Aajtak Health Summit 2025: वैक्सीन मिस हो जाने पर तुरंत मिलेगा अलर्ट, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बताया

Aajtak Health Summit 2025: आजतक हेल्थ समिट 2025 में जेपी नड्डा ने स्वस्थ आदतों, संतुलित जीवनशैली और समय पर स्वास्थ्य सेवा के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और एक मजबूत, स्वस्थ भारत के लिए छोटे-छोटे बदलाव अपनाने के लिए प्रेरित किया.

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आज तक हेल्थ समिट में जेपी नड्डा ने गिनाए हेल्थ सेक्टर में हुए बदलाव. (Photo: Aajtak) आज तक हेल्थ समिट में जेपी नड्डा ने गिनाए हेल्थ सेक्टर में हुए बदलाव. (Photo: Aajtak)

आजतक हेल्थ डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:30 PM IST

Aajtak Health Summit 2025: आजतक हेल्थ समिट 2025 में भारतीयों की सेहत और जीवनशैली पर एक खास चर्चा हुई. इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, रसायन और उर्वरक मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लोगों को संबोधित किया. 'सबका साथ, सबका स्वास्थ्य' कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि स्वस्थ आदतें, सही लाइफस्टाइल और समय पर देखभाल कितनी जरूरी है. उन्होंने समझाया कि छोटे-छोटे बदलाव भी एक स्वस्थ देश बनाने में मदद कर सकते हैं. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे 2017 में आई हेल्थ पॉलीसी ने देश के स्वास्थ्य की तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया. चलिए जानते हैं क्या बोले जेपी नड्डा.

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प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में बदली सेहत की तस्वीर

हेल्थ समिट में पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने बोला कि सबका स्वास्थ्य और सबका साथ बहुत ही अच्छा है. इसको लेकर इस समय बात करना बहुत ही बेहतरीन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान हमने स्वास्थ्य को नए नजरिए से देखना शुरू किया है. 

1998-99 से कितना बदला हेल्थ को देखने का नजरिया?

जेपी नड्डा बोले, '1998-99 में जो हमारी हेल्थ पॉलीसीज थी वो सभी क्यूरेटिव पार्ट (यानी आप बीमार हो तो उसके बाद हम आपका इलाज करेंगे) पर ध्यान केंद्रित करती थीं. दरअसल, पहले डॉक्टर्स से लेकर बड़ों तक सभी कहते थे कि सब कुछ खाओ, लेकिन बस एंटीबायोटिक खा लो सब ठीक हो जाएगा. लेकिन, 2017 में जो हेल्थ पॉलीसी आई उसमें बहुत से हेल्थ एक्सपर्ट्स से बातचीत करने के बाद एक हॉलिस्टिक हेल्थ अप्रोच लाया गया. इस हॉलिस्टिक हेल्थ अप्रोच में प्रिवेंशन, हेल्थ प्रमोशन, डिटेक्शन, क्यूरेशन, पालिएटिव और फिर जियोरेटिक पार्ट पर ध्यान दिया. इन सबको जोड़कर हमने हेल्थ को देखना शुरू किया.'

'सबसे पहले हमें प्रिवेंशन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, फिर प्रमोटिव हेल्थ, फिर डिटेक्ट करना है और इसके बाद अगर जरूरत पड़ती है तो हमें बीमारी को दवा देकर उसका इलाज करना है. इस तरह का हॉलिस्टिक अप्रोच लेकर हम चले और हमने 2017 में इसे इंप्लिमेंट किया.'

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वैक्सीनेशन की होगी ट्रैकिंग

'जिस समय बच्चा पैदा होता है उस समय से लेकर 16 साल की उम्र तक उसे 12 तरह की डिजीज से बचाने के लिए उसे 11 वैक्सीन के 27 डोज दी जाती हैं. हमारे पास मदर एंड चाइल्ट ट्रैकिंग सिस्टम (MCTC) है जो अलग-अलग लैग्वेज में कम्यूनिकेट करता है. और कहीं भी कोई वैक्सीन मिस हो रही हो तो अलर्ट सिस्टम वहां के पीएचसी और सीएचसी को कि इस महिला का और बच्चे का वैक्सीनेशन रह गया है.'

