देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. हर रोज कोरोना वायरस के नए मामले सामने आ रहे हैं. वहीं कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हैं. ऐसे में गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के बाद गुजरात सरकार ने कहा है कि जब तक स्कूल बंद हैं, फीस नहीं ली जाएगी. वहीं ये नियम अभी गुजरात के लिए है. आइए जानते हैं फीस को लेकर स्कूलों- कॉलेजों से क्या चाहते हैं छात्र और पेरेंट्स. क्या हैं उनके रिएक्शन.
पैरेंट्स का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण सब परेशान हैं. सब लोग नौकरी, कारोबार व वेतन में कट जैसी समस्या से जूझ रहे हैं. तो स्कूलों द्वारा डिस्टैन्स लर्निंग की पूरी फीस मांगना कैसे न्यायसंगत है? जहां हर कोई परेशान है. वहीं ट्विटर पर हैशटेग #FeesKamKarona ट्रेंड कर रहा है.
एक यूजर ने लिखा है, हम इस टेंशन के माहौल में स्कूल फीस का भुगतान करने के लिए तैयार हैं, लेकिन स्कूल वाले ट्यूशन फीस के तहत ओवरचार्ज कर रहे हैं जिसमें भोजन, खेल और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज शामिल हैं. यह अनैतिक है.
स्कूल ही नहीं, कॉलेज के छात्र भी फीस को लेकर परेशान हैं. एक यूजर ने लिखा है. जहां पूरी दुनिया के बड़े- बड़े वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन को खोजने में लगे हैं वहीं यूनिवर्सिटीज फीस की मांग कर रही हैं.
यूजर आयुशी ने लिखा, हमारे कॉलेज की मालिनी किशोर संघवी, जुहू ने सरकार द्वारा नोटिस की अनदेखी करते हुए अपनी फीस में 12% की बढ़ोतरी कर दी है. वहीं प्रशासन किश्तों में फीस लेने के लिए राजी नहीं है. फीस भरने की आखिरी तारीख 25 जुलाई है.
एक यूजर ने लिखा, अधिकांश परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, लेकिन कॉलेज अपने छात्रों को पूरी फीस जमा करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. कॉलेजों को इस स्थिति को समझना चाहिए और केवल 30-40% फीस लेनी चाहिए और उन लोगों के लिए फीस को कम करना चाहिए जो अभी जमा करने में सक्षम नहीं हैं.
यूजर आकाश सिन्हा ने अरविंद केजरीवाल से आग्रह करते हुए कहा है, प्राइवेट और सेमी प्राइवेट कॉलेज में ऑनलाइन क्लास के लिए अधिक फीस की मांग कर रहे हैं.