भारत में 1872 से जनगणना शुरू हुई थी. इसके बाद 2011 की जनगणना देश की 15 वीं राष्ट्रीय जनगणना थी. इस जनगणना में गांव, शहर और वार्ड स्तर पर प्राथमिक आंकड़े निकाले गए थे. इस जानकारी से केंद्र और राज्य सरकारों के लिए पॉलिसी बनाने या निर्माण कार्य के लिए मदद मिलती है. व्यापक रूप से इसका इस्तेमाल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, विद्वानों, व्यापारिक लोगों, उद्योगपतियों और कई अन्य लोगों द्वारा किया जाता है.
जानें- कौन करता है जनगणना
सुरक्षित होंगी आपकी जानकारियां
जनगणना के तहत एकत्र की गई सभी जानकारी गोपनीय हैं जो कि किसी भी एजेंसी (सरकारी या निजी) के साथ साझा नहीं की जाएंगी. NPR के तहत एकत्र की गई कुछ जानकारी स्थानीय क्षेत्रों में सार्वजनिक जांच और आपत्तियों को आमंत्रित करने के लिए प्रकाशित होगी. ये मतदाता सूची या टेलीफोन निर्देशिका की प्रकृति में है. NPR को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, डेटाबेस का उपयोग केवल सरकार ही कर सकती है.
ये है जनगणना की पूरी प्रक्रिया
जनगणना प्रक्रिया के दौरान तैनात कर्मचारी हर घर में जाकर उनसे जनगणना के लिए जरूरी सभी जानकारियां एकत्र करेंगे. वो लोगों से जनगणना प्रपत्रों को भरकर इकट्ठा करेंगे. इस प्रक्रिया में लोगों के बारे में जुटाई गई जानकारी को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है.
यहां तक कि ये जानकारी न्यायालयों के कानून तक भी सुलभ नहीं होगी. यहां क्षेत्र का काम खत्म होने के बाद, प्रपत्रों को देश भर के 15 शहरों में स्थित डाटा प्रोसेसिंग केंद्रों तक पहुंचाया जाता है. ये डेटा प्रोसेसिंग परिष्कृत इंटेलीजेंट कैरेक्टर रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर (ICR) के इस्तेमाल से की जाती है. इस प्रौद्योगिकी का भारत में 2001 की जनगणना में पहली बार इस्तेमाल किया गया था जो दुनिया भर में सेंसस के लिए बेंचमार्क बन गया है. इस तकनीक के जरिये तेज गति से जनगणना प्रपत्रों की स्कैनिंग और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का उपयोग करके डेटा को स्वचालित रूप से निकालना शामिल है. इस क्रांतिकारी तकनीक ने बहुत ही कम समय में स्वैच्छिक डेटा के प्रसंस्करण को सक्षम किया है और बड़ी मात्रा में मैनुअल श्रम और लागत की बचत की है.