'AAP समर्थकों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं', आतिशी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने दी सफाई

यह आरोप तब लगा जब AAP ने दावा किया कि कुछ क्षेत्रों में उनके समर्थकों के नाम मतदाता सूची से गायब पाए गए हैं. इस मुद्दे पर दिल्ली निर्वाचन कार्यालय ने सफाई दी है और बताया कि मतदाता सूची में नाम हटाने की प्रक्रिया क्या होती है. 

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सीएम आतिशी ने लगाए थे AAP समर्थकों के वोटर लिस्ट में से नाम काटने के आरोप सीएम आतिशी ने लगाए थे AAP समर्थकों के वोटर लिस्ट में से नाम काटने के आरोप

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:04 PM IST

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच वोटर लिस्ट विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ आप नेता आतिशी ने पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की शह पर चुनाव आयोग उनके समर्थकों के नाम वोटर लिस्ट से हटा रहा है. 

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यह आरोप तब लगा जब AAP ने दावा किया कि कुछ क्षेत्रों में उनके समर्थकों के नाम मतदाता सूची से गायब पाए गए हैं. इस मुद्दे पर दिल्ली निर्वाचन कार्यालय ने सफाई दी है और बताया कि मतदाता सूची में नाम हटाने की प्रक्रिया क्या होती है. 

क्या होती है वोटर लिस्ट से नाम काटने की प्रक्रिया?
यह बताया गया है कि अगर कोई मतदाता स्थायी रूप से शिफ्ट हो चुका है या उसकी मृत्यु हो चुकी है, तो संबंधित विधानसभा क्षेत्र का कोई भी मतदाता फॉर्म-7 दाखिल कर सकता है और ऐसी प्रविष्टियों पर आपत्ति लगा सकता है. फॉर्म-7 दाखिल करने के बाद, आपत्ति करने वाले और जिस व्यक्ति के नाम पर आपत्ति है, दोनों को स्पीड पोस्ट के जरिए नोटिस जारी किए जाते हैं, सिवाय पंजीकृत मृत्यु मामलों के. अगर मतदाता उस नोटिस का कोई जवाब नहीं देता है तो उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाता है.

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बिना नाम कटवाए भी बदला जा सकता है पता

अगर किसी भी मौजूदा मतदाता के विवरण में किसी तरह का संशोधन करना है, जैसे कि निवास स्थान का स्थानांतरण, मौजूदा वोटर लिस्ट में प्रविष्टियों का सुधार, बिना सुधार के रिप्लेसमेंट EPIC जारी करना या दिव्यांगता के रूप में चिह्नित करना, तो फॉर्म-8 के साथ सहायक दस्तावेज जमा किए जा सकते हैं. 

इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि कोई भी मतदाता एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में या किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक बार नाम नहीं रख सकता है. यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 और 18 के तहत एक दंडनीय अपराध है. अगर किसी मतदाता के विभिन्न स्थानों पर एकाधिक प्रविष्टियां हैं या एकाधिक वोटर आईडी कार्ड हैं, तो उसे ऐसी सभी प्रविष्टियों के लिए फॉर्म-7 में आवेदन करना होगा.

इस स्पष्टीकरण से यह साफ हो गया है कि नाम हटाने की एक तय प्रक्रिया है. जिसमें अलग अलग स्तर पर पूरी तरह से निर्वाचन आयोग की नज़र होती है और ये उन्हीं के निर्देशों के तहत की जाती है.
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