'धुरंधर' के ट्रेलर से ही दिख रहा था कि 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' के डायरेक्टर आदित्य धर इस बार कुछ दिलचस्प लेकर आ रहे हैं. अक्षय खन्ना, अर्जुन रामपाल, संजय दत्त के किरदार 'धुरंधर' के ट्रेलर में जबरदस्त भौकाली लग रहे थे. हीरो रणवीर सिंह को इनका सामना करना है, ये क्लियर था. पर उनके किरदार के बारे में ज्यादा कुछ रिवील नहीं किया गया था. रिलीज से पहले फिल्म को लेकर काफी माहौल बनाने की कोशिश भी हुई― पॉजिटिव और नेगेटिव, दोनों टाइप से. मगर एक बात तय थी कि 'धुरंधर' में जनता की दिलचस्पी तो काफी है. तभी लोग इतने मूड में फिल्म की तारीफें करने या पोस्टमार्टम करने के लिए तैयार हैं. और इस दिलचस्पी ने ही हमें भी ये देखने थिएटर तक पहुंचा दिया कि आखिर 'धुरंधर' में है क्या.
दमदार कहानी का बिल्ड-अप है फर्स्ट हाफ
भारत के खिलाफ होती आतंकी साजिशों से. प्लेन हाईजैक, संसद पर अटैक के बाद आई बी चीफ अजय सान्याल ने पाकिस्तानी आतंकवाद की जड़ खोदने का एक एम्बिशस प्लान बनाया है. प्लान का नाम है― धुरंधर. मकसद है― पाकिस्तान के आतंकी इरादों को अंदर से खोखला करने का. और सबसे बड़ा हथियार है― हमज़ा अली मजारी (रणवीर सिंह).
फर्स्ट हाफ में हमज़ा पाकिस्तान में एंट्री ले रहा है. ल्यारी टाउन की गैंगबाजी सेटअप होती है. रहमान डकैत (अक्षय खन्ना) के खौफ से आपका सामना होता है. हमजा उसकी गैंग में जगह बना रहा है. मामला एक नया संसार रचने का. फिर मेजर इकबाल (अर्जुन रामपाल) नाम का दानव मिलता है. एसपी चौधरी असलम (संजय दत्त) नाम का जिन्न मिलता है.
स्क्रीन फाड़ के आपके दिल में घुस जाने को तैयार बॉलीवुडिया जासूसों की भीड़ में, हमजा एक खालिस जासूस है. उसकी जर्नी, उसका ल्यारी में पैठ बनाना सॉलिड स्पाई स्टोरी है नो आपको बांधे रखती है. और इसे एंगेजिंग बनाता है रणवीर सिंह का दमदार काम. ज्यादातर चुप रहने वाला हमजा, अपनी आंखों से भी नहीं बोलता. परफॉर्मेंस इतनी नपी-तुली कि उनके खामोशी भरे सीन्स में कुछ जगह 'वाह' बोलने का मन किया. माधवन, अक्षय, अर्जुन, संजय सब शानदार फॉर्म में हैं.
ल्यारी एक डार्क, रॉ, सीलन भरी बास मारता गैंगस्टरों का गढ़ है. और इसकी डिटेल्स, घटनाएं, कारस्तानियां आपको बांधे रखती हैं. कराची के गैंग वॉर, पाकिस्तान की पॉलिटिक्स. भारत के नोटों की नकल छापते पाकिस्तानी माफिया. मुंबई हमले की प्लानिंग, डेविड हेडली का रोल. सब फर्स्ट हाफ में सेट है. ये हिस्सा दो घंटे लंबा है. आपसे सब्र चाहता है. इसके बदले आपको एक दमदार फिल्म देता है.
तगड़ा है फिल्म का सेकंड हाफ
फर्स्ट हाफ में फिल्म हमजा को एक परफेक्ट स्पाई की तरह दिखाती है, जिसके एग्रेशन पर पूरी लगाम है. पाकिस्तान में भारत के खिलाफ चल रही साजिशें देख रहा है, लेकिन बड़े गुपचुप तरीके से इग्नोर कर रहा है और जानकारी भारत भेज रहा है. सेकंड हाफ उसके एक्शन में आने का पॉइंट है.
एक इम्पोर्टेन्ट सीन में हमजा एक लड़के को हथियार थमाता दिखता है. इस लड़के का नाम अजमल कसाब है. लड़का फिर भारत में हमला करता है और जानें लेता है. ये सीक्वेंस अपने आप में एक स्पाई स्टोरी को दमदार बनाने वाला सीक्वेंस है. हमजा को पाकिस्तान में अपना कवर भी रिवील नहीं करना, उसे भारत की रक्षा का वचन भी निभाना है. मगर 26/11 के बाद अब हमजा को कुछ बड़ा एक्शन करने की जरूरत है. वो एक्शन करता है, रहमान डकैत उसका निशाना है. रहमान गया तो कराची के गैंग वॉर का बैलेंस बिगड़ेगा. नए मौके बनेंगे, जहां से हमजा एंटी-इंडिया प्लानिंग पर बेहतर नजर और पकड़ रख सकता है.
सेकंड हाफ में यही मुद्दा है. अबतक अपनी एनर्जी पर कड़ी लगाम लगाते आए रणवीर सिंह को एक्शन सीन मिलते हैं. जिस टाइट तरीके से, रॉ एक्शन फिल्माया गया है वो दमदार है. क्लाइमेक्स के बाद आपको उठना नहीं है. क्योंकि वहीं पर आपको हमजा का रियल नाम बताया जाएगा. हम नहीं बताएंगे, थिएटर में देखिएगा. अभी हमजा के मिशन का एक पड़ाव पूरा हुआ है. अभी तो मेजर इकबाल बाकी है. कोई 'बड़े साहब' हैं जो पूरे एंटी-इंडिया ऑपेरशन के आका हैं. इनका भी इलाज बाकी है.
'धुरंधर' एक तगड़ी स्पाई ड्रामा फिल्म बन पड़ी है. आदित्य धर ने एक बार फिर दिखाया है कि उनकी फिल्ममेकिंग की धार कितनी पैनी है. थिएटर से निकलने के बाद अक्षय खन्ना की खूब बातें होंगी. रणवीर 'द एक्टर' की चर्चा होगी. लंबे सीन्स का एनालिसिस होगा. बीच-बीच में फिल्म भारतीय पॉलिटिक्स को भी एड्रेस करती है. इसके बारे में भी फिल्म देखने के बाद लोग अलग से चर्चा करते मिलेंगे. फेवर में भी, विरोध में भी. मगर बात करेंगे... क्योंकि फिल्म सॉलिड है. लंबाई थोड़ी ज्यादा जरूर है, मगर वो नैरेटिव को हेल्प ही करती है, कमजोर नहीं. म्यूजिक बहुत अपबीट है, लंबी फिल्म को स्लो नहीं लगने देता. गालियां भी काफी हैं, खून-खच्चर से कैनवास पेंट करने वाला मामला है. नहीं पचा पाने वाले सावधान हो जाएं. बच्चों को साथ लेकर ना जाएं 'A' रेटिंग वाली फिल्म है. कुल मिलाकर बात इतनी है―करवा लीजिए 'धुरंधर' का टिकट, मजा आएगा.
सुबोध मिश्रा