बिहार में 14 फीसदी यादव, 17 फीसदी मुस्लिम... मुस्लिम सीएम कैंडिडेट की उठने लगी मांग

बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं. राज्य सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 27% अन्य पिछड़ा वर्ग और 36% अत्यंत पिछड़ा वर्ग हैं. यानी, ओबीसी की कुल आबादी 63% है. राज्य में मुस्लिमों की जनसंख्या 17 प्रतिशत से ज्यादा है.

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बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट आई है. (फाइल फोटो) बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट आई है. (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • पटना,
  • 03 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST

बिहार की नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं. इसमें अलग-अलग जातियों और समुदायों की आबादी के बारे में डिटेल्ड जानकारी दी गई है. बिहार में कुल 13 करोड़ से ज्यादा की आबादी है. इसमें से सबसे ज्यादा 63% ओबीसी ( 27% पिछड़ा वर्ग+ 36% अत्यंत पिछड़ा वर्ग) वर्ग की आबादी है. उसके बाद बिहार में SC वर्ग की 19% आबादी है. जबकि बिहार में मुस्लिमों की संख्या 17 प्रतिशत से ज्यादा है. जबकि यादव आबादी 14 प्रतिशत है. अब एक्स (पहले ट्विटर) पर एक नई मांग उठने लगी है. यूजर्स "मुस्लिम मुख्यमंत्री" हैशटैग चला रहे हैं.

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@Brand_Anuj के नाम के यूजर ने लिखा, जिसकी जितनी आबादी, उसको उतना ही हिस्सेदारी की बात तो सही है. बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री कब बना रहे तुम लोग, बताओ.

वहीं पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि जातीय जनगणना के आधार पर बिहार में सर्वाधिक संख्या “दलित” और “मुसलमानों” की हैं, इस लिए अब नीतीश जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी दलित या मुसलमान को सौंप कर “जितनी जिसकी संख्या भारी-उतनी उसकी हिस्सेदारी” के स्लोगन को सार्थक करते हुए बाबा साहब के सपने को “साकार” कर देना चाहिए. क्यूंकि 20% दलित 18% मुस्लिम के होते हुए सिर्फ़ 3% वाली जाति का CM होना तो “बेईमानी” है.

 

@shekharm783 नाम के यूजर ने लिखा, मुसलमान की यादव से ज्यादा जनसंख्या होने के वजह से बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री होना चाहिए.

एक अन्य यूजर @Arjunsi35219409 ने लिखा, बिहार में अब "मुस्लिम" मुख्यमंत्री होना चाहिए. जिसकी जितनी हैसियत, उसके हिसाब से उसका कद होना चाहिए. मैं खुले तौर पर "मुस्लिम" मुख्यमंत्री का समर्थन करता हूं. राज्य में उनकी आबादी सबसे ज्यादा " 17.7% " है.

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बता दें कि बिहार में 81.99 प्रतिशत हिन्दू हैं. जबकि 17.70% मुस्लिम, 0.05% ईसाई, 0.01% सिख और 0.08 बौद्ध समुदाय से जुड़े लोग रहते हैं. जातियों में सबसे ज्यादा यादव 14.26 प्रतिशत लोग हैं. उसके बाद कुशवाहा 4.21%, ब्राह्मण 3.65%, राजपूत 3.45%, मुसहर 3.8%, कुर्मी 2.87%, भूमिहार 2.86%, मल्लाह 2.60%, बनिया 2.31% हैं.

@Shailendra97S नाम के यूजर ने कहा, बिहार में यादव जनसंख्या 14.27% है, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 17.7% है. @RJDforIndia के MY फार्मूले के हिसाब से ये दोनों मिलकर 17.7+14.27= 31.97%...  इस वोटबैंक को देखते हुए सोशल मीडिया पर अब मुस्लिम मुख्यमंत्री की मांग उठने लगी है, क्‍या ऐसा होगा?

@hack_minister नाम के यूजर ने लिखा, बिल्कुल 2.65% की आबादी वाले कुर्मी समाज से मुख्यमंत्री होना 98% वालों के साथ अन्याय है. सबसे बडी आबादी मुस्लिम की है तो मुस्लिम मुख्यमंत्री होना चाहिए.

@cast_general यूजर ने लिखा, 17% मुस्लिम समाज पर 14% आबादी वाले यादव पिछले 20 साल से राज कर रहे हैं. बिहार में सबसे बड़ी आबादी वाली जाति मुस्लिम है, जिसकी जितने भागेदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी हिसाब से बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री होना चाहिए. बिहार मांगे #मुस्लिम_मुख्यमंत्री.

नीतीश ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई

बताते चलें कि जाति आधारित गणना रिपोर्ट जारी होने के बाद आज यानी मंगलवार को नीतीश कुमार कैबिनेट की पहली बैठक होगी. ये बैठक सुबह 11:30 बजे से मुख्य सचिवालय सभागार में होगी. इसके अलावा, नीतीश कुमार ने आज सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है. ये सर्वदलीय बैठक आज दोपहर 3:30 बजे से होगी. सर्वदलीय बैठक में जाति आधारित गणना रिपोर्ट को लेकर चर्चा होगी.

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'सीएम शिंदे सही समय पर उचित निर्णय लेंगे'

महाराष्ट्र में भी जातिगत जनगणना पर निर्णय लिया जा सकता है. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार बिहार सरकार द्वारा किए गए जाति सर्वे का विवरण प्राप्त करेगी और सीएम एकनाथ शिंदे सही समय पर इस पर निर्णय लेंगे. फडनवीस ने कहा, बिहार को छोड़कर, किसी अन्य राज्य ने ऐसी जाति जनगणना नहीं की है, यहां तक ​​कि कांग्रेस शासित राज्यों में भी नहीं, जो इस तरह की मांग कर रही है.

'डेटा का एनालिसिस कर रही है बीजेपी'

बिहार में जाति जनगणना पर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा, 'जब बीजेपी बिहार सरकार का हिस्सा थी, तब उस सरकार ने ही बिहार में जाति आधारित सर्वे कराने का फैसला लिया था. आज बिहार सरकार ने डेटा सार्वजनिक किया है. बीजेपी डेटा का एनालिसिस कर रही है. उसके बाद ही हम इस पर कोई टिप्पणी करेंगे.'

'बीजेपी सरकार में हुआ था सर्वे का निर्णय, लालू श्रेय ना लूटें'

सुशील मोदी का कहना था कि जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी होने पर लालू प्रसाद श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि 15 साल राज करने के दौरान उन्होंने जातीय जनगणना नहीं कराई थी. जातीय, आर्थिक, सामाजिक सहित कुल 27 बिंदुओं पर सर्वे कराया गया था. इन सभी बिंदुओं पर ग्राम स्तर के आंकड़ों के साथ सरकार को विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी चाहिए. उन्होंने कहा, नगर निकायों में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष अतिपिछड़ा वर्ग आयोग बनाया था, उसकी रिपोर्ट अब तक क्यों दबाए रखी गई है?

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