विजयदशमी यानी दशहरे के दिन ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी गई थी. दिन था 27 सितंबर, 1925 जब दशहरे के मौके पर मुंबई के मोहिते के बाड़े नामक जगह पर डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने आरएसएस की नींव रखी थी. ये RSS की पहली शाखा थी जो संघ के पांच स्वयंसेवकों के साथ शुरू हुई थी. आज पूरे देश में 50 हजार से अधिक शाखाएं हैं. आइए जानें- आरएसएस से जुड़ी कुछ और जानकारियां.
(फोटो: प्रतीकात्मक)
आपको बता दें कि सबसे पहले 50 साल बाद 1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो तत्कालीन जनसंघ पर भी संघ के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया. आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केन्द्र में मोरारजी देसाई की मिलीजुली सरकार बनी. तब से धीरे-धीरे इस संगठन का राजनैतिक महत्व बढ़ता गया और इसी से फलस्वरूप भाजपा जैसे राजनैतिक दल को जीवन मिला जिसे आमतौर पर संघ की राजनैतिक शाखा के रूप में देखा जाता है.
(फोटो: डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार)
संघ की स्थापना के 75 वर्ष बाद सन् 2000 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन की सरकार बनी. फिर 2014 में संघ की छत्रछाया में एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी, जो कि इस साल 2019 में अपने दूसरे कार्यकाल में है.
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जानें- आरएसएस के बारे में ये तथ्य:
संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार
स्थापना वर्ष- विजयदशमी, 1925
मुख्यालय- नागपुर (महाराष्ट्र)
वर्तमान प्रमुख: मोहन भागवत, सरसंघचालक
उद्देश्य- हिंदू राष्ट्रवाद और हिंदू परंपराओं को कायम रखना
ये है वेबसाइट- rss.org
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संघ में संगठनात्मक रूप से सबसे ऊपर सरसंघचालक का स्थान है. सर संघचालक की नियुक्ति मनोनयन द्वारा होती है. हर सर संघचालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है. वर्तमान में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत हैं.
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संघ में शाखा का खास रोल है जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर सुबह या शाम के समय एक घंटे के लिये स्वयंसेवक मिलते हैं. वर्तमान में पूरे भारत में संघ की लगभग 55 हजार से ज्यादा शाखा लगती हैं. असल मायने में शाखा संघ की बुनियाद माना जाता है. जिसके पर इतना विशाल संगठन खड़ा हुआ है. शाखा की सामान्य गतिविधियों में खेल, योग, वंदना और भारत एवं विश्व के सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा-परिचर्चा शामिल है.
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ऐसे लगती है शाखा
आरएसएस की शाखा मैदान या खुली जगह पर लगती है. शाखा में व्यायाम, खेल, सूर्य नमस्कार, समता (परेड), गीत और प्रार्थना होती है. ये शाखाएं प्रभात, सायं, रात्रि, मिलन, संघ मंडली के नाम से जानी जाती हैं.
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