मिसाइलमैन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की आज जयंती है. अब्दुल कलाम की उपलब्धियों के बारे में आपने बहुत कुछ पढ़ा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं एक बार कलाम साहब भी एक इंटरव्यू में फेल हो गए थे. हालांकि उसके बाद वो रुके नहीं बल्कि अपने सपनों को पूरा किया, जो आज भारत ही नहीं दुनिया के लिए मिसाल से कम नहीं है.
बता दें कि उन्हें पायलट के एग्जाम में फेल हो जाने की वजह से एयरफोर्स में नौकरी भले ही न मिली हो, लेकिन पुणे में उनके प्लेन उड़ाने का सपना पूरा हुआ था.
वे 74 साल की उम्र में किसी लड़ाकू विमान में सफर करने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति थे. उन्होंने 8 जून 2006 को सुपर सोनिक लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरी थी.
दरअसल वे बचपन से प्लेन उड़ाना चाहते थे, लेकिन एक बार वो एसएसबी इंटरव्यू में नाकाम रहे थे, जिसकी वजह से उनकी एयरफोर्स में नौकरी नहीं लगी. उन्होंने अपनी किताब विंग्स ऑफ फायर में इसका जिक्र किया है.
उन्होंने किताब में बताया कि इंजीनियरिंग करने के बाद एयरफोर्स या डीआरडीओ जॉइन करके अपना सपना पूरा करने का मौका मिला था.
हालांकि वो एयरफोर्स के इंटरव्यू को क्रैक नहीं कर पाए थे. इस पोस्ट के लिए कुल 8 सीटें थी और उन्हें 9वां स्थान मिला था, जिसकी वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिली. इस दौरान 25 लोगों ने इंटरव्यू में भाग लिया था और फेल होने के बाद वो काफी निराश हुए थे.
बता दें कि कलाम ने एयरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था और वो भारत के हल्के लड़ाकू विमान तैयार करने की परियोजना से भी जुड़े रहे थे.