आम आदमी पार्टी (AAP) के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने अपने विधानसभा की सदस्यता रद्द होने के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर दलबदल कानून के तहत 31 जुलाई को अयोग्य ठहरा दिया था. कपिल मिश्रा ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने जा रहे हैं. मिश्रा की याचिका पर हाईकोर्ट में जल्द सुनवाई होने की संभावना है.
अपनी याचिका में कपिल मिश्रा ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया. अध्यक्ष ने उनके गवाहों से जिरह करने का भी अवसर नहीं दिया. उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया है. याचिका में मिश्रा ने कहा कि जिस तरह से उनकी विधानसभा से अयोग्य करार दिया गया है, वो न्याय के खिलाफ है और विधानसभा अध्यक्ष ने गैर संवैधानिक तरीके से उन्हें अयोग्य ठहराया.
मिश्रा ने अपनी दलील दी कि उन्होंने पार्टी के किसी आदेश का उल्लंघन भी नहीं किया और न ही जारी की गई किसी भी व्हिप को तोड़ा. इस तरह से अध्यक्ष का उन्हें सदस्यता से अयोग्य ठहराने का फैसला असंवैधानिक है. मिश्रा ने हाई कोर्ट से फैसला निरस्त करने की मांग उठाई.
बता दें दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान कपिल मिश्रा पर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार करने को आधार बताकर उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि ऐसा लगता है कि कपिल मिश्रा ने अपनी मूल राजनीतिक पार्टी AAP की सदस्यता छोड़ दी है.
कपिल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनोज तिवारी और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री विजय गोयल के साथ भी मंच साझा किया था. आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज की शिकायत के बाद ही विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी. भारद्वाज ने मिश्रा को अयोग्य ठहराने की मांग की थी. कपिल मिश्रा के बाद अब आप के बागी विधायक अनिल वाजपेयी, देवेंद्र सहरावत पर भी सदस्यता रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है.
पूनम शर्मा