होंने कहा, हमारा देश धर्म का देश है. जब समाज में धार्मिक आचरण भर जाता है, तब हमारा देश आगे बढ़ता है. इसके लिए पूरी दुनिया हमारी ओर देखती है. 

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