जब हुई पिता की मृत्यु
लक्ष्मी के जीवन का सबसे मुश्किल साल 2012
था जब उनके भाई को टीबी हो गई थी. जिसके
बाद डॉक्टर ने जवाब दे दिया था कि उनका भाई
ज्यादा समय तक नहीं जी सकेगा. ये खबर
उनके पिता नहीं सह पाए और उन्हें हार्ट
अटैक आ गया. जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई.
बता दें, लक्ष्मी का घर उनके पिता की कमाई
से ही चलता था. जिसके बाद उनकी
आर्थिक स्थिति और खराब होती चली गई.
एसिड अटैक के बाद किए ये कोर्सेज
लक्ष्मी के सपने काफी बड़े थे वह एक सिंगर
बनना चाहती थी, लेकिन किस्मत को कुछ और
ही मंजूर था. एसिड अटैक के 2 साल बाद उन्होंने
10वीं कक्षा में एडमिशन लिया. जिसके बाद उन्होंने
अपनी 10वीं की पढ़ाई की. साल
2009 में उन्होंने बेसिक कंप्यूटर कोर्स, सिलाई
कोर्स, ब्यूटीशियन कोर्स किया. इस बात को जानकर आप
अंदाजा लगा चुके होंगे कि इतना दर्द सहने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं
मानी.
पिता की मौत के बाद किया नौकरी करने का फैसला
पिता के दुनिया से चले जाने के बाद साल 2012
के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. घर
की आर्थिक स्थिति खराब थी, ऐसे में उन्होंने
नौकरी करने का फैसला किया. यही वो समय था
जब उन्हें मालूम चला कि उनके लिए नौकरी पाना
कितना मुश्किल है.
सर्टिफिकेट के सहारे खोजी नौकरी, नहीं मिली
लक्ष्मी के पास उस वक्त बेसिक कंप्यूटर कोर्स,
सिलाई कोर्स, ब्यूटीशियन कोर्स सर्टिफिकेट्स के
अलावा कुछ भी नहीं था. वह इन्हीं सर्टिफिकेट्स
के सहारे नौकरी खोजने निकली थी. उनकी मां
भाई को लेकर अस्पताल के चक्कर लगा रही थी
और यहां वह नौकरी के लिए भटक रही थी. लक्ष्मी ने
बताया- मुझे मेरे सर्टिफिकेट्स के अनुसार कहीं
नौकरी नहीं मिली. लोगों ने मुझे नौकरी देने से
मना कर दिया.
लोगों ने कहा- "चेहरे से डरेंगे सब"
जैसे- तैसे उन्होंने एक कॉल सेंटर में नौकरी के
लिए संपर्क किया. जहां उन्हें निराशा के साथ ऐसे
शब्द सुनने को मिले जो हमारे समाज की
मानसिकता को दर्शाते हैं. एक इंटरव्यू में लक्ष्मी
ने बताया कि- जब मैं कॉल सेंटर में नौकरी
मांगने गई थी और वहां मुझे ये कहा गया कि-
"लोग आपके चेहरे से डरेंगे". जब मैंने उनसे कहा-
एक बात बताइए फोन में कोई थोड़े ने डरता है,
फोन में कस्टमर बात करेगा न, चेहरा तो नहीं
देखेगा'. जिसके बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली.
फोटो: (Capturing Moment Image)
लोग करते थे लंबी पूछताछ
लक्ष्मी के लिए नौकरी मिल पाना बिल्कुल भी
आसान नहीं था. उन्होंने बताया कि बहुत सारे
लोग मेरे बारे में पूछताछ करते थे, सवाल करते
थे कि मेरे साथ ये सब हादसा कैसे हुआ. फिर
कहते थे नौकरी के बारे में बताएंगे, लेकिन आज
तक उनका कोई जवाब नहीं आया.
फोटो: (Capturing Moment Image)
नके जीवन में कई उतार चढ़ाव आए जिसके बाद
वह एक कैपेंन "Stop Sale Acid"
से जुड़ी. जिसकी शुरुआत आलोक दीक्षित ने की
थी. आपको बता दें, आलोक दीक्षित और लक्ष्मी को आपस में प्यार हो गया था. जिसके बाद दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहते थे. दोनों की एक
बेटी है.
साल 2014 में दोनों
ने एक- दूसरे से अलग हो गए थे.
आपको बता दें, इस कैपेंन और लक्ष्मी की बदौलत
स्थानीय दुकानों में एसिड और कैमिकल की बिक्री
को लेकर भारत में सख्त कानून बना. जिसके बाद
एसिड वही खरीद और बेच सकता जिसके पास
लाइसेंस और आईडी प्रूफ होगा. लक्ष्मी ने बताया कि आज भी कई जगहों पर
एसिड खुलेआम बेचा रहा है. उनका कहना है कि एसिड बिके या न बिके, लेकिन एसिड लोगों के दिमाग में हैं.
आपको बता दें, 2014 में लक्ष्मी को मिशेल ओबामा के हाथों इंटरनेशनल विमेन ऑफ करेज अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
कैसे हुआ था एसिड अटैक
एसि़ड अटैक
लक्ष्मी पर साल 2005 में दिल्ली के खान मार्केट में हुआ था. उस वक्त उनकी उम्र 15 साल की थी. बता दें, लक्ष्मी पर ये हमला बस इसलिए हुआ था क्योंकि उन्होंने एक लड़के से शादी करने का प्रपोजल ठुकरा दिया था.
बीयर की बोतल में था एसिड, ऐसे फेंका मुंह पर
लक्ष्मी ने बताया कि वह रोज की तरह ही अपने काम से खान मार्केट की ओर जा रही थी जहां वो लड़का और उसके छोटे भाई की गलफ्रेंड दोनों मेरा इंतजार कर रहे थे. जिसके बाद मुझे फॉलो करना शुरू कर दिया. वो समय सुबह करीब 10:45 का था. लक्ष्मी ने बताया कि जहां- जहां मैं जा रही थी दोनों मेरे पीछे आ रहे थे. जिसके बाद मैंने सड़क पार की, और उन दोनों ने भी वहीं से ही सड़क पार की. बता दें, लक्ष्मी ने नोटिस कर लिया कि एक लड़की घूर- घूर कर देख रही है, लेकिन उन्होंने उस लड़की ने इतना ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद लक्ष्मी आगे बढ़ने लगी. अचानक लक्ष्मी ने उन्हें अपनी ओर आते देखा और 1 सेकंड में सबकुछ खत्म हो गया. फिर उस लड़की ने मेरे मुझे पकड़ा और धक्का मारा और ग्लास से एसिड मेरे चेहरे पर फेंके दिया. जिसके बाद मैं बेहोश हो गई. लक्ष्मी ने बताया कि जब मुझे होश आया तो ऐसा महसूस हो रहा था कि किसी ने मुझे जिंदा जला दिया.
आज भले ही एसिड के घाव भर गए हों, लेकिन वो तड़प और दर्द और आज लक्ष्मी की आंखों के सामने जिंदा है. वहीं लक्ष्मी ने बताया मैंने कभी हार नहीं मानी. क्योंकि मेरे पिता कहते थे:- "इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है, सबकुछ मुमकिन ही मुमकिन है."