‘दस साल बाद मुसलमानों के वोट बीजेपी और मोदी जी को मिलने लगेंगे’, हिमंता ने वजह भी बताई

असम सीएम ने गुरुवार को एजेंडा आजतक के खास सेशन में शिरकत की. उन्होंने कहा कि 'अगर दस हजार ही के कारण चुनाव जीता जाता तो मुसलमान लोग भी हमें वोट देते. तेजस्वी यादव भी चुनाव जीत जाते! उन्होंने कहा कि बिहार में जो जीत हुई उसका कारण नीतीश कुमार का सुशासन और पीएम मोदी का नेतृत्व है. '

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एजेंडा आजतक के मंच पर असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने की शिरकत एजेंडा आजतक के मंच पर असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने की शिरकत

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:55 AM IST

असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने गुरुवार को आजतक के खास कार्यक्रम 'एजेंडा आजतक' में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने चुनावी तैयारी, रणनीति और राजनीति के तमाम पहलुओं पर बात की. असम सीएम 'हिमंता लगाएंगे बीजेपी की हैट्रिक?' सेशन में सवालों के जवाब दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ‘दस साल बाद मुसलमानों के वोट भी बीजेपी और मोदी जी को मिलने लगेंगे’

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'सिर्फ 10 हजार नहीं जीत की वजह'
असल में सीएम से पूछा गया था कि क्या आप मानते हैं कि दस हजार ने नीतीश कुमार के लिए चमत्कार किया है? इस प्रश्न का जवाब देते हुए सीएम ने कहा कि, 'मुझे लगता है कि दस हजार से हमारे जो वोटर हैं, वे उत्साहित होकर वोट देंगे. लेकिन अगर दस हजार ही के कारण चुनाव जीता जाता तो मुसलमान लोग भी हमें वोट देते. तेजस्वी यादव भी चुनाव जीत जाते! उन्होंने कहा कि बिहार में जो जीत हुई उसका कारण नीतीश कुमार का सुशासन और पीएम मोदी का नेतृत्व है. ये जरूर है कि उस जीत में दस हजार भी एक एलिमेंट होगा, लेकिन हर किसी को तो दस हजार नहीं मिला है. और जितने लोगों को मिला है, उनसे तो हमें दुगुना वोट मिला. तो बाकी लोगों ने हमें क्यों वोट दिया?

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'किडनी दे देंगे- वोट नहीं...'
इसलिए आप कह सकते हैं कि इसका एक प्रभाव रहा, लेकिन अगर आप यह कहेंगे कि लोग सिर्फ दस हजार के लिए वोट देते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि यह सही है. फिर सीएम हिमंता ने आहे कहा कि, हमारे ‘मिया मुसलमान’ लोग जो हैं, अगर मैं एक लाख रुपये भी दे दूं, और वे कहेंगे कि 'सीएम साहब बहुत अच्छा है.' लेकिन वह मुझे वोट नहीं देंगे. वह बोले - 'एक-एक लोग मुझसे कहते हैं कि आपने इतनी मदद की है कि जरूरत पड़े तो मैं आपको किडनी तक दे दूंगा, लेकिन वोट नहीं दूंगा.' 

वोट आइडियोलॉजी के लिए होते हैं. मैं किसी को दोष नहीं देता. वोट सिर्फ किसी स्कीम के लिए नहीं मिलते. लेकिन आपको स्कीम भी करनी है, क्योंकि आप सरकार में हैं, कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता है. लेकिन यह कहना कि वोट सिर्फ स्कीम के लिए मिलते हैं, बहुत सिंप्लिस्टिक असेसमेंट है.

दस साल बाद मिलने लगेंगे बीजेपी को वोट
फिर जब असम सीएम से ये पूछा गया कि लोग ऐसा क्यों सोचते हैं कि, “किडनी दे दूंगा लेकिन वोट नहीं दूंगा” इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि, 'उन्हें सोचना चाहिए. क्योंकि मैं उनके लिए बहुत ज्यादा अच्छा काम नहीं करता. खुल्लम-खुल्ला कह रहा हूं. देखिए, वे लोग हमारे फॉरेस्ट की जमीन कब्जा करके रखते हैं. करीब दस लाख एकड़ जमीन कब्जा है तो मुझे उसे खाली कराना पड़ेगा. मुख्यमंत्री हूं. यह मेरी जिम्मेदारी है. अगर कोई पुरुष दूसरी शादी करता है, तो मुझे उसे जेल भेजना है, यह भी मेरी जिम्मेदारी है. अगर मैं यह सब काम करता हूं, तो वे मुझे कैसे वोट देंगे? हां, पहले दस साल तक इसे पास हो जाने दीजिए. दस साल तक सजा मिलेगी. दस साल के बाद यही लोग बीजेपी को वोट देने लगेंगे. दस साल बाद ये जो एलिमेंट्स हैं, ये न्यूट्रलाइज़ हो जाएंगे.

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