शाहिद कपूर स्टारर फिल्म जर्सी रिलीज को तैयार है. फिल्म 14 अप्रैल को रिलीज हो रही है. ये केजीएफ-2 के साथ बॉक्स ऑफिस पर क्लैश करेगी लेकिन दो बड़ी फिल्मों के एक ही दिन रिलीज से शाहिद बेफिक्र नजर आए. उनका कहना है कि अच्छी फिल्म चलती है. केजीएफ-2 अच्छी होगी तो चलेगी, जर्सी अच्छी होगी, तो वो भी चलेगी.
शाहिद कपूर बड़े बजट की फिल्में करने से बचते हैं और इसके पीछे उनके अपने तर्क हैं. वो कहते हैं कि मैं चाहूं तो बड़े बजट की फिल्म कर सकता हूं लेकिन मैं हमेशा कहानी की आत्मा की तलाश में रहता हूं, न कि उसके बड़े स्केल के लालच है. मैं इस पर यकीन नहीं रखता कि बहुत सारा पैसा खर्च करो, तो बहुत से दर्शक आएंगे. लोग बहुत स्मार्ट हैं, अगर अच्छी चीज मिल रही है, तो उसपर फोकस करते हैं. मैं हाई बजट फिल्में करने से डरता हूं क्योंकि कई चीजें आपके हाथों से निकल जाती हैं. उसमें बहुत से फैक्टर्स होते हैं.
तो क्या बॉक्स ऑफिस का प्रेशर उनपर बिल्कुल नहीं रहता? इस सवाल पर शाहिद फिल्म के लार्ज होने से ज्यादा उसकी क्वालिटी पर जोर देते हैं. वो कहते हैं कि मैं बॉक्स ऑफिस के महत्व को नकार नहीं रहा हूं लेकिन मेरा यही मानना है कि मैं अपने काम के जरिए लोगों का प्यार बटोर सकूं. मैं चाहता हूं कि मेरी फिल्म ऑडियंस के दिल को छू जाए, और दिल के मामले में नंबर कहीं पीछे रह जाते हैं.
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करियर में टाइमिंग और सक्सेस को लेकर भी शाहिद की अपनी अलग राय है. उनके मुताबिक ‘मुझे किसी करीबी ने कहा था कि जल्दी ज्यादा सक्सेस मिल जाती है, तो आपको कई चीजें समझ नहीं आतीं. लेट सक्सेस पाने वालों को पता होता है कि उतार-चढ़ाव आते रहेंगे. मैंने तो यही सीखा है कि लेट सक्सेस आपकी जिंदगी के लिए बेहतर है क्योंकि आपको एक अच्छा इंसान भी तो बनना है. बहुत कुछ सीखना भी है. सिर्फ सक्सेस लेकर आप उसका क्या करेंगे, जिंदगी भी तो जीना है.
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फिल्म में अपने किरदार के बारे में बात करते हुए शाहिद कहते हैं, अगर मैं बाप नहीं होता, तो शायद फिल्म के किरदार को ढंग से नहीं निभा पाता. यह फिल्म इसलिए भी मेरे दिल के करीब है क्योंकि मैं एक पैरेंट भी बन चुका हूं. अब रिश्तों को समझने लगा हूं. जब आप बेटे होते हैं, तो आपको कभी बाप का नजरिया समझ नहीं आता. बाप बनने के बाद आपको सारी बात समझ आ जाती है. पैरेंट बनने के पहले मैं एक अलग जिंदगी जी रहा था. पापा बनने के बाद मेरी जिंदगी की दूसरी शुरूआत हुई है. मैं जिम्मेदार हुआ हूं, मुझमें सजगता बढ़ी है.
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मोटी चमड़ी का होना पड़ता है
अपने करियर के लो फेज पर शाहिद के डाउनफॉल की कई खबरें चली थीं. कइयों ने उनके करियर के खत्म होने तक की बात कही थी. शाहिद के लिए इन खबरों ने भी बूस्टर का काम किया. वो बताते हैं, मैंने उस दौरान के कई आर्टिकल्स पढ़े थे. मैंने उनपर कभी नहीं यकीन किया. मैंने कभी नहीं सोचा कि मेरा करियर खत्म हो जाएगा. इस मामले में मैं बड़ा बेशर्म रहा. आपको मोटी चमड़ी का होना पड़ता है. मैं खुद को धक्का देता रहा. जब लोग मुझसे कहते हैं कि नहीं हो पाएगा, तो उनका यही स्टेटमेंट मेरे लिए पेट्रोल का काम करता था. मैं मन ही मन कहता था कि रुको मेरा टाइम आएगा. मैं तो अपने फेल्यॉर को ही अपना पेट्रोल मानता हूं, उसने मेरे अंदर की आग को बढ़ाया है. वहीं सक्सेसफुल होने के बाद आप ढीले पड़ जाते हैं.
नेहा वर्मा