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इतना खतरनाक था पद्मावत का ये सीन कि रणवीर ने कर दी थी उल्टी

महेन्द्र गुप्ता
  • 27 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:37 PM IST
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फिल्म पद्मावत में रणवीर सिंह की अदाकारी काफी सराही जा रही है. रणवीर मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी के किरदार में हैं. कई सीन रणवीर के लिए फिल्माना बेहद मुश्क‍िल साबित हुआ. रणवीर ने बताया कि एक सीन के दौरान उनकी सेहत ने उनका साथ छोड़ दिया था. जानिए उन्होंने किस तरह की परेशानी का सामना किया.

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रणवीर ने बताया, शूटिंग के दौरान उन्हें फिजीकली चैलेंज का सामना ज्यादा करना पड़ा. न सिर्फ जौहर वाले सीन में बल्क‍ि पूरी फिल्म में. शूटिंग शुरू होने के बाद मैं काफी दबाव में था, क्योंकि मुझे एक साथ कई चीजें करनी थीं. शाहिद कपूर से युद्ध और खली बली गाने के दौरान मैंने महसूस किया जैसे मेरा पैर ही न हो.

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जौहर सीन के बारे में रणवीर ने बताया कि कभी ऐसा लगता था कि कट बोला जाएगा और मैं उल्टियां कर दूंगा. मुझे याद है कि हम कितनी गर्मी के बीच मई के महीने में फिल्म सिटी में शूटिंग कर रहे थे. 45 डिग्री टेम्परेचर था. मैं इतनी गर्मी में अपने शरीर पर 12 किलो का कॉस्ट्यूम पहने हुए था. मुझे लगातार दौड़ते रहना था. इसलिए कट बोले जाने के बाद मेरी आंखों के आगे धुंधलापन छा गया और मैं पूरी तरह सुन्न हो गया.

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रणवीर कहते हैं, वापस होश में आने के लिए मुझे पानी दिया गया. तब जाकर मैं अगले सीन के लिए तैयार हुआ. अपनी हिम्मत बढ़ाने के लिए मैं वॉमिट का इस्तेमाल करता हूं. शूटिंग के दौरान मैंने इतना संघर्ष किया कि हर दिन में अपनी आवाज खो देता था. मैं डेढ़ साल से अपनी खराब आवाज से जूझ रहा था. अलाउद्दीन के लिए जो मेरी आवाज थी, वह बहुत खराब थी.

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रणवीर ने कहा, इस फिल्म की सबसे अच्छी बात ये रही कि मुझे खुद के बारे में जानने का मौका मिला. कई चीजें मैं कर सकता हूं ये मुझे भी पता नहीं थीं. मुझे अपनी क्षमताएं पता चलीं.

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बताते हैं फिल्म के अंत में 10 मिनट का जौहर सीन दिखाया गया है. इस सीन को शूट करने के बाद दीपिका पादुकोण खुद कई दिनों तक सदमें में थीं. इस सीन के लिए दीपिका ने काफी मेहनत की. संजय लीला भंसाली ने इसे बहुत ही खूबसूरती से फिल्माया है.

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दरअसल, इसके लिए दीपिका को काफी मेहनत भी करनी पड़ी. सीढ़ियों से उतरते हुए, राजपूतानी महिलाओं के साथ अग्नि कुंड की ओर बढ़ना. उस वक्‍त आग की तपिश से कही ज्‍यादा तपिश पद्मावती बनी दीपिका की आंखों में होती है. जय भवानी के नारे रानी सा हमारी शान में उनके बलिदान के साथ बदल जाते हैं.

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