धनुष की फिल्म 'कर्णन' देखने के बाद बहुत सारे दर्शक सन्न रह गए थे. सिनेमा में दलित प्रतिरोध को इस सॉलिड तरीके से दिखाना अपने आप में हिम्मत का काम था. लेकिन तमिल सिनेमा के सबसे दिलचस्प यंग डायरेक्टर्स में से एक, मारी सेल्वराज इसी हिम्मत के लिए जाने जाते हैं. 'कर्णन' उनकी दूसरी फिल्म थी. अपनी पहली फिल्म 'परियरम पेरुमल' (Paiyerum Perumal) में भी उन्होंने कहानी की थीम और अपनी सिनेमेटिक ग्रामर से सबको हैरान कर दिया था. अब वो एक बार फिर ऐसी कहानी लेकर आ रहे हैं, जिसमें दलितों-वंचितों की आवाज गूंज रही है. फिल्म का नाम है 'मामन्नन'.
'मामन्नन' का मतलब है शासक या राजा. जाति के आधार पर शोषण का शिकार हो रहे दलितों और वंचितों की आवाज उठाने वाले एक डायरेक्टर ने, फिल्म का टाइटल ही 'राजा' क्यों रखा? ये सवाल किसी भी सजग दर्शक के दिमाग में आ सकता है. लेकिन सेल्वराज की फिल्म इसी की तो कहानी है, और कहानी अभी से कैसे पता चलेगी. अभी तो सिर्फ 'मामन्नन' का ट्रेलर आया है, जिसे देखने के बाद आपकी रीढ़ में झुरझुरी दौड़ जाएगी.
मंदिर छूने वाले हाथ को काट देने की जातिवादी 'विरासत'
अनिल कपूर की फिल्म 'विरासत' 1997 में आई थी. तमिल फिल्म से रीमेक होकर हिंदी में बनी 'विरासत' को कल्ट क्लासिक माना जाता है, इसलिए बहुत लोगों को इसकी कहानी भी अच्छे से याद होगी. फिल्म में अनिल कपूर के कहने पर उसके घर का एक नौकर और बचपन का साथी सुर्किया, एक मंदिर का सालों से बंद पड़ा ताला तोड़ देता है. ये ताला फिल्म में एक बड़ी राइवलरी का प्रतीक था. जिसके कहने पर ये ताला लगा था, वो सुर्किया का हाथ कटवा देता है. फिल्म में सुर्किया का किरदार नीरज वोरा ने निभाया था.
'विरासत' में कहानी में जातिवाद का एंगल उतना खुलकर नहीं दिखा था, जितना शायद ऑरिजिनल तमिल फिल्म 'तेवर मगन' (1992) में नजर आया. ऑरिजिनल में अनिल कपूर वाला रोल कमल हासन ने निभाया था. 'विरासत' में जो सुर्किया का किरदार था, 'तेवर मगन' में उस किरदार का नाम था इसाकी और इसे निभाया था तमिल एक्टर वड़िवेलु ने.
वड़िवेलु को आपने कई तमिल फिल्मों में कॉमेडी करते देखा होगा. उन्हें कॉमेडी का सुपरस्टार तक कहा जाता है. लेकिन अब वो मारी सेल्वराज की 'मामन्नन' में एक बहुत गंभीर किरदार निभा रहे हैं. उनका किरदार एक ऐसे व्यक्ति का है जो लोगों को दमन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए इंस्पायर करता है.
'मामन्नन' में वड़िवेलु के बेटे का रोल उदयनिधि स्टालिन कर रहे हैं. उदयनिधि अनाउंस कर चुके हैं कि ये उनकी आखिरी फिल्म होगी. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बेटे, उदयनिधि खुद भी खेल मंत्री हैं. उन्होंने तय किया है कि अब वो पॉलिटिक्स पर पूरा ध्यान देंगे. लेकिन ''मामन्नन' का ट्रेलर देखने के बाद आपको यही लगेगा कि एक्टिंग छोड़ने का फैसला शायद उदयनिधि ने बहुत जल्दी ले लिया है.
'तेवर मगन' से सेल्वराज को मिला आईडिया
कमल हासन की 'तेवर मगन' ने 5 नेशनल अवार्ड जीते थे. फिल्म की कहानी ने लोगों की आत्मा को झिंझोड़ दिया था. लेकिन इस कहानी में मारी सेल्वराज को एक कमी दिखी. 'मामन्नन' के ऑडियो लॉन्च पर कमल हासन की मौजूदगी में सेल्वराज ने कहा कि उन्हें 'तेवर मगन' फिल्म में उन्हें अपने पिता नहीं दिखे. इस बात से उनका मतलब था कि शोषितों और दलितों की हालत दिखाने के लिए चर्चा पाने वाली एक फिल्म में उन्हें दलित रिप्रेजेंटेशन ही बहुत कम दिखा.
