दिल्ली की हवा फेफड़ों के साथ-साथ जोड़ों को भी पहुंचा रही नुकसान, प्रदूषण अब गठिया का बन रहा है कारण

दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण जोड़ों के दर्द और गठिया रोग का गंभीर कारण बनता जा रहा है. भारतीय गठिया संघ के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में PM2.5 प्रदूषण स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से कई गुना अधिक है, जो शरीर में सूजन और गठिया जैसे रोगों को बढ़ावा देता है.

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जहरीली हवा अब जोड़ों के दर्द का कारण भी बन रही है (File Photo: PTI) जहरीली हवा अब जोड़ों के दर्द का कारण भी बन रही है (File Photo: PTI)

स्नेहा मोरदानी

  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

दिल्ली में साल के ज्यादातर दिन हवा सांस लेने लायक स्वच्छ नहीं होती है. जहरीली हवा दिल्लीवासियों को अब सिर्फ सांस की तकलीफ नहीं दे रही, बल्कि जोड़ों के दर्द का कारण भी बन रही है. भारतीय गठिया संघ (इंडियन रूमेटोलॉजी एसोसिएशन) के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दिल्ली एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण गठिया रोग के मामलों को तेजी से बढ़ा रहा है. 

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दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है. यहां की हवा में PM2.5 कण की मात्रा WHO के तय लिमिट से कई ज्यादा है. यहां की जहरीली हवा न सिर्फ फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि पूरे शरीर में सूजन पैदा करते हैं.

आजतक से बातचीत करते हुए एम्स दिल्ली की गठिया विभाग की प्रमुख डॉ. उमा कुमार ने बताया, 'हम देख रहे हैं कि प्रदूषित इलाकों में रहने वाले ऐसे लोगों में गठिया हो रहा है जिनके परिवार में पहले कभी यह बीमारी नहीं थी. प्रदूषण से शरीर में सूजन बढ़ती है और जोड़ों को नुकसान होता है.'

कैसे काम करता है प्रदूषण?

जब हम जहरीली हवा में सांस लेते हैं तो शरीर में कई हानिकारक प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं. जैसे - प्रदूषण से पूरे शरीर में सूजन हो जाती है. शरीर का बचाव तंत्र अपने ही अंगों पर हमला करने लगता है. शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है. 

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फोर्टिस अस्पताल के गठिया विशेषज्ञ डॉ. बिमलेश धर पांडे ने स्पष्ट किया, 'व्यस्त सड़कों के पास रहने वाले लोगों में गठिया का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वहां ट्रैफिक से निकलने वाला प्रदूषण लगातार उनके शरीर को नुकसान पहुंचाता है.'

वैज्ञानिक सबूत

2025 में यूरोपीय मेडिकल जर्नल में पब्लिश हुए एक अध्ययन ने साफ तौर पर दिखाया है कि हवा में मौजूद प्रदूषण और गठिया रोग के बीच सीधा संबंध है. चीन में किए गए शोध में पता चला कि PM2.5 के लंबे समय तक संपर्क से गठिया होने का खतरा 12-18 फीसदी तक बढ़ जाता है.

युवाओं में बढ़ता खतरा

सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. नीरज जैन ने चिंता जताई, 'पहले हमें लगता था कि गठिया मुख्यतः जेनेटिक कारणों से होता है, लेकिन प्रदूषण इस सोच को बदल रहा है. अब ऐसे युवा भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं जिनके परिवार में पहले कभी यह समस्या नहीं थी.'

यह भी पढ़ें: दिल्ली का धुआं हमारे जीवन के 8.2 साल छीन ले रहा, मानक से 22 गुना ज्यादा प्रदूषण

बीमारी की गंभीरता

डॉ. पुलिन गुप्ता (डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल) ने बताया कि प्रदूषण के कारण न सिर्फ गठिया के मामले बढ़ रहे हैं, बल्कि बीमारी भी ज्यादा गंभीर हो रही है. जो मरीज ज्यादा प्रदूषण में रहते हैं, उनमें यह बीमारी तेजी से बढ़ती है.

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हरियाली की कमी

शहरी इलाकों में पेड़-पौधों की कमी से समस्या और भी बढ़ रही है. हरियाली प्राकृतिक रूप से हवा को साफ करती है, लेकिन कंक्रीट के जंगल में यह सुरक्षा कवच गायब होता जा रहा है.

गठिया रोग क्या है?

गठिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें हमारा ही शरीर अपने जोड़ों पर हमला करने लगता है. इससे जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न होती है. पहले यह समझा जाता था कि यह बीमारी सिर्फ खानदानी या जेनेटिक कारणों से होती है, लेकिन अब पता चला है कि प्रदूषण भी इसका बड़ा कारण है.

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