दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए क्लाउड सीडिंग ट्रायल को मिली मंज़ूरी, IIT कानपुर संभालेगा जिम्मा

इस पूरे प्रोजेक्ट पर कुल ₹3.21 करोड़ खर्च किए जाएंगे. हर एक ट्रायल पर ₹55 लाख खर्च आएगा. पांच ट्रायल का कुल खर्च ₹2.75 करोड़ होगा. इसके अलावा ₹66 लाख की एक बार की लागत तय की गई है, जिसमें हवाई जहाज की तैयारी, रसायनों का भंडारण और दूसरे जरूरी इंतज़ाम शामिल हैं.

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दिल्ली की CM रेखा गुप्ता (फाइल फोटो) दिल्ली की CM रेखा गुप्ता (फाइल फोटो)

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2025,
  • अपडेटेड 8:33 PM IST

दिल्ली सरकार ने राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण और पानी की कमी से निपटने के लिए एक नई पहल की है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में “क्लाउड सीडिंग” यानी कृत्रिम बारिश कराने के पांच ट्रायल की मंज़ूरी दी गई है. इस काम के लिए IIT कानपुर को ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.

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इस पूरे प्रोजेक्ट पर कुल ₹3.21 करोड़ खर्च किए जाएंगे. हर एक ट्रायल पर ₹55 लाख खर्च आएगा. पांच ट्रायल का कुल खर्च ₹2.75 करोड़ होगा. इसके अलावा ₹66 लाख की एक बार की लागत तय की गई है, जिसमें हवाई जहाज की तैयारी, रसायनों का भंडारण और दूसरे जरूरी इंतज़ाम शामिल हैं.

IIT कानपुर करेगा पूरा काम

IIT कानपुर इस प्रोजेक्ट की योजना बनाने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने, रसायनों को बादलों में छोड़ने, और वैज्ञानिक तरीके से नतीजों का मूल्यांकन करने तक की पूरी ज़िम्मेदारी संभालेगा. दिल्ली सरकार प्रोजेक्ट के लिए पैसा सीधे IIT कानपुर को देगी.

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि पहला ट्रायल गर्मियों में, यानी मई-जून 2025 के बीच दिल्ली के बाहरी इलाकों में किया जाएगा. लेकिन उससे पहले 13 सरकारी एजेंसियों से अनुमति लेनी होगी. इनमें रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, नागरिक उड्डयन विभाग, पर्यावरण मंत्रालय और एयरपोर्ट अथॉरिटी जैसे विभाग शामिल हैं.

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क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तरीका है जिसमें खास तरह के रसायनों (जैसे सिल्वर आयोडाइड) को बादलों में छोड़ा जाता है, ताकि बारिश करवाई जा सके. दिल्ली सरकार इस तकनीक को एक प्रयोग के रूप में आज़मा रही है, जिससे बारिश के ज़रिए हवा में मौजूद जहरीले कणों को नीचे गिराया जा सके और प्रदूषण कम हो.

सरकार की कोशिश: साफ हवा देना

मंत्री सिरसा ने कहा, “तकनीक को प्रदूषण के खिलाफ हमारी लड़ाई में सबसे आगे होना चाहिए. हमारी सरकार दिल्ली की जनता को साफ हवा देना चाहती है, और क्लाउड सीडिंग इस दिशा में एक नया और वैज्ञानिक कदम है.” उन्होंने यह भी बताया कि यह प्रयोग सरकार की दूसरी कोशिशों जैसे AI से निगरानी और 24x7 प्रदूषण जांच के साथ चलाया जाएगा.

पांचों ट्रायल पूरे होने के बाद वैज्ञानिक तरीके से यह जांचा जाएगा कि क्लाउड सीडिंग से कितनी बारिश हुई, और उससे प्रदूषण पर क्या असर पड़ा.

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