'इस सिस्टम में 5 करोड़ का कोहोर्ट (ग्रुप) होता है, जिसमें 2 करोड़ बच्चे, 2-2.5 करोड़ माताएं, वो बच्चे जिन्हें उनके माता-पिता छोड़ देते हैं और घुमंतू (नोमैड्स) को भी शामिल किया जाता है. जच्चा-बच्चा की देखभाल के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ मिलकर पूरी तरह से ट्रैकिंग कर रही है.'

अब 90% तक हॉस्पिटल में हो रही हैं डिलीवरी

जच्चा-बच्चा की इस ट्रैकिंग की वजह से इंस्टिट्यूशनल डिलीवरी (हॉस्पिटल डिलीवरी) 79% से बढ़कर 89%-90% तक बढ़ गया है. इसके पीछे का कारण सरकार द्वारा दी गई सुविधाएं हैं. सरकार ने आशा वर्कर को जच्चा को हॉस्पिटल लाने के लिए इंसेंटिव दिया, जच्चा का ट्रांसपोर्टेशन फ्री होता है, कॉमप्लिकेशन होने पर उसे पूरी तरह से ठीक कराना भारत सरकार की जिम्मेदारी है, जच्चा बच्चा को फ्री ट्रांसपोर्टेशन देकर पहुंचाना भी किया जाता है. जेपी नड्डा ने बताया कि, 'डिलीवरी के दौरान अगर जच्चा को 4-5 दिन तक हॉस्पिटिल में रखते हैं तो उसके इंसेंटिव अलग होते हैं.'

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कैसे लागू की गई नई हेल्थ पॉलिसी?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आगे बताया, '2017 में लाई गई हेल्थ पॉलिसी को इंप्लिमेंट करने के लिए सबसे पहले सरकार ने प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स, क्मयुनिटी हेल्थ सेंटर्स और सब-डिविजनल हॉस्पिटल्स और सब-सेंटर्स को जोड़कर 1 लाख 79 हजार आयुष्मान आरोग्य मंदिर बनाए. इन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में डॉक्टर्स से लेकर क्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर्स, स्पेशलिस्ट्स तक रखे गए. आयुष्मान आरोग्य मंदिर बनने के बाद मरीजों को बुलाया गया और 12 तरह के पैकेज बनाए गए, जिनमें महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक के लिए हेल्थ पैकेज शामिल थे. महिलाओं के लिए बहुत बड़ा पैकेज है, जो रिप्रोडक्टिव और चाइल्ड हेल्थ से जुड़ा है.'

करोड़ों लोग आयुष्मान भारत योजना से जुड़े

आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को लागू किया जो कि वर्ल्ड का सबसे बड़ा प्रोग्राम रहा. पहले हम लोगों ने इसमें 44 करोड़ लोगों को जोड़ा था और हम 50 करोड़ लोगों के आंकड़ों तक पहुंचे. फिर प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा हम 70 साल तक के हर इंसान को हेल्थ कवरेज देंगे. और अब 62 करोड़ लोग इस सुविधा से जुड़े हुए हैं. 2017 से अभी तक 10 करोड़ 30 लाख पैशेंट हॉस्पिटल में एडमिट हो चुके हैं जिसमें 1.4 लाख करोड़ रुपये की भारत सरकार ने मरीजों को राहत दी है.

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डिजिटल में भी क्रांति हो रही है

हम भारत में आभा कार्ड की ओर जा रहे हैं. आयुष्मान भारत हेल्थ अथॉरिटी की तरफ से आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट्स बना रहे हैं. आपको जानकर खुशी होगी कि लगभग 81.6 करोड़ आभा कार्ड आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट जेनेरेट हो चुके हैं यानी 81.6 लोगों को ये कार्ड हमने दे दिया है जिसमें से 73 करोड़ कार्ड आभा से लिंक हो चुका है जिससे उनका मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड एक ही जगह पर होगा और आपके बताए अनुसार डॉक्टर उन्हें देख सकेंगे ताकि आप बड़े-बड़े प्रिस्क्रिप्शन लेकर न चलें. तो हम डिजीटली भी काफी आगे बढ़ रहे हैं.

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