पानी के बढ़े हुए बिल से परेशान दिल्लीवालों को सेटलमेंट स्कीम का लाभ उठाने के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा. केजरीवाल सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली जल बोर्ड के पानी उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए लाई जा रही 'वन टाइम सेटलमेंट स्कीम' को शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव द्वारा रोकने का आरोप लगाया है.
शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि डीजेबी के 10 लाख लोगों को पानी के बिल में राहत देने के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लाई जा रही है. शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव को इसका प्रस्ताव कैबिनेट में रखने का निर्देश दिया गया है, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव रखने से इनकार कर दिया है, उनको यह भी बताया कि वित्त मंत्री के कमेंट्स आ गए हैं, लेकिन उन्होंने वित्त मंत्री के कमेंट्स भी मानने से इनकार कर दिया और कहा कि वित्त मंत्रालय का मतलब वित्त विभाग के प्रमुख सचिव हैं.
वहीं, केजरीवाल सरकार में वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि सभी नियम-कानून में किसी पॉलिसी पर निर्णय लेने का अधिकार कैबिनेट के पास है. अगर कैबिनेट में प्रस्ताव नहीं आएगा, तो पॉलिसी कैसे बनेगी. एलजी को इस संवैधानिक संकट से अवगत कराया गया है, उन्होंने कहा है कि कैबिनेट में प्रस्ताव आना चाहिए. उनके सुझाव पर हमने चीफ सेक्रेटरी को कैबिनेट नोट की फाइल भेज दी है.
पानी का बिल ज्यादा आने की ये है वजह
दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के 27 लाख उपभोक्ताओं में से करीब 10.5 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं का पानी का बिल बकाया है. इसका बड़ा कारण ये है कि ज्यादातर उपभोक्ताओं का मानना है कि उनका बिल पानी की खपत से ज्यादा आया है, जिस रीडिंग के आधार पर उपभोक्ताओं के पानी का बिल आया है, उन रीडिंग्स में गड़बड़ी है. मीटर रीडर ने उन उपभोक्ताओं के मीटर की रीडिंग नहीं ली है. कोरोना काल में यह समस्या बहुत ज्यादा बढ़ी थी, क्योंकि कोरोना के समय में मीटर रीडर्स लोगों के घर नहीं जाते थे और अपने ऑफिस से ही एक औसत दर के हिसाब के लोगों के पानी के बिल बनाकर भेजते थे. इसमें उपभोक्ताओं का एक बड़ा हिस्सा ऐसा भी था, जो कोरोना के समय अपने घरों में रहता भी नहीं था. फिर भी उनके पानी के बिल बनाकर भेजे गए.
DJB की है वन टाइम सेटलमेंट स्कीम
शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उपभोक्ताओं की इस समस्या का हल निकालते हुए दिल्ली जल बो र्ड एक 'वन टाइम सेटलमेंट स्कीम' लेकर आया था. दिल्ली जल बोर्ड की मीटिंग में पॉलिसी को मंजूरी मिल गई थी और इसे कैबिनेट में रखने की तैयारी है. शहरी विकास विभाग के अंतर्गत दिल्ली जल बोर्ड का प्रशासनिक विभाग आता है. उन्होंने कहा कि शहरी विकास मंत्री होने की वजह से मैंने शहरी विकास विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को इस पॉलिसी के प्रस्ताव को कैबिनेट के सामने रखने का लिखित निर्देश दिया, लेकिन हैरानी की बात है कि शहरी विकास विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (ECS) ने यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखने से साफ मना कर दिया है. मंत्री ने कहा कि जब मैंने लिखित आदेश देते हुए कहा कि वित्त मंत्री आतिशी ने इस पॉलिसी के प्रस्ताव पर अपने कमेंट्स दे दिया है, आपके पास वित्त विभाग की मंजूरी भी आ चुकी है, इसलिए इस प्रस्ताव को कैबिनेट के सामने लाएं. इस पर ईसीएस ने कहा कि वो वित्त मंत्री की मंजूरी को वित्त विभाग की मंजूरी नहीं मानते हैं. वित्त मंत्रालय का मतलब वित्त मंत्री नहीं है, बल्कि वित्त विभाग के प्रधान सचिव हैं. यह कहकर उन्होंने यह प्रस्ताव कैबिनेट में लाने से मना कर दिया.
कैबिनेट नोट मुख्य सचिव को भेजने पर सहमति
शहरी विकास मंत्री ने बताया कि विधानसभा में एलजी साहब के अभिभाषण के बाद हमने उनसे इस विषय पर चर्चा की. इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल और वित्त मंत्री आतिशी भी मौजूद रहीं. इस बातचीत में यह तय हुआ कि यह कैबिनेट नोट दिल्ली के मुख्य सचिव को भेज दिया जाए और कहा जाए कि वो जल्द से जल्द इस योजना के प्रस्ताव को कैबिनेट के सामने रखें. अगले हफ्ते की शुरुआत में इसे कैबिनेट के सामने लाया जाए. यह कैबिनेट नोट मुख्य सचिव को भेज दिया गया है.
प्रस्ताव लाने से इनकार करना संवैधानिक संकट
वित्त मंत्री आतिशी ने बताया कि 4 दिन पहले शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने शहरी विकास विभाग को वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के प्रस्ताव को कैबिनेट के सामने रखने के निर्देश दिए थे. किसी भी पॉलिसी पर फैसला लेने का अधिकार सरकार की कैबिनेट के पास है. दिल्ली में वन टाइम सेटलमेंट स्कीम का फैसला भी कैबिनेट को ही लेना है, लेकिन दिल्ली के शहरी विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव इस प्रस्ताव को कैबिनेट के सामने लाने से मना कर रहे हैं. अगर कैबिनेट के सामने प्रस्ताव नहीं आएंगे तो दिल्ली सरकार की पॉलिसी कैसे बनेगी? किसी भी अधिकारी या सचिव का कैबिनेट के सामने प्रस्ताव लाने से मना करना एक संवैधानिक संकट है.
पंकज जैन