दीपक भारद्वाज मर्डर केस: 8 साल बाद फिर खंगाली जा रही है फाइलें

साउथ दिल्ली में आठ साल पहले हुए चर्चित दीपक भारद्वाज मर्डर केस में फिर से फाइलें खंगाली जा रहीं हैं. इस केस में पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले में खिलाफ अब हाई कोर्ट में अपील की गई है. 

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दीपक भारद्वाज (फाइल फोटो-Aajtak) दीपक भारद्वाज (फाइल फोटो-Aajtak)

तनसीम हैदर

  • नई दिल्ली,
  • 20 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST
  • हाईकोर्ट में की गई फिर से अपील
  • 26 मार्च 2013 को हुई थी हत्या 
  • बेटे नितेश को बनाया गया था आरापी 

साउथ दिल्ली के चर्चित दीपक भारद्वाज हत्याकांड में अभी भी कई सवाल बने हुए हैं. जिनका किसी के पास जवाब नहीं है. 26 मार्च 2013 को लाजवंती गार्डन फार्म हाउस का गेट खुलते ही यह पूरा इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था. हमलावरों ने एक बड़े प्रॉपर्टी डीलर और नेता दीपक भारद्वाज की गोली मारकर हत्या कर दी थी. 

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इस घटना के 8 साल बाद अब पूरे मामले की फाइलें फिर से खंगाली जा रहीं हैं. दरअसल कत्ल के इस मामले में दिल्ली पुलिस ने दीपक भारद्वाज के बेटे और उसके साथियों को आरोपी बनाया था, लेकिन सबूतों के अभाव में 2019 में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने इन सभी को आरोपों से बरी कर दिया था. यानी सनसनीखेज कत्ल का ये मामला वहीं का वहीं टिका रह गया और सवाल बना रहा कि दीपक भारद्वाज का हत्यारा कौन है? यही वजह है कि पटियाला हाउस कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने अब दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की है. इस केस से जुड़े वकील धर्मवीर सिंह ने बताया कि हम अपील में गए हैं. पुलिस की तरफ से भी अपील की गई है. कुल तीन अपील इस फैसले के खिलाफ की गई हैं. 

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अदालत ने 2019 में नितेश भारद्वाज और अन्य आरोपियों बलजीत सिंह, राकेश, पुरुषोत्तम राणा, सुनील सिंह उर्फ सुनील मान, अमित मान, मछिंदरनाथ नामदेव उर्फ स्वामी प्रतिभानंद और रमेश कुमारी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. दीपक भारद्वाज के बेटे नितेश भारद्वाज को अप्रैल 2013 में अपने पिता की हत्या के लिए पांच करोड़ रुपये की सुपारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दीपक भारद्वाज को 2013 में दिल्ली स्थित उनके फार्म हाउस में गोलियों से भून दिया गया था. 

दरअसल 8 मार्च 2020 को दीपक भारद्वाज की पत्नी की संदिग्ध परिस्थितियों में पंजाब के बटाला में मौत हो गई थी. हैरानी की बात ये है कि मां के कत्ल का आरोप भी बेटे नितेश भारद्वाज पर लगा है, जिसकी जांच पंजाब पुलिस कर रही है. बटाला में इस एफआईआर के लिए दीपक भारद्वाज के बेटे हितेश भारद्वाज ने कोर्ट में अर्जी दी थी, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर कत्ल का मुकदमा दर्ज किया गया था. हालांकि आनन-फानन में पंजाब पुलिस ने अब इस केस को बंद करने की कोर्ट में अर्जी दी है, जिसकी सुनवाई 30 मार्च को होगी. 

रिश्तों के पेंच में फंसे इस केस में अभी बहुत उतार चढ़ाव आने बाकी हैं. हैरानी की बात यह है कि मृतक दीपक भारद्वाज के बड़े बेटे हितेश भारद्वाज ने कई बार अपने छोटे भाई नितेश भारद्वाज से अपनी जान का खतरा भी बताया है और अदालत से सुरक्षा की गुहार भी लगाई है. हरियाणा के सोनीपत के निवासी दीपक भारद्वाज रियल स्टेट के बड़े कारोबारियों और कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाते थे. वह तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने दिल्ली पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. 

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