इसी से उन्हें आईडिया आया कि 'तेवर मगन' में जो इसाकी का किरदार था, जिसका हाथ मंदिर का ताला तोड़ने के लिए काट दिया गया था, अगर वही अपने लोगों का लीडर होता तो कहानी कैसी होती? उन्होंने इसाकी का किरदार निभाने वाले वड़िवेलु को ही 'मामन्नन' में कास्ट किया. ऑडियो लॉन्च पर सेल्वराज ने ये भी कहा अब उन्हें कमल के साथ अपनी फिल्म देखने में मजा आएगा.
'मामन्नन' में आत्मा को बींधते प्रतीक
मारी ने अपनी पिछली दोनों फिल्मों में खूब सारे ऐसे प्रतीक इस्तेमाल किए थे, जो कहानी को गहराई दे रहे थे. उनकी फिल्मों में एक खास ब्रीड (साईटहाउंड) के कुत्ते थे जो केवल तमिलनाडु के एक पर्टिकुलर इलाके में मिलते हैं. ये क्षेत्रीयता और इलाके के नेटिव लोगों के स्ट्रगल का प्रतीक है. 'मामन्नन' के ट्रेलर में भी इन कुत्तों का एक झुंड बार-बार भागता हुआ दिखता है.
कहानी में वड़िवेलु का किरदार शांति के रास्ते से अपनी आवाज उठाने की बात करता है, लेकिन उसका बेटा हिंसा की आंच में सुलगता दिखता है. फिल्म में फहाद फासिल नेगेटिव किरदार में अजर आ रहे हैं. उनके एक्सप्रेशन ही उनके किरदार का सबसे खौफनाक हथियार हैं. फहाद का किरदार पॉलिटिक्स से जुड़ा दिखता है और जातिवादी व्यवस्था में वो एक पावरफुल पोजीशन पर लगता है. अपनी पावर को बचाए रखने के लिए वो किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है.
ट्रेलर में फहाद एक लड़के को बुरी तरह पीटते नजर आते हैं और वो उनसे जान बचाकर भाग रहा है. इस लड़के का उंचाई पर चढ़कर चिल्लाना भी एक मेटाफर है. इसी तरह एक कुत्ता भी उंचाई पर चढ़कर आवाज देता नजर आता है. 'कर्णन' में भी इसी तरह का एक सीन था. ये अपने संघर्ष को जोरदार आवाज देने का प्रतीक है.
मामन्नन का ट्रेलर जहां खत्म होता है, वहां उदयनिधि और वड़िवेलु घर के अंदर बैठे हैं. उनसे निपटने के लिए बाहर एक पूरी भीड़ है जो घर का दरवाजा तोड़ डालना चाहती है. लेकिन तैयार बैठे उदयनिधि के हाथ में जहां एक धारदार हथियार है, वहीं वड़िवेलु के हाथ में गन है. शांति की इमेज नजर आने वाले वड़िवेलु के हाथ में भी गन होना इस बात का सिंबल है कि शोषित कितना भी शांति से रहना चाहे, उसे क्रान्ति की शरण में आना ही पड़ता है.
और क्या है फिल्म में खास
'मामन्नन' में वड़िवेलु, उदयनिधि और फहाद फासिल के साथ साउथ की बड़ी एक्ट्रेस कीर्ति सुरेश भी हैं. ट्रेलर में उनके किरदार के बारे में ज्यादा कुछ रिवील नहीं किया गया है. लेकिन सेल्वराज की फिल्म में फीमेल किरदार भी कमाल के होते हैं. यहां देखिए 'मामन्नन' का ट्रेलर:
फिल्म का म्यूजिक ऑस्कर विनर ए. आर. रहमान ने दिया है. 'मामन्नन' के ट्रेलर में ही उनका म्यूजिक कहानी को डेप्थ देता फील होता है. उनका स्कोर कहानी की टेंशन को एलिवेट कर रहा है. मारी सेल्वराज की फिल्म में एक बेहतरीन पॉलिटिकल थ्रिलर होने के सभी गुण मौजूद नजर आ रहे हैं.
दलित पहचान और संघर्ष को अपनी फिल्मों में दिखाने वाले सेल्वराज से 'परियरम पेरुमल' और 'कर्णन' के बाद एक और बेहतरीन फिल्म की उम्मीद है. 'मामन्नन' उन तमिल फिल्मों में से एक है जिनका इंतजार जनता को बेसब्री से है. फिल्म 29 जून को थिएटर्स में रिलीज हो रही है.
सुबोध मिश्रा