भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF) की खपत खतरनाक गति से बढ़ रही है. लैंसेट की नई रिपोर्ट के मुताबिक, पैकेज्ड स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक्स, रेडीमेड खाने और इंस्टेंट फूड की बिक्री पिछले करीब 15 साल में 40 गुना बढ़ गई है. इसी दौरान देश में मोटापे के मामले भी तेजी से दोगुने हुए हैं.
द लैंसेट की एक नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF) की खपत तेजी से बढ़ रही है और इसका मोटापा व अन्य बीमारियों में बढ़ोतरी से सीधा संबंध है. भारत के नए डाइटरी गाइडलाइन्स के अनुसार, देश में होने वाली 57% बीमारियों का कारण खराब खानपान हो सकता है.
UPF की बिक्री में जबरदस्त उछाल
2006 में UPF की रिटेल बिक्री लगभग 0.9 बिलियन डॉलर थी जो 2019 में बढ़कर 38 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई. इसी दौरान भारत में मोटापे के मामलों में भी दोगुना इजाफा हुआ. लैंसेट की इस तीन-भाग वाली सीरीज में बताया गया है कि कैसे UPF ताजे और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की जगह ले रहे हैं और इससे डायबिटीज, हार्ट रोग और कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं.
UPF क्या होते हैं?
Nova Food Classification System के अनुसार, UPF में बहुत ज्यादा चीनी, नमक और फैट होता है, इनमें ऐडिटिव्स मिलाए जाते हैं और इनमें असली संपूर्ण भोजन (whole food) बहुत कम या लगभग नहीं होता.
आम उदाहरण:
सॉफ्ट ड्रिंक, पैकेज्ड स्नैक्स, फ्लेवर्ड नट्स, प्रोसेस्ड योगर्ट, शराब वाले पेय, इंस्टेंट नूडल्स, फास्ट फूड आदि. ये उत्पाद डायबिटीज, हार्ट डिज़ीज़ और कुछ तरह के कैंसर के बढ़ते मामलों से जुड़े पाए गए हैं.
UPF की बढ़ती खपत और बिगड़ते स्वास्थ्य सूचकांक
भारत में खाने की आदतों में खतरनाक बदलाव दिख रहे हैं. बच्चों और युवाओं को टारगेट कर आक्रामक विज्ञापन, सेलिब्रिटी प्रमोशन और हर जगह आसानी से मिलने वाले पैकेज्ड फूड इन्हें रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना रहे हैं.
2019–2021 के बीच:
हर चार में से एक भारतीय (29%) मोटापे का शिकार
हर दस में एक को डायबिटीज
हर सात में एक को प्री-डायबिटीज
हर पांच में दो को पेट का मोटापा
बच्चों में मोटापा 2.1% से बढ़कर 3.4% पहुंच गया
कड़े नियमों की मांग
डॉ. अरुण गुप्ता (पेडियाट्रिशन और न्यूट्रिशन पॉलिसी विशेषज्ञ) ने कहा कि भारत वही स्थिति झेल रहा है जिसकी Lancet ने चेतावनी दी थी. उनका कहना है कि पारंपरिक भारतीय भोजन को UPF तेजी से रिप्लेस कर रहे हैं और मौजूदा नियम इन्हें रोकने के लिए काफी नहीं हैं.
डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी (PHFI) ने भी कहा कि UPF पर कड़े नियम, उत्पादन और मार्केटिंग पर नियंत्रण और पैक पर साफ-साफ चेतावनी लेबल बहुत जरूरी हैं. उन्होंने UPF को advertised addictions कहा यानी ऐसे फूड जो विज्ञापनों के जरिए लोगों की आदत बन जाते हैं और बीमारी बढ़ाते हैं. उनका सुझाव है कि ऐसे उत्पादों पर विज्ञापन और सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट पर बैन होना चाहिए.
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