दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत के साथ 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है. बीजेपी की चुनावी जीत के पीछे एक रणनीतिकार होता है जो चुनाव लड़ने से लेकर उसके नतीजों के लिए भी जिम्मेदार होता है.
दिल्ली में बीजेपी की इस शानदार जीत के पीछे भी वही एक चाणक्य अमित शाह हैं, जिन्होंने हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिलाकर सत्ता पर काबिज कराया था. दिल्ली चुनाव में भी उनकी चाणक्य नीतियों को प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा जमीनी स्तर पर इंप्लीमेंट किया और उसका असर दिल्ली के विधानसभा चुनावों के नतीजों में साफ दिखाई दिया है. आम आदमी पार्टी पिछले 10 साल के अपने कामकाज को लेकर दिल्ली के चुनाव में जनता के बीच गई थी. उन्हीं कामकाजों पर बीजेपी ने भ्रष्टाचार के खुलासे करके आम आदमी पार्टी को इस कदर घेरा की सत्ता से बाहर कर दिया.
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर AAP को घेरा
साल 2013 में दिल्ली की सत्ता हासिल करने वाले अरविंद केजरीवाल ने जनता के बीच में ईमानदार और सिंपल इंसान की छवि बनाई थी, जिसे पिछले 10 सालों में शीशमहल और शराब नीति में केजरीवाल की सरकार और उनके मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने बीजेपी की रणनीति का हिस्सा थे. और इस रणनीति को जनता के बीच वीरेंद्र सचदेवा ने पहुंचाया.
नगर निकाय चुनाव के बाद मिली जिम्मेदारी
दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 में जब बीजेपी को 15 साल की सत्ता हाथ से गई. तब बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली की कमान, दिल्ली भाजपा उपाध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को सौंपी. सचदेवा बीजेपी के उपाध्यक्ष के पद पर थे और संगठन का अच्छा अनुभव था. पहले चांदनी चौक के जिला अध्यक्ष और मयूर विहार जिला की मंत्री भी रहे, लेकिन एक पंजाबी चेहरा होने के नाते 2022 दिसंबर के महीने में उनको कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई और 3 महीने में आम आदमी पार्टी को हर मोर्चे पर घेरना वीरेंद्र से चुनौती थी. संगठन को मजबूत करना और एक ऐसी टीम बनाना जो लोकसभा में सभी सातों सीटें जीता सके.
इसके बाद उन्होंने अपनी टीम बनाई उस टीम ने कई महामंत्रियों को लोकसभा का चुनाव लड़ाया और जीत भी दिलाई, लेकिन लोकसभा में जीत के बाद वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दीं. शराब नीति की जांच से लेकर अरविंद केजरीवाल के जेल जाने तक सड़कों से लेकर विधानसभा तक रोज प्रदर्शन किया, आलम ये था एक दिन में बीजेपी कार्यकर्ताओं को एक करना और फिर अरविंद केजरीवाल की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया.
महामंत्री झुग्गी प्रवास की दी जिम्मेदारी
अरविंद केजरीवाल के चुनाव जीतने का सबसे बड़ा फैक्टर झुग्गी झोपड़ी का वोट बैंक था, जिसमें सेंध लगाने की जिम्मेदारी बीजेपी ने वीरेंद्र सचदेवा को दी. सचदेवा ने झुग्गी फैक्टर पर काम करने के लिए महामंत्री विष्णु मित्तल को जिम्मेदारी दी, उन्होंने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में झुग्गियों और बस्तियों में जाकर समस्या समझी और उन समस्या को मुद्दा बनाकर पार्टी के सामने रखा.
इसके बाद सचदेवा ने सभी सांसदों और कार्यकर्ताओं को झुग्गियों में समस्याओं को सुनने के लिए घर-घर भेजा और लोगों के पानी की किल्लत, बड़े बिजली के बिल, जहां झुग्गी वहीं मकान के वादा से अवगत कराया. जिससे बीजेपी ने केजरीवाल के झुग्गी फैक्टर का तोड़ निकाल लिया और वोट बैंक में सेंध लगाकर सत्ता से बेदखल कर दिया.
खुद चुनाव न लड़ना
चुनाव की तारीख को के ऐलान होने के साथ वीरेंद्र सचदेवा ने यह फैसला किया कि अगर दिल्ली का चुनाव जीतना है तो कार्यकर्ताओं को एक होना पड़ेगा. ऐसे में उन्होंने खुद चुनाव न लड़ने का फैसला लिया, जिससे उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच में एक बड़ा संदेश दिया और जिन कार्यकर्ताओं को टिकट की उम्मीद थी. उन्होंने टिकट न मिलने पर विरोध कम किया और पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन और चुनाव में मदद की.
साथ ही उन्होंने पार्टी दफ्तर में रहकर रैलियों के व्यवस्था भी की कि कहां केंद्रीय नेतृत्व की रैली होनी है और कहां मुख्यमंत्री की रैली करानी है. उन सब पर एक रणनीति तैयार की और आम आदमी पार्टी के आरोप-प्रत्यारोप रूप में पलटवार करने की जगह केजरीवाल को उनकी गवर्नेंस पर घेरा. बीजेपी ने यमुना, साफ-सफाई कूड़े के पहाड़ के मुद्दे पर केजरीवाल को घेरा और पूरा चुनाव हिंदू-मुसलमान पर नहीं, बल्कि आप सरकार के कार्यों पर केंद्रित किया.
डेढ़ लाख कार्यकर्ता बनाए
चुनाव से पहले बीजेपी ने दिल्ली में डेढ़ लाख नए कार्यकर्ता जोड़े थे, जिसका फायदा पोलिंग बूथ पर बीजेपी को हुआ और आम आदमी पार्टी की वोटिंग वाले दिन टेबल पर कार्यकर्ता नजर नहीं आए. जबकि बीजेपी के पोलिंग बूथ कार्यकर्ताओं से भरे हुए थे.
सांसदों को दी जिम्मेदारी
वीरेंद्र सचदेवा ने लोकसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद अपने दो सांसद कमलजीत सेहरावत और योगेंद्र चंदोलिया को बाहरी दिल्ली की एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. जिन्होंने गांव-देहात की समस्या, किसानों का बिजली का बिल समेत हर छोटी-मोटी समस्या को उठाया और इसको लेकर बीजेपी ने सड़कों पर प्रदर्शन किया. जिससे जनता को ये मैसेज गया कि केजरीवाल सरकार ने कुछ काम नहीं किया. इसका सीधा फायदा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हुआ. योगेंद्र सिंह में अपनी लोकसभा सीट से 8 विधानसभा सीटों पर जीत दिलाई है और कमलजीत ने 9 सीटों पर जीत दिलाई है.
सुशांत मेहरा