NCT बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, अब कानूनी विकल्प की तलाश में AAP

गोपाल राय ने कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संसद में संशोधित बिल लाकर पलटा गया है'. सुप्रीम कोर्ट का ही एक रास्ता बचा हुआ है. अब सरकारी कानूनी सलाह के बाद ही आगे बढ़ेगी.

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केजरीवाल सरकार में मंत्री गोपाल राय. (फाइल फोटो) केजरीवाल सरकार में मंत्री गोपाल राय. (फाइल फोटो)

पंकज जैन

  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST
  • कानूनी सलाह के बाद आगे बढ़ेगी सरकार: गोपाल राय
  • NCT बिल को राष्ट्रपति ने दी है मंजूरी
  • विपक्ष के कई नेताओं ने भी साधा केंद्र पर निशाना

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2021 को मंजूरी दे दी है और अब आम आदमी पार्टी सरकार पूरे मामले में लीगल ऑप्शन तलाश रही है. दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने बताया कि सरकार लीगल ऑप्शन को लेकर बात कर रही है. गोपाल राय ने कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संसद में संशोधित बिल लाकर पलटा गया है'. सुप्रीम कोर्ट का ही एक रास्ता बचा हुआ है. अब सरकारी कानूनी सलाह के बाद ही आगे बढ़ेगी.

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बता दें कि राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 'दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2021' कानून बन गया है. कानून बनने के साथ ही अब दिल्ली में सरकार का मतलब उपराज्यपाल है. हालांकि, दिल्ली सरकार लगातार इस कानून को सरकार की बजाय उपराज्यपाल को ज्यादा ताकत देने वाला बता रही है. ये विधेयक 24 मार्च को राज्यसभा में, उससे पहले 22 मार्च को लोकसभा में पारित हो गया था. 

इसके मुताबिक, दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में 'सरकार' का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के 'उपराज्यपाल' से होगा और शहर की सरकार को किसी भी कार्यकारी कदम से पहले उपराज्यपाल की सलाह लेनी होगी. इस विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के मुताबिक, विधेयक में दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में 'सरकार' का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा. इसमें दिल्ली की स्थिति संघराज्य क्षेत्र की होगी, जिससे विधायी उपबंधों के निर्वाचन में अस्पष्टताओं पर ध्यान दिया जा सके. इस संबंध में धारा 21 में एक उपधारा जोड़ी जाएगी. 

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बिल पर नाराजगी दिखा चुके हैं. उन्होंने इस फैसले को दिल्ली की जनता का अपमान बताया था. बिल के पास होने पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करते हुए कहा था कि “आज लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है. दिल्ली की जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अधिकारों को छीन लिया गया और एलजी को सौंप दिया गया. विडंबना देखिए, संसद का इस्तेमाल लोकतंत्र की हत्या के लिए किया गया, जिसे हमारे लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है. दिल्ली के लोग इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेंगे.

कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने जीएनसीटीडी (संशोधन) विधेयक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि ये "सबसे असंवैधानिक विधेयक" है. उन्होंने कहा कि "दिल्ली भाजपा को भी इसका विरोध करने में शामिल होना चाहिए." कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बार फिर इसे लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि बीजेपी उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली में सरकार चलाना चाहती है. फिर निर्वाचित सरकार की क्या आवश्यकता है.

वहीं, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन का मकसद मूल विधेयक में जो अस्पष्टता है उसे दूर करना है, ताकि इसे लेकर विभिन्न अदालतों में कानून को चुनौती नहीं दी जा सके. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के 2018 के एक आदेश का हवाला भी दिया था, जिसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल को सभी निर्णयों, प्रस्तावों और एजेंडा की जानकारी देनी होगी.  

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यदि उपराज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच किसी मामले पर विचारों में भिन्नता है तो उपराज्यपाल उस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं.  रेड्डी ने कहा था कि इस विधेयक को किसी राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं लाया गया है और इसे पूरी तरह से तकनीकी आधार पर लाया गया है.

 

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