कई बार लोगों को भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर की बात करते सुना होगा. खासकर तब जब आमने-सामने दो सिनेमा लवर्स हों. कई बार ये बातें सुनकर सिनेमा को करीब से जानने की चाह होती है. मन में आज के सिनेमा और गोल्डन एरा को लेकर कई सवाल उठते हैं. अगर ऐसा है, तो आपके सवालों के जवाब 'जुबली' की कहानी में छिपे में हैं. 'जुबली' अमेजन प्राइम की नई सीरीज है. सीरीज की कहानी 1940s के सिनेमा की जादुई दुनिया को पेश करती है.
गोल्डन एरा को दिखाती 'जुबली'
'जुबली' की कहानी हिंदी सिनेमा के गोल्डन एरा के साथ-साथ बंटवारे के मंजर को बयां करती है. ये कहानी है टॉकीज के दौर की. श्रीकांत रॉय (प्रोसेनजित चटर्जी), रॉय टॉकीज को ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं. इसके लिए उन्हें एक नए चेहरे मदन कुमार की तलाश है. ये तलाश जमशेद खान (नंदीश संधू) पर आकर खत्म होती है. कई ऑडिशन के बाद श्रीकांत रॉय को जमशेद खान के तौर पर हिंदी सिनेमा का मदन कुमार मिल जाता है.
जमशेद खान एक थिएटर आर्टिस्ट, स्ट्रगलिंग और टैलेंटेड एक्टर है, जिसे मदन कुमार के तौर पर लॉन्च करने का ऐलान किया जाता है. पर जमशेद कशमकश में है. उसे श्रीकांत की पत्नी और रॉय टॉकीज की आधी मालकिन सुमित्रा कुमार (अदिति राव हैदरी) से प्यार हो जाता है. सुमित्रा अपनी शादीशुदा लाइफ में खुश नहीं है. श्रीकांत रॉय को पता है कि सुमित्रा और जमशेद एक-दूसरे से प्यार करते हैं. श्रीकांत रॉय अपने वफादार स्टूडियो कर्मी बिनोद दास (अपारशक्ति खुराना) को जमशेद और सुमित्रा को साथ लाने के लिए कहता है.
बिनोद (अपारशक्ति खुराना) को जमशेद और सुमित्रा को बुलाने के लिए लखनऊ भेजा जाता है. श्रीकांत वो शख्स है, जिसे पत्नी से ज्यादा अपने स्टूडियो से मोहब्बत है. जमशेद, मदन कुमार बनकर पर्दे पर आता है. इससे पहले देश का बंटवारा होता और लखनऊ में दंगे शुरू जाते हैं, जिसमें वो मारा जाता है. इस बीच बिनोद दास अपने मालिक श्रीकांत को अपनी एक्टिंग का हुनर दिखाता है और मदन कुमार बनकर पर्दे पर छा जाता है. श्रीकांत एक मामूली से इंसान को स्टार बना देता है.
जुबली की कहानी में एक अहम किरदार है जय खन्ना (सिद्धांत गुप्ता). जय, जमशेद का अच्छा दोस्त और फिल्म राइटर है. जय के पिता नारायण खन्ना (अरुण गोविल) का कराची में एक मशहूर थिएटर होता है. जमशेद इन्हीं के थिएटर से जुड़कर काम करना चाहता था. पर बंटवारे में सब तबाह हो जाता है. जय और उसका परिवार मुंबई के सायन इलाके में बने रिफ्यूजी कैम्प में शरण लेता है. इस दौरान जय अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम करता है. स्क्रिप्ट तैयार होती है. जय, मदन कुमार को अपनी फिल्म में काम करने के लिए मना लेता है.
पर मदन अपने मालिक श्रीकांत के कहने पर शूटिंग शुरू होने से पहले फिल्म के लिए मना कर देता है. मदन हिंदी सिनेमा का बड़ा स्टार बन चुका है. इसलिए उसकी ना जय के करियर को डुबा सकती है. जय, मदन के रिएक्शन से हैरान-परेशान है. यहीं से सीरीज का टर्निंग पॉइंट शुरू होता है. क्या मदन के बिना जय फिल्म बना पाएगा या उसका करियर खत्म हो जाएगा. जानने के लिए सीरीज देखनी होगी.
