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जब ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुईं ये 5 भारतीय फिल्में, खूब हुआ विवाद

पूजा बजाज
  • 04 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:57 AM IST
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ऑस्कर के लिए भारत की ओर से भेजी जाने वाली फिल्मों के चयन को लेकर देश में हमेशा विवाद होता रहा है. इस साल ऑस्कर 2018 के लिए बेस्ट फॉरेन फिल्म कैटेगरी में भेजी गई राजकुमार राव की फिल्म न्यूटन पहले ही रेस से बाहर हो चुकी है. ऑस्कर के लिए भारत की ओर से इस फिल्म के चयन पर खूब विवाद भी हुआ. कहा गया कि फिल्म का कंटेंट फ्रेश नहीं है. इसे ईरानी फिल्म 'सीक्रेट बैलेट' से कॉपी किया गया है. हालांकि तब न्यूटन के निर्माताओं ने इस बात से इन्कार किया था. अब तक मोटे तैर पर 5 भारतीयों फिल्मों को ऑस्कर में भेजने पर विवाद हो चुका है. आइए जानते हैं न्यूटन के अलावा वो कौन-कौन सी फ़िल्में हैं जिनके चयन पर विवाद हुआ...

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इसमें कोई शक नहीं है कि संजय लीला भंसाली की 'देवदास' बेहतरीन फिल्म थी. लेकिन समीक्षकों की राय में ये ऑस्कर में भेजने लायक फिल्म नहीं थी. राय यह थी कि उसी साल रिलीज हुई मणिरत्नम की फिल्म 'कनाथी मुथमित्तल' को अलग विषय की वजह से ऑस्कर में भेजना चाहिए था.

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ऐश्वर्या राय की तमिल फिल्म 'जीन्स' को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था, लेकिन उस साल हिंदी फिल्म 'सत्या' भी रिलीज हुई थी. 'सत्या' राम गोपाल वर्मा की सबसे अच्छी फिल्म मानी जाती है. सत्या की जगह 'जीन्स' को ऑस्कर में नॉमिनेट करने पर खूब विवाद हुआ था.

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साल 2005 में शाहरुख खान-रानी मुखर्जी स्टारर 'पहेली' को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट करना गलत माना गया था. उसी साल आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'स्वदेश' भी आई थी, जिसे हर मायने में 'पहेली' से बेहतर माना जा रहा था.

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2012 में 'बर्फी' को ऑस्कर के लिए भेजा गया था. उसी साल 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और 'पान सिंह तोमर' भी रिलीज हुई थी. इन दो फिल्मों की जगह 'बर्फी' को ऑस्कर के लिए भेजना कुछ लोगों को पसंद नहीं आया था. इस पर विवाद भी खूब हुए और फिल्मों के चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए.

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गुजराती फिल्म 'द गुड रोड' को इरफान खान की फिल्म 'लंचबॉक्स' की जगह ऑस्कर के लिए चुना गया था. 'लंचबॉक्स' को कई फिल्म फेस्टिवल्स में सराहना मिली थी. इसलिए 'द गुड रोड' को भेजना गलत फैसला माना जा रहा था.

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