Advertisement

एजुकेशन

ऐसे तैयारी करके गली ब्वॉय से IAS बन गया ये लड़का, पाई 77वीं रैंक

मानसी मिश्रा
  • 17 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST
  • 1/9

जोधपुर की गलियों में क्रिकेट खेलने वाला एक लड़का जो पढ़ाई में एकदम एवरेज था. जब भी कोई कहता कि बड़े होकर क्या बनोगे, वो बस यही कहता कि मुझे बड़ा ही नहीं होना. ये लड़का है दिलीप प्रताप सिंह शेखावत, जो दो UPSC के दो अटेंप्ट में नाकाम हुआ तो लोगों ने कहा कि तुमसे न हो पाएगा, लेकिन दिलीप ने कहा कि अपना टाइम आएगा. इस तरह तीसरे प्रयास में यूपीएससी 2018 में 77वीं रैंक पाई, जानें किस तरह तैयारी करके दिलीप ने सफलता पाई.

फोटो: अपने माता-पिता के साथ दिलीप
Image credit: Facebook

  • 2/9

दिलीप प्रताप सिंह शेखावत ने एक इंटरव्यू में कहा कि हां, मैं

गली ब्वॉय से आईएएस बना. बड़े होने के सवाल पर मैं कहता था कि मुझे बचपन में ही मजा आ रहा है. मुझे बड़े होने की चिंताएं देखनी ही नहीं है. लेकिन 12वीं क्लास के बाद मेरे सामने चिंता आई कि क्या करूं. फिर एक इंजीनियरिंग कॉलेज NIT राउरकेला में केमिकल इजीनियरिंग करने चला गया. एक समय आया कि लगा कि घर वापस चला जाऊं.

Image credit: Facebook

  • 3/9

वहां से वापस न लौटकर फाइनल इयर में कैंपस प्लेसमेंट से नौकरी ले ली. लेकिन यहां सीनियर से ये सुना कि आईएएस ऐसा क्षेत्र है जहां आप समाज सेवा के साथ एक नोबल जॉब कर सकते हैं. लेकिन, अपना बैक ग्राउंड देखकर कभी महसूस नहीं होता था कि मैं ये कर पाऊंगा. उस पर मैं एकेडिमकली भी अच्छा नहीं था. कॉलेज में कई सब्जेक्टस में फेल हुआ था. ऐसे में सबसे जरूरी था कि घरवालों की मंजूरी होनी चाहिए.

Image credit: Facebook

Advertisement
  • 4/9

घरवालों ने दिया साथ

कॉलेज से ज्वाइनिंग के बीच का जो समय था उस दौरान  घरवालों से राय मांगी तो उन्होंने कहा कि जो करना है करो, हम संभाल लेंगे. तब मैंने तय किया कि जिंदगी एक ही है, रिस्क लेना है तो अभी ले लो, आगे ये मौका नहीं आएगा. बस वहां से सामान बांधा और दिल्ली निकल गया. यहां दिल्ली में आकर देखा कि यहां पहले से ही लाखों की तादाद में लोग हैं, सब स्टडी मैटेरियल खरीद रहे हैं.

Image credit: Facebook

  • 5/9

ये मेरे लिए अद्भुत अनुभव था. यहां आकर मैं डिप्रेशन में चला गया कि कैसे अच्छे अच्छे घरों से लागे आए हैं. कितना पढ़े हैं, जब ये नहीं कर पा रहे तो मैं कैसे करूंगा. फिर सोचा कि अब वापस गया तो आईने में खुद को नहीं देख पाऊंगा. हमेशा यही सोचूंगा कि मैं कुछ नहीं कर पाया. आया हूं तो एक अटेंप्ट देकर जाऊं.

