'सहमति से संबंध बनाने से पहले आधार और पैन चेक नहीं होता', हाईकोर्ट की टिप्पणी

दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को जमानत देते समय सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि सहमति से संबंध बनाते समय किसी को पार्टनर की डेट ऑफ बर्थ चेक करने के लिए आधार और पैन कार्ड देखने की जरूरत नहीं होती.

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हाईकोर्ट के जज ने की सख्त टिप्पणी हाईकोर्ट के जज ने की सख्त टिप्पणी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:32 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि सहमति से संबंध बनाते समय किसी को पार्टनर की डेट ऑफ बर्थ चेक करने के लिए आधार और पैन कार्ड देखने की जरूरत नहीं होती. दरअसल, जिस युवती ने रेप का आऱोप लगाया है, उसकी दस्तावेजों में तीन अलग-अलग जन्मतिथियां हैं. आरोपी की ओर से पेश हुए वकील अमित चड्ढा ने कहा कि युवती के आधार कार्ड के मुताबिक जन्म 1 जनवरी 1998 को हुआ, लेकिन पैन कार्ड में जन्मतिथि 2004 है. वहीं जब पुलिस ने वेरिफाई किया तो पाया कि डेट ऑफ बर्थ जून 2005 है. मामले को संदिग्ध हनीट्रैप की नजर से भी देखते हुए कोर्ट ने पुलिस प्रमुख को इस बात की भी जांच करने को कहा कि क्या पीड़िता आदतन अपराधी तो नहीं है, जिसने रेप का केस दर्ज कराकर पैसों की वसूली की है. 

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युवती ने POCSO एक्ट लगाने की मांग की

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अपनी शिकायत में युवती ने दावा किया था कि जब उसे संबंध बनाने के लिए सहमत किया गया था, तब वह नाबालिग थी. जिसके बाद आरोपी ने धमकी देकर उसका रेप किया. इसलिए आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाए. पिछले सप्ताह इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जज जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा, ''एक व्यक्ति जो किसी के साथ सहमति से शारीरिक संबंध बना रहा है है, उसे डेट ऑफ बर्थ जांच करने की जरूरत नहीं. संबंध बनाने से पहले उसे आधार कार्ड, पैन कार्ड या फिर स्कूल रिकॉर्ड से डेट ऑफ बर्थ जांचने की आवश्यकता नहीं है.'

युवक के खाते से युवती को भेजे गए 50 लाख

मामले की जांच रिपोर्ट में कोर्ट ने पाया है कि युवती बयानों में कई तरह के विरोधाभास हैं. आरोपी के खाते से उसे एक साल के भीतर 50 लाख रुपये भेजे गए हैं. वहीं आखिरी बार एफआईआर से ठीक एक सप्ताह पहले उसे पैसे भेजे गए हैं. इसको ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने पुराने आदेश के हवाले से कहा कि ऐसे केस काफी बढ़ रहे हैं, जहां मासूम लोगों को हनीट्रैप में फंसाया जाता है और उनसे बड़ी रकम वसूली जाती है.  जज ने कहा कि मेरा विचार है कि इस केस में जितना दिख रहा है, मामला उससे कहीं अधिक है. प्रथम दृष्टया मेरा विचार है कि ये भी ऐसी ही घटना (हनीट्रैप) है.'' 

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