कैसा है डायरेक्शन?
आज की जनरेशन ने हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर को नहीं देखा है. पर जब आप विक्रमादित्य मोटवानी की 'जुबली' देखते हैं, तो ऐसा लगता है उस दौर को जी रहे हैं. सीरीज में हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे की दर्दनाक कहानी देखने को मिलती है. इसके अलावा ये भी समझ आता है कि उस समय हिंदी सिनेमा किन मुसीबतों से गुजर रहा था. पर्दे पर बंटवारे और गोल्डन एरा को साथ दिखाने के लिए आपको उस दौर में डूबना पड़ता है. विक्रमादित्य काफी हद तक उनके डायरेक्शन में सफल रहे हैं. सीरीज के छोटे से छोटे सीन को बारीकी से दिखाया गया. 'जुबली' देखते समय ऐसा एहसास होता है जैसे कि आप 50 के दशक के सिनेमा को दोबारा खुद में समेट रहे हैं.
ये वो समय था जब हिंदी सिनेमा में टॉकीज के कल्चर का बोलबाला था और विक्रमादित्य मोटवानी की 'जुबली' ने उस कल्चर को बखूबी पर्दे पर उतारा है.
कैसी है स्टार्स की एक्टिंग?
'जुबली' में अपारशक्ति खुराना, सिद्धांत गुप्ता, अदिति राव हैदरी, वामिका गब्बी, प्रोसेनजीत चटर्जी, राम कपूर और अरुण गोविल जैसे कलाकार ने अहम रोल अदा किया है. अपारशक्ति खुराना ने एक आम लड़के से सुपरस्टार बनने के किरदार को स्क्रीन पर बेहतरीन तरीके से पेश किया है. सिद्धांत गुप्ता सीरीज के लीड एक्टर हैं और उन्होंने अपने रोल से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी है. प्रोसेनजीत चटर्जी बंगाली एक्टर हैं, जिन्होंने अपनी परफॉर्मेंस से फैंस का दिल जीत लिया.
सीरीज में अदिति राव हैदरी का रोल ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन उन्होंने जितना भी किया, उसमें वो काफी अच्छी लगीं. वहीं राम कपूर, अरुण गोविल और वामिका गब्बी भी अपने रोल से दर्शकों को इंप्रेस करते दिखे. इसके अलावा नंदीश संधू भी जितनी देर पर्दे पर आए, उनके किरदार से निगाहें हटाना मुश्किल रहा.
क्यों देखनी चाहिए सीरीज?
'जुबली' की कहानी आपको पुराने दौर की मनमोहक दुनिया में ले जाती है. अगर आपको सिनेमा से प्यार से है और गोल्डन एरा की यादों में गोते लगाने चाहते हैं, 'जुबली' आपके लिए है. सीरीज के कई सीन्स ऐसे हैं, जहां आप खिंचा हुआ महसूस करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है कि उससे पूरी तरह बोर हो जाएंगे. काफी समय बाद मल्टी स्टारर सीरीज में स्टार्स की बेहतरीन परफॉर्मेंस देखने को मिलती है. सिनेमा से लगाव है, तो 'जुबली' को मिस करना गुस्ताखी होगी.
क्यों ना देखें सीरीज?
अगर आप मॉर्डन फिल्मों के शौकीन हैं, तो 'जुबली' की कहानी आपको बोर कर देगी. सीरीज में प्यार, धोखा और बंटवारे का दर्द है. सिनेमा को काफी गहराई से दिखाया है.
फिलहाल तो हमारी तरफ से यही था. बाकी सीरीज देखकर बताइयेगा कि आपको इसमें क्या अच्छा लगा.
आकांक्षा तिवारी