Image credit: Facebook

  • 6/9

यहां मैंने एक चीज पर ध्यान दिया कि मेहनत पूरी करनी है बाकी अल्लाह मालिक है. इस तरह तैयारी करके प्री दिया तो  

पहले अटैंम्पट में ही प्री में फेल हो गया. इस इतनी बड़ी हार ने मुझे भीतर तक तोड़ दिया. किसी परीक्षार्थी का पहली बार प्री में ही फेल होना बहुत बड़ा सेट बैक होता है. आसपास के लोगों ने कहा कि इसी दौरान कहा कि तुमसे नहीं हो पाएगा. लेकिन मैंने हौसला बांधा और कहा कि अपना टाइम आएगा. उसमें मेरे घर वालों ने भी साथ दिया.

Image credit: Facebook

Advertisement
  • 7/9

अब बारी आई दूसरे अटेंप्ट की तो मैंने ध्यान दिया कि जो गलतियां पहले की हैं, उन्हें नहीं दोहराना है. अब सेकेंड अटेंप्ट में इंटरव्यू की स्टेज तक पहुंचा. लेकिन, इंटरव्यू इतना बड़ा हौव्वा है कि पूछो मत. सब ऐसे डराने की कोशिश करेंगे कि ये पूछ लिया जाएगा, पर्सनल सवाल हो जाएंगे आदि आदि. मैं नर्वस हो गया था उन्हें सुनकर. कॉन्फीडेंस से ज्यादा नर्वसनेस चल रही थी. जब ये भाव मेरे दिमाग में आता था तो सोचता था कि किसी भी तरह UPSC की सर्विस में आ जाऊं. फिर वही हुआ जिसका डर भीतर था. मेरा इंटरव्यू में नहीं हुआ. इसके पीछे सीधा कारण था कि भीतर से मैं बहुत कमजोर था, ऊपर ऊपर मजबूत दिखा रहा था. लेकिन इस फेलियर से मैंने सीखा कि अपने आपको पहले से ही निगेटिव कर लेना सबसे बड़ी हार है.

Image credit: Facebook

  • 8/9

अब हकीकत ये थी कि वापस मैं शून्य में आ गया था. दो अटेंप्ट में फेल होने के बाद घरवालों का सपोर्ट भी कम हो रहा था. वो भी सोच रहे थे कि किस कठिन एग्जाम की चुनौती ले ली. रिजल्ट से सिर्फ मैं नहीं पूरा परिवार टूटा. जब वो दुख की घड़ी थी तो मेरी मां ने मेरा साथ दिया. मां ने कहा कि इतना आगे निकल गए हो तो अब पीछे मत जाओ, एक छलांग मारो और आगे बढ़ जाओ. उनके एक वाक्य से मैंने निराशा के भाव को हराया और फिर से तैयारी शुरू कर दी. एक महीने बाद ही प्री दिया और उसमें सेलेक्शन हो गया.

फोटो: बीटेक के अपने बैच के साथियों के साथ दिलीप
Image credit: Facebook

  • 9/9

इसलिए हुआ चयन

मेन्स के लिए मेहनत की और इंटरव्यू के वक्त कॉन्फीडेंट था कि मेरे भीतर वो सारी क्वालिटी थी जो एक सिविल सर्वेंट में होनी चाहिए थी. मुझे समझ आ गया था कि सेल्फ डाउट आपको सफल बनाने से रोकती है. फाइनल रिजल्ट में मैंने देखा कि 77 रैंक में मेरा चयन हुआ था. आज ऐसा लग रहा था कि गली क्रिकेट और गली फुटबाल खेलने वाला गली ब्वॉय आईएएस बनने का सपना पूरा कर चुका है. बहुत लोगों ने ताने मारे, परिवार को परेशान करने की कोशिश की. लेकिन, मुझे आईएएस बनना ही था और किसी भी कीमत में बनना था. अब आगे पूरी निष्ठा से अपना काम करना है.

Photo: Took Blessings from Hh Maharaja Gaj Singh ji of Jodhpur  at Umaid Bhawan Palace.

Image credit: Facebook

Advertisement
Advertisement

लेटेस्ट फोटो

Advertisement