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Explainer: आज से मेडिकल काउंसिल की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन, जानिए क्या बदलेगा

aajtak.in
  • 25 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST
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प‍िछले साल डॉक्टरों के कड़े प्रतिरोध का सामना करने के बाद संसद के दोनों सदनों में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल पारित किया गया था . चिकित्सा शिक्षा को विनियमित करने वाली केंद्रीय मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) को रद्द करके इसकी जगह पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) का गठन किया गया. अब देश में मेडिकल शिक्षा और मेडिकल सेवाओं से संबंधित सभी नीतियां बनाने की कमान इस कमीशन के हाथ में होगी.

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कमीशन का पहला अध्यक्ष डॉ सुरेश चंद्र शर्मा को बनाया गया है. डॉ सुरेश चंद्र शर्मा एम्स दिल्ली में ईएनटी के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं, अब वो सेवानिवृत्त हैं. उन्हें तीन साल की अवधि के लिए एनएमसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है. अध्यक्ष के अलावा, NMC में 10 पदेन सदस्य और 22 अंशकालिक सदस्य होंगे, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा. 

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बता दें कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC), एक नया निकाय है जो गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से केंद्र सरकार के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स-मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (BoG-MCI) को भंग करने के एक दिन बाद शुक्रवार से देश में चिकित्सा शिक्षा के शीर्ष नियामक के रूप में कार्य कर रहा है. 

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एनएमसी की स्थापना चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने के लिए एक सरकारी कदम है. बता दें क‍ि सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद 2018 में MCI को भंग कर दिया था और इसे एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में बदल दिया था, जिसकी अध्यक्षता Niti Aayog के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने की थी. 

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निकाय भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमसी) अधिनियम, 1956 के तहत कार्य कर रहा था. अब डॉ पॉल ने कहा कि बोर्ड ऑफ गवर्नर  "BoG-MCI को भंग कर दिया गया है और NMC ने शुक्रवार से इसकी जगह ले ली है. वैसे ही IMC एक्ट की जगह NMC अधिनियम ने ले ली है. बता दें कि ये अध‍िनियम 8 अगस्त, 2019 को अस्तित्व में आया था. 

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ये थे कानून के विरोध के खास बिंदु
एक्ट के तहत छह महीने का एक ब्रिज कोर्स लाया जाएगा जिसके तहत प्राइमरी हेल्थ में काम करने वाले भी मरीज़ों का इलाज कर पाएंगे. इसे लेकर कहा जा रहा था कि झोलाछाप डॉक्टरों का जाल फैलने के आसार बढ़ जाएंगे. हड़ताल करने वाले डॉक्टर का कहना था कि ग्रेजुएशन के बाद डॉक्टरों को एक परीक्षा देनी होगी और उसके बाद ही मेडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस मिल सकेगा. इसी परीक्षा के आधार पर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए दाखिला होगा. अगले तीन वर्षों में एग्जिट परीक्षा लागू कर दी जाएगी. ये डॉक्टर बनने की राह को बेहद कठिन कर देगा. 

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इस बात पर भी आपत्ति उठी थी कि एनएमसी निजी मेडिकल संस्थानों की फ़ीस भी तय करेगा लेकिन 60 फ़ीसदी सीटों पर निजी संस्थान ख़ुद फ़ीस तय कर सकते हैं. एक बिंदु ये भी था कि नेशनल मेडिकल कमीशन में 25 सदस्य होंगे. अब सरकार द्वारा गठित एक कमेटी इन सदस्यों को मनोनीत करेगी. मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के अधिकारियों की नियुक्ति चुनाव से होती थी और इसमें अधिकतर डॉक्टर सदस्य होते थे. 

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