'यूपी-बिहार पर नहीं बॉलीवुड फिल्ममेकर्स का ध्यान', अल्लू अर्जुन के पिता अल्लू अरविंद का 'विवादित' बयान

अल्लू अरविंद ने इस साल मार्च में साउथ इंडिया फिल्म फेस्टिवल में अपना ये 'कंट्रोवर्शियल' ओपिनियन दिया था कि साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्रीज क्या बेहतर कर रही हैं जो बॉलीवुड नहीं कर पा रहा. अल्लू अरविंद के ओटीटी प्लेटफॉर्म AHA ने अब उनका ये वीडियो शेयर किया है. 

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अल्लू अरविंद अल्लू अरविंद

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 19 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:02 PM IST

अल्लू अरविंद साउथ फिल्मों के टॉप प्रोड्यूसर्स में से एक हैं. तेलुगू स्टार अल्लू अर्जुन के पिता, अरविंद की कंपनी गीता आर्ट्स 50 साल से भी ज्यादा वक्त से तेलुगू, तमिल और कन्नड़ समेत कुछ हिंदी फिल्में भी प्रोड्यूस कर चुकी है. 

अब अल्लू अरविंद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री यानी बॉलीवुड की दिक्कतों को लेकर अपनी राय देते नजर आ रहे हैं. अल्लू अरविंद ने इस साल मार्च में साउथ इंडिया फिल्म फेस्टिवल में अपना ये 'कंट्रोवर्शियल' ओपिनियन दिया था कि साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्रीज क्या बेहतर कर रही हैं जो बॉलीवुड नहीं कर पा रहा. अल्लू अरविंद के ओटीटी प्लेटफॉर्म AHA ने अब उनका ये वीडियो शेयर किया है. 

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अल्लू अरविंद का 'विवादित' बयान 
80s में बनने वाली पैन इंडिया फिल्मों और आज की पैन इंडिया फिल्मों में फर्क पर बात करते हुए उन्होंने कहा, 'अब दरवाजे खुल चुके हैं (मुस्कुराते हुए). इंडिया के इस पार्ट में जो मैटेरियल प्रोड्यूस किया जा रहा है, उसे पूरे इंडिया की ऑडियंस स्वीकार कर रही है. बल्कि हमारी डबिंग वाली फिल्में भी वहां (हिंदी फिल्म मार्किट में) खूब पसंद की जा रही हैं.' 

अरविंद का कहना था कि ये साउथ में प्रोड्यूस हुए कंटेंट की क्वालिटी दिखाता है. लेकिन फिर एक बहस ये हो सकती है की कंटेंट तो वहां (हिंदी फिल्म इंडस्ट्री) में भी बनता है, तो वो क्यों नहीं चल रहा? उन्होंने कहा, 'मेरे पास इसका एक विवादित जवाब है. लेकिन मुझे जो महसूस होता है, वो मैं पूरी ईमानदारी से बोलूंगा.' 

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बांद्रा और जुहू के बीच फंसकर रह गए हैं बॉलीवुड फिल्ममेकर्स
अल्लू अरविंद ने आगे कहा, 'मैं बॉम्बे फिल्ममेकर्स और उनकी सोच के लेवल का बहुत सम्मान करता हूं, जो बहुत अच्छी है. लेकिन साथ ही वो बांद्रा और जुहू के बीच फंसे हुए भी हैं! वो बांद्रा और जुहू में बड़े हुए हैं और उनका कल्चर और विजन भी उसी तरह है. इसीलिए वो फिल्में भी वैसी ही बना रहे हैं. उन्हें ये समझना होगा कि यूपी और बिहार भी हैं. तेलुगू और तमिल में बनी फिल्में यूपी और बिहार के लोगों को इतनी पसंद क्यों आती हैं? इसकी वजह कंटेंट है. हम अपने प्यार में भेदभाव नहीं लाते.' 

अरविंद ने बिना नाम लिए बताया कि उनकी बात बॉलीवुड के कुछ फिल्ममेकर्स से हुई जो ये बात समझ चुके हैं और ऐसी फिल्में बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो बड़ी ऑडियंस को अपील करें. उन्होंने कहा, 'जब मुंबई के फिल्ममेकर्स इस तरह की फिल्में बनाने लगेंगे तो साउथ फिल्मों को आजकल मिल रही ये पहचान भी गायब हो जाएगी. मुझे लगता है कि अब सभी इंडस्ट्रीज ऑल-इंडिया फिल्में बनाने लगेंगी, जब भी उन्हें इस तरह का सब्जेक्ट और बजट मिलेगा.' 

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