दारा शिकोह की कब्र... 350 साल बाद मुगल शहजादे की कब्र की खोज हुई पूरी?

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की हेरिटेज सेल में सहायक अभियंता संजीव कुमार सिंह ने दारा शिकोह की कब्र खोजने का दावा किया है. इसका रास्ता उन्हें साल 1688 में मिर्जा काजिम द्वारा फारसी भाषा में लिखे गए 'आलमगीरनामा' ने दिखाया.

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350 साल बाद मुगल शहजादे की कब्र की खोज हुई पूरी? 350 साल बाद मुगल शहजादे की कब्र की खोज हुई पूरी?

वरुण सिन्हा

  • नई दिल्ली,
  • 06 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 12:23 AM IST
  • सदियों के बाद दारा शिकोह की कब्र को पहचान मिली है
  • संजीव कुमार ने दारा शिकोह की कब्र खोजने का दावा किया

इतिहास कई बार अपनी कहानी खुद कहता है. न जाने कहां से कौन सी कहानी सामने आ जाए, क्या पता. मुगल शहजादा जिसको इतिहास में कहीं गुम कर दिया गया था. 350 साल के बाद उसकी गुमनामी अब खत्म हो सकती है. असल में सदियों के बाद दारा शिकोह की कब्र को पहचान मिली है. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की हेरिटेज सेल में सहायक अभियंता संजीव कुमार सिंह ने दारा शिकोह की कब्र खोजने का दावा किया है. इसका रास्ता उन्हें साल 1688 में मिर्जा काजिम द्वारा फारसी भाषा में लिखे गए 'आलमगीरनामा' ने दिखाया.

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असल में संजीव ने साल 1998 में एमसीडी में नौकरी शुरू की. शुरू से ही इतिहास में रुचि थी, तो निकल गए मुगल शहजादे के नाम को उनकी कब्र को दुनिया के सामने लाने के लिए. मुगल बादशाह शाहजहां के चार पुत्र थे. उनमें औरंगजेब ने दारा शिकोह का कत्ल करा दिया था. उसके बाद से दाराशिकोह की जानकारी इतिहास में कम ही मिलती है. 

आलमगीरनामा में नाबालिग औरंगजेब की जीवनी में यह बताया गया है कि हुमायूं मक़बरा कि पश्चिमी दिशा से आते हुए  जो तीसरा दरवाज़ा है वो दारा शिकोह की क़ब्र की तरफ़ जाता है. यहां 3 आदमियों की कब्र है, जिसमें अक़बर के दो बेटे दानियल और मुराद की कब्र और साथ में दारा शिकोह को दफ़नाया गया है.

असल में हुमायूं के मकबरे में तकरीबन 140 कब्र हैं. मक़बरे के अंदर चुनी हुई ही तीन कब्रे हैं. सिर्फ एक ही गुंबद के नीचे ये तीन कब्रे हैं जिनमें से एक दारा शिकोह की होने का दावा किया जा रहा है.

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संजीव कहते हैं कि हुमायूं के मकबरे के मुख्य गुंबद के नीचे पांच तहखानों में से केवल एक में तीन पुरुष एक साथ दफन हैं. इनमें से दो कब्रों का वास्तु समान है और वह अकबर कालीन है. तीसरी कब्र का वास्तु पहली दो कब्रों से अलग है और वह शाहजहां कालीन है. 

इस पूरे में मामले में संस्कृति मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए 7 लोगों की एक कमेटी बनाई जिसमें कमेटी ने भी माना है कि ये दावा सही है. हालांकि अब संस्कृति मंत्रालय कि तरफ से ये स्पष्ट किया जाएगा कि ये दावा कितना सही है क्योंकि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है. मंत्रालय जल्द ही अब रिपोर्ट पर फैसला लेगा और तय करेगा कि क्या इस शहजादे की यह कब्र सही है या अब भी तलाश जारी रखी जाएगी.

 

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