लोकसभा चुनाव 2024 के बीच बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के पूर्व MLC यशवंत सिंह का निष्कासन वापस ले लिया है. 2022 में बीजेपी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. यशवंत सिंह के बारे में कहा जा रहा था कि वो घोसी लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने उनका निष्कासन समाप्त कर एक तीर से दो निशाने साध लिए. पहला तो आजमगढ़ में पार्टी के लिए सपोर्ट और दूसरा घोसी सीट से भावी चुनौती खत्म.
गौरतलब है कि यशवंत सिंह ने एमएलसी चुनाव में आजमगढ़- मऊ सीट से बीजेपी कैंडिडेट अरुणकांत यादव के खिलाफ अपने बेटे विक्रांत सिंह उर्फ रिशू को उतार दिया था. पार्टी के कहने पर भी पर्चा वापस नहीं लिया. जिसपर बीजेपी ने इसे अनुशासनहीनता माना और यशवंत के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की.
हालांकि, अब बीजेपी ने पूर्व MLC यशवंत सिंह को फिर से पार्टी में ले लिया है. माना जा रहा है कि ऐसा करके पार्टी ने ठाकुरों की कथित नाराजगी को दूर करने का काम किया है. साथ ही आजमगढ़ में अपना वोट बैंक और मजबूत किया है. क्योंकि, यशवंत सिंह का आजमगढ़ क्षेत्र में काफी प्रभाव है. ऐसे में उनके आने से पार्टी को मजबूती मलेगी.
ऐसा रहा है सियासी सफर
बता दें कि यशवंत सिंह पहले समाजवादी पार्टी में थे. सपा से पहले यशवंत बसपा में भी रह चुके हैं. लेकिन 2017 में बीजेपी की सरकार बनने पर वह भगवा पार्टी में शामिल गए. बाद में बीजेपी ने उन्हें MLC बनाया था. लेकिन बगावत के कारण पार्टी से बाहर कर दिए गए थे.
राजनीति गलियारों में एक चर्चा यह भी थी कि पार्टी से बाहर चल रहे यशवंत सिंह किसी दूसरे दल की सदस्यता ग्रहण कर सकते थे. लेकिन बीजेपी में वापसी ने इस सभी कयासों पर लगाम लगा दिया है, जिसका लोकसभा में पार्टी को असर दिखेगा.
शिल्पी सेन