दिल्ली के 'खतरनाक' प्रदूषण के बीच इस घर का AQI महज़ 10-15 के बीच, सब्जियां भी ऑर्गेनिक

इस घर के अंदर 15,000 अलग-अलग तरह के पेड़ पौधे हैं, जिनकी ऑक्सीजन से ही अंदर का एयर क्वालिटी इंडेक्स हमेशा 15 से कम रहता है. इस घर में रहने वाले 80 वर्षीय पीटर का परिवार महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति के परिवारों से जुड़ा है. इनके पिता प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ चुके हैं.

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Delhi home maintains AQI of 10 to 15 Delhi home maintains AQI of 10 to 15

मनीष चौरसिया

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST

दक्षिणी दिल्ली के सैनिक फार्म में एक ऐसा घर है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 5-10 के बीच रहता है. जबकि घर के बाहर AQI आज भी 300 के पार है. ये पीटर सिंह और नीनो कौर का बेहद ख़ास घर है. इस घर में पेंट या प्लास्टर का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इस घर में 15 हज़ार से ज़्यादा पेड़-पौधे लगे हुए हैं.

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न प्लास्टर न पेंट छत भी है अनोखी

घर में कहीं भी कंक्रीट और पेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ है, यहां पुराने जमाने की गारी से ईंटें जोड़ी गई हैं. पेंट की जगह चूने का इस्तेमाल किया गया है. छत पर लेंटर नहीं पत्थर की टाइल लगाई गई हैं.

इस घर में रहने वाले 80 वर्षीय पीटर का परिवार महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति के परिवारों से जुड़ा हुआ है. इनके पिता प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ चुके हैं. उनके घर के अंदर आंग्ल-सिख युद्ध के हथियार है, जहां अभी भी 1901 अंग्रेजों के खून के निशान नजर आते हैं. पानीपत की तीसरी जंग में भी इनके पूर्वज लड़ चुके हैं.

‘पुरानी टेक्निक से बदल दिया पूरे घर का तापमान’

इस घर का गेट अंग्रेजों के जमाने से भी पहले का है, जो एक किले से निकलकर पुरानी लकड़ी से बनाया गया है, घर अंदर जाने वाली हवा को सबसे पहले मिट्टी के बुरादे और पानी के जरिए फ़िल्टर किया जाता है. इस हवा से ही घर का तापमान गर्मियों में बाहर की तुलना में काफ़ी कम होता है.

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15 हज़ार पेड़ रखते हैं घर की हवा को साफ़

इस घर के अंदर 15,000 अलग-अलग तरह के पेड़ पौधे हैं, जिनकी ऑक्सीजन से ही अंदर का एयर क्वालिटी इंडेक्स हमेशा 15 से कम रहता है. पीटर और नीनो बताते हैं कि वो किसी भी सीजन में बाहर से एक भी सब्ज़ी नहीं ख़रीदते हैं.

‘बारिश हो या घर का.. एक बूँद पानी भी नहीं होता बर्बाद’

इस घर में जल संचयन के लिए बारिश के पानी को 15,000 लीटर की टंकी में रखा जाता है, उसी से पेड़ पौधों की सिंचाई होती है. यहां पानी को रीयूज करने की ज़बरदस्त टेक्निक का इस्तेमाल किया गया है.

‘परली से पॉल्यूशन नहीं यहाँ उगाई जा रही हैं मशरूम’

राजधानी दिल्ली के वायु प्रदूषण में लगभग 8% हिस्सा पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश की पराली की वजह से बताया जाता है लेकिन यहाँ पर इसी पराली को ऑर्गेनिक कंपोस्ट के साथ मिलकर खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें मशरूम की खेती की जा रही है.

पत्नी को था कैंसर, डॉक्टर ने दी दिल्ली छोड़ने की सलाह

पीटर बताते हैं कि उनकी पत्नी को ब्लड कैंसर हुआ था. कीमोथैरेपी के बाद उनके फेफड़े बहुत कमज़ोर हो गए थे. इस पर एक डॉक्टर ने कहा कि आप लोग दिल्ली NCR छोड़ दें. किसी अच्छी जगह जाकर रहें तो वहीं एक दूसरे आयुर्वेद के डॉक्टर ने उनसे कहा कि आप सिर्फ़ ऑर्गेनिक सब्ज़ियां ही खाएं. बेटे ने गोवा में घर भी ख़रीद दिया. कुछ दिन दोनों वहाँ रहे भी लेकिन फिर अपने घर को ही पूरी तरह बदलने के बारे में सोचा.
 

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