गुजरात के अहमदाबाद में एक दर्दनाक घटना हुई है. पक्षी बचाने पहुंचे एक शख्स की करंट लगने से मौत हो गई. दरअसल बोपल घुमा रोड स्थित देव रेसीडेंसी के पास एक पक्षी को बचाने के लिए फायर ब्रिगेड के पास कॉल आई थी जिसके बाद फायर ब्रिगेड की टीम के सदस्य अनिल परमार वहां पहुंचे थे. पक्षी को बचाते समय हाई टेंशन तार के संपर्क में आने की वजह से अनिल परमार की घटना स्थल पर ही मौत हो गई.
हाई टेंशन तार में फंसे पक्षी को बचाने से पहले लाइन बंद क्यों नहीं की गई थी फिलहाल इसकी जांच की जा रही है. रेस्क्यू कॉल अटेंड करने गए मृतक अनिल परमार की बात करें तो सानंद में रहने वाले अनिल परमार के परिवार में उनकी पत्नी और एक बच्चा है.
घटना को लेकर बताया जा रहा है कि अनिल परमार पक्षी को उतारने के लिए ऊपर चढ़े और उनका हाथ हाईटेंशन तार से छू जाने से तुरंत उनके शरीर में आग लग गई. वहां मौजूद उनके स्टाफ द्वारा तुरंत बचाने की कोशिश की गई लेकिन प्रयास असफल साबित हुआ.
इस दुर्घटना के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि रेस्क्यू कॉल के दौरान हाई टेंशन लाइन बंद करने के बाद बचाव कार्य शुरू करना होता है तो पहले लाइन बंद क्यों नहीं कराई गई. लाइन बंद करने के आदेश के बगैर रेस्क्यू कैसे शुरू किया गया?
बता दें कि पूरे गुजरात में 14 और 15 जनवरी के दिन लोग अपने छतों पर पतंग उड़ाते है. पतंग की डोरी छत, पेड़, रोड और तारों पर फंसे होने की वजह से बड़ी संख्या में पक्षी इन डोरियों में फंसते हैं. ऐसे में पक्षियों के बचाव के लिए सरकार समेत कई संस्थाएं अभियान भी चलाती हैं.
इस साल पतंग की डोरी की वजह से कबूतर, सारस, हंस, मोर, कौआ समेत 2,773 पक्षी घायल हुए, जिनमें से 2,619 पक्षियों को रेस्क्यू कर बचाया गया जबकि 154 पक्षियों की मौत हुई है.
अतुल तिवारी