बिहार के MLA-MLC को मिलेगा 4 करोड़ का फंड... देखें- दिल्ली से गुजरात तक के विधायकों में कितना है अंतर

बिहार के विधायक अब विकास कार्य पर सालाना चार करोड़ रुपये तक खर्च कर सकेंगे. नीतीश सरकार ने विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों को मिलने वाले फंड को बढ़ा दिया है. बिहार में इससे पहले 2018 में विधायक निधि को बढ़ाया गया था. ऐसे में जानते हैं कि देश के अलग-अलग राज्यों के विधायकों को कितना फंड मिलता है?

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नीतीश सरकार ने विधायक और विधान पार्षदों को मिलने वाला फंड बढ़ा दिया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर) नीतीश सरकार ने विधायक और विधान पार्षदों को मिलने वाला फंड बढ़ा दिया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2023,
  • अपडेटेड 11:33 AM IST

बिहार की नीतीश सरकार ने विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों को मिलने वाले फंड को बढ़ा दिया है. इसके बाद अब विधायक विकास कार्यों पर सालाना चार करोड़ रुपये तक खर्च कर सकेंगे. पहले ये सीमा तीन करोड़ रुपये थी. 

फंड बढ़ाने का ये फैसला मंगलवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में लिया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीटिंग में फंड बढ़ाने को मंजूरी दी. 

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चीफ मिनिस्टर लोकल एरिया डेवलपमेंट स्कीम (CMLADS) के तहत विधायक और विधान पार्षद ज्यादा फंड का इस्तेमाल कर सकेंगे. बढ़ा हुआ फंड मौजूदा वित्त वर्ष से ही मिलेगा. 

बिहार में आखिरी बार 2018 में विधायक निधि बढ़ाई गई थी. उस समय विधायक निधि को 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये सालाना कर दिया गया था. 

सबसे ज्यादा दिल्ली के विधायकों को मिलता है फंड

देश में सबसे ज्यादा फंड दिल्ली के विधायकों को मिलता है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने 2018 में विधायक निधि को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया था. इससे पहले यहां विधायकों को सालाना 4 करोड़ रुपये तक का फंड मिलता था.

यानी दिल्ली के विधायक अपनी विधानसभा में हर साल 10 करोड़ रुपये तक के विकास कार्य करवा सकते हैं. इस फंड से विधायक अपनी विधानसभा में स्कूल, कम्युनिटी हॉल, सड़क से लेकर पार्क वगैरह बनवा सकते हैं. 

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क्या विधायक को मिलता है सीधा पैसा?

नहीं. विधायक निधि के जरिए मिलने वाली ये रकम सीधे विधायक को नहीं मिलती है. इस फंड का सीधा-सीधा मतलब ये है कि विधायक अपनी विधानसभा में सालभर में इतनी लागत के विकास कार्य करवा सकता है.

अगर किसी विधायक को लगता है कि उसके क्षेत्र में कोई विकास कार्य होना है तो वो इसकी सिफारिश करता है. इसके बाद वो रकम संबंधित विभाग को दी जाती है. 

 

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