Ban On PFI: कब बना, नेता कौन, मकसद क्या? जानें PFI और उसके 8 संगठनों की पूरी डिटेल

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI और उससे जुड़े 8 संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, PFI और उसके सहयोगी संगठन आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. ये संगठन टेरर फंडिंग के जरिए भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं और कई हत्याओं में शामिल रहे हैं.

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PFI और उसके संगठनों पर ये प्रतिबंध 5 साल तक रहेगा. (फाइल फोटो-PTI) PFI और उसके संगठनों पर ये प्रतिबंध 5 साल तक रहेगा. (फाइल फोटो-PTI)

Priyank Dwivedi

  • नई दिल्ली,
  • 28 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

आखिरकार केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI पर प्रतिबंध लगा ही दिया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके मुताबिक, सरकार ने PFI और उससे जुड़े संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया है. ये प्रतिबंध अगले 5 साल तक लगा रहेगा. 

गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक, ये प्रतिबंध PFI के साथ-साथ उसके 8 सहयोगी संगठन- रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कन्फिडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वुमन फ्रंट (NWF), जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल पर भी लगा है.

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गृह मंत्रालय के मुताबिक, रिहैब इंडिया फाउंडेशन PFI के सदस्यों के जरिए फंड जुटाता है. कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन केरल के कुछ सदस्य PFI के भी सदस्य हैं. इसके अलावा PFI के नेता जूनियर फ्रंट, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फिडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन और नेशनल वुमन फ्रंट की गतिविधियों में शामिल रहे हैं.

जिन संगठनों पर बैन लगा, उनका कच्चा चिट्ठा

5 कारण PFI पर क्यों लगा प्रतिबंध

1. गृह मंत्रालय के मुताबिक, PFI ने समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुंच बढ़ाने के लिए अलग-अलग संगठनों की स्थापना की, जिसका एकमात्र मकसद सदस्यता बढ़ाना और फंड जुटाना है. PFI और उसके संगठन सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संगठन के तौर पर काम करते हैं, लेकिन एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाना इनका छिपा हुआ एजेंडा है.

2. PFI और उसके संगठन गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, जिससे शांति और सांप्रदायिक सद्भाव खराब होने की आशंका है. PFI के कुछ सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के नेता रहे हैं. साथ ही इसका संबंध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) से भी रहा है. 

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3. PFI के ISIS जैसे आतंकी संगठन से भी संपर्क रहे हैं. उसके कुछ सदस्य ISIS में भी शामिल हुए हैं. साथ ही इन्होंने इराक, सीरिया और अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों में भी हिस्सा लिया है. 

4. PFI से जुड़े लोग बैंकिंग चैनल, हवाला और डोनेशन के जरिए फंड जुटाते हैं, फिर इसे वैध दिखाने की कोशिश करते हैं. आखिर में इस पैसे का इस्तेमाल आपराधिक और आतंकी गतिविधियों में किया जाता है. 

5. इतना ही नहीं, PFI से जुड़े लोग संजीत (केरल, नवंबर 2021), वी. रामलिंगम (तमिलनाडु 2019), नंदू (केरल, 2021), अभिमन्यु (केरल, 2018), बिबिन (केरल, 2017), शरत (कर्नाटक, 2017), आर. रुद्रेश (कर्नाटक, 2016), प्रवीण पुजारी (कर्नाटक, 2016), शशि कुमार (तमिलनाडु, 2016) और प्रवीण नेत्तारू (कर्नाटक, 2022) की हत्या में शामिल रहे हैं.

 

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