छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में शनिवार को 1.18 करोड़ रुपये के इनामी तीन दंपतियों समेत 23 कट्टर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. इस बात की जानकारी एक न्यूज एजेंसी को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दी. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में 11 वरिष्ठ कार्यकर्ता शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन संख्या 1 में सक्रिय थे. इस बटालियन को माओवादियों का सबसे मजबूत सैन्य दस्ता माना जाता है.
सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि नक्सलियों ने वरिष्ठ पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया. आत्मसमर्पण करने के पीछे सभी ने "खोखली" माओवादी विचारधारा, निर्दोष आदिवासियों पर नक्सलियों द्वारा किए गए अत्याचारों और प्रतिबंधित संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेदों से अपनी निराशा का हवाला दिया.
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आत्मसमर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं में नौ महिलाएं भी शामिल हैं. अधिकारी ने बताया कि लोकेश उर्फ पोडियाम भीमा (35), रमेश उर्फ कलमू केसा (23), कवासी मासा (35), मड़कम हुंगा (23), नुप्पो गंगी (28), पुनेम देवे (30), पारस्की पांडे (22), माडवी जोगा (20), नुप्पो लच्छू (25), पोडियाम सुखराम (24) और दुधी भीमा पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था.
चव्हाण ने कहा, "लोकेश एक डिवीजनल कमेटी का सदस्य था और आठ अन्य माओवादियों की पीएलजीए बटालियन नंबर 1 के सदस्य थे. यह घटनाक्रम दर्शाता है कि यह बटालियन कमजोर हो रही है और सुकमा-बीजापुर अंतर-जिला सीमा पर सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी आने के कारण इसके सदस्य लगातार नक्सलवाद छोड़ रहे हैं."
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चार अन्य माओवादियों पर 5-5 लाख रुपये, एक माओवादी पर 3 लाख रुपये और सात माओवादियों पर 1-1 लाख रुपये का इनाम था. अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले कुछ नक्सली आमदई, जगरगुंडा और केरलपाल क्षेत्र की माओवादियों की समितियों में सक्रिय थे. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई है और सरकार की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास किया जाएगा.
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