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कौन हैं दलवीर भंडारी, जिन्होंने लहराया भारत का परचम

aajtak.in
  • 21 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:57 AM IST
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नीदरलैंड के हेग स्थ‍ित अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारतीय जज दलवीर भंडारी जज चुन लिए गए हैं. भंडारी को दूसरी बार चुना गया है. जस्टिस दलवीर भंडारी को जनरल एसेंबली में 183 मत मिले. बता दें, उनके मुकाबला ब्रिटेन के उम्मीदवार जस्टिस क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था. ग्रीनवुड ने अपनी दावेदारी वापस ले ली, इस वजह से भंडारी चुन लिए गए.  आइए जानते हैं कौन है दलवीर भंडारी और उनसे जुड़ी कई अहम बातें...

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11वें मुकाबले तक जस्टिस दलबीर भंडारी जनरल एसेंबली में तो आगे थे मगर सिक्योरिटी काउंसिल में उनके पास मत कम थे, जबकि अंतरराष्ट्रीय अदालत में जज बनने के लिए सिक्यूरिटी काउंसिल और जनरल एसेंबली दोनों में जीत दर्ज करना बेहद जरूरी थी. वहीं 12वें दौर में ब्रिटेन के उम्मीदवार ग्रीनवुड मैदान से हट गए.

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अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में 15 जज चुने जाने थे, 15 में 14 जजों का चुनाव हो चुका था. 15वें जज के लिए ब्रिटेन की तरफ से ग्रीनवुड और भारत की ओर से जस्टिस भंडारी उम्मीदवार थे. जस्टिस भंडारी ने पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव मामले में भी अहम भूमिका निभाई थी.

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दलवीर भंडारी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश भी रह चुके हैं. उनका जन्म 1 अक्टूबर 1947 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था. दलवीर भंडारी के पिता और दादा राजस्थान बार एसोसिएशन के सदस्य थे. जोधपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत की.

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भंडारी अक्टूबर 2005 में मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. दलवीर भंडारी ने 19 जून 2012 को पहली बार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सदस्य की शपथ ली थी. आईसीजे से पहले भंडारी कई कोर्ट में उच्च पद पर काम कर चुके हैं. 

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बता दें कि भंडारी को पद्मभूषण से सम्मानित भी किया जा चुका है और कई सालों तक भारतीय न्याय प्रणाली का हिस्सा रहे हैं. भारत में पढ़ाई करने के बाद जस्टिस दलवीर भंडारी ने अमरीका के शिकागो स्थित नार्थ वेस्टर्न विश्वविद्यालय से कानून में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की.

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जस्टिस दलवीर भंडारी ने एक पुस्तक भी लिखी है, जिसका नाम 'ज्यूडीशियल रिफॉर्म्स: रीसेंट ग्लोबल ट्रेंड्स' है. उन्होंने कई फैसले किए, जिसके अनुसार सरकार को नीतियां बनानी पड़ी. बता दें कि उनके फैसले से देश भर में गरीबों के लिए रैन- बसैरे बनाए गए थे.

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साथ ही उनके ऐतिहासिक फैसलों में हिंदू विवाह कानून 1955, बच्चों को अनिवार्य और नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार, रैनबसेरा, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों को सरकारी राशन बढ़ाने आदि प्रमुख हैं.

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