मंडी सीट: कांग्रेस के गढ़ में क्या इस बार फिर खिलेगा कमल

Mandhi Loksabha Seat छोटा काशी के नाम से मशहूर मंडी लोकसभा सीट से वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद रह चुके हैं. इस सीट से 2014 में बीजेपी के रामस्वरूप शर्मा सांसद बने हैं.

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मंडी लोकसभा सीट मंडी लोकसभा सीट

विशाल कसौधन

  • मंडी,
  • 25 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 12:45 AM IST

हिमाचल प्रदेश की चार संसदीय सीटों में से एक मंडी लोकसभा सीट कई मायनों में अहम है. माना जाता है कि इस सीट जिस पार्टी का प्रत्याशी जीतता है, उसी पार्टी की सरकार देश में बनती है. खास बात है कि इस सीट पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अलावा वाम दलों की अच्छी पैठ है और हर चुनाव को वह त्रिकोणीय बना देते हैं. इस सीट से कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह दो बार सांसद रही हैं, फिलहाल यह सीट बीजेपी के पास है. सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इसी संसदीय क्षेत्र के सिराज सीट से विधायक हैं.

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छोटा काशी के नाम से मशहूर मंडी को पहले मांडव्य नगर के नाम से जाना जाता था. करीब 10 लाख आबादी वाला यह जिला व्यापार और वाणिज्य के सबसे व्यस्त केंद्रों में से एक है. यहां की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कृषि है. इस जिले की करीब 80 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है और वह चावल, दालों, बाजरा, चाय, तिल के बीज, मूंगफली, सूरजमुखी तेल और हर्बल उत्पादों का उत्पादन करते हैं. मंडी जिले की निचली पहाड़ियों में किसान सिल्क बनाते हैं. बाजार में सबसे कम दाम पर कच्चे रेशम मंडी के किसान ही उपलब्ध कराते हैं. मंडी में सबसे ज्यादा सेब का उत्पादन होता है. इसके अलावा यहां के लोग पर्यटन पर भी निर्भर हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

मंडी लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. इस सीट पर अभी तक हुए 15 चुनावों में से 10 बार कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. 1957 में इस सीट से कांग्रेस के जोगिन्दर सेन जीते थे. इसके बाद 1962 और 1967 में कांग्रेस के ललित सेन ने जीत दर्ज की. 1971 में इस सीट पर पहली बार वीरभद्र सिंह जीते, लेकिन 1977 का चुनाव वह बीएलडी के प्रत्याशी गंगा सिंह से हार गए. इसके बाद वीरभद्र सिंह ने फिर वापसी की और वह 1980 का चुनाव कांग्रेस (इंदिरा) के टिकट पर जीते. 1984 में कांग्रेस अपना दुर्ग बचाने में कामयाब रह और कांग्रेस के सुखराम जीते.

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1989 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला और बीजेपी के महेश्वर सिंह जीते. कांग्रेस ने फिर वापसी की और 1991 व 1996 का चुनाव फिर सुखराम जीते. 1998 और 1999 में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई और महेश्वर सिंह लगातार दो बार जीते. 2004 का चुनाव महेश्वर सिंह हार गए और कांग्रेस की प्रतिभा सिंह संसद पहुंचीं. 2009 के चुनाव में कांग्रेस के वीरभद्र सिंह ने जीत दर्ज की. इसके बाद 2013 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह फिर जीतीं, लेकिन वह 2014 का चुनाव बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा से हार गईं.

सामाजिक तानाबाना

मंडी लोकसभा सीट के अन्तर्गत 17 विधानसभा सीटें (भरमौर, लाहौल और स्पीति, मनाली, कुल्लू, बन्‍जार, आनी, करसोग, सुन्‍दरनगर, नाचन, सिराज,    दरंग, जोगिन्‍द्रनगर, मण्‍डी, बल्ह, सरकाघाट, रामपुर और किन्नौर) हैं. 2017 के विधासभा चुनाव में इनमें से बीजेपी ने 13 सीटों (भरमौर, लाहौल और स्पीति, मनाली, बन्‍जार, आनी, करसोग, सुन्‍दरनगर, नाचन, सिराज, दरंग, मण्‍डी, बल्ह, सरकाघाट) और कांग्रेस ने 3 सीटों (कुल्लू, रामपुर और किन्नौर) और निर्दलीय प्रत्याशी ने एक सीट (जोगिन्‍द्रनगर) पर जीत दर्ज की थी. भारत निर्वाचन आयोग की 2014 की रिपोर्टे के मुताबिक, इस लोकसभा क्षेत्र में 11.50 लाख वोटर हैं, जिनमें 5.87 लाख पुरुष और 5.62 लाख महिला वोटर हैं.

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2014 का जनादेश

लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी के रामस्वरूप शर्मा ने कांग्रेस की लगातार दो बार से सांसद रहीं कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को 39 हजार वोटों से मात दी थी. रामस्वरूप शर्मा को 3.62 लाख और प्रतिभा सिंह को 3.22 लाख वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर सीपीआई(एम) के कुशल भारद्वाज थे. उन्हें करीब 14 हजार वोट मिले थे. इससे पहले 2013 का उपचुनाव प्रतिभा सिंह ने करीब 1.36 वोटों से जीता था. उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को हराया था. 2014 में इस सीट पर 63 फीसदी मतदान हुआ था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

आरएसएस के सक्रिय सदस्य राम स्वरूप शर्मा, मंडी जिले के जोगिंद्रनगर के राजनीतिज्ञ हैं. वह हिमाचल प्रदेश राज्य खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. चुनाव में दिए हलफनामे के अनुसार, राम स्वरूप शर्मा के पास करीब एक करोड़ की संपत्ति है. इसमें 21 लाख की चल संपत्ति और 80 लाख की अचल संपत्ति शामिल है. उनके ऊपर 5 लाख रुपये की देनदारी थी.

जनवरी, 2019 तक mplads.gov.in पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा ने अभी तक अपने सांसद निधि से क्षेत्र के विकास के लिए 23.64 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. उन्हें सांसद निधि से अभी तक 26.31 करोड़ (ब्याज के साथ) मिले हैं. इनमें से 2.67 करोड़ रुपए अभी खर्च नहीं किए गए हैं. उन्होंने 92.75 फीसदी अपने निधि को खर्च किया है.

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