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PHOTOS: ट्रकों के पीछे की वो शायरी, जो आपको हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देंगी

अनुज कुमार शुक्ला
  • 14 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:31 AM IST
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अगर हिंदी भाषा के कोई दीवाने हैं तो वह ट्रक ड्राइवर, तभी तो उनके ट्रकों के पीछे हिंदी में शायरी लिखी होती है. जिन्हें पढ़कर आप और हम हंस कर लोटपोट हो जाते हैं. जानें विश्व हिंदी दिवस पर ट्रक ड्राइवर का हिंदी प्रेम.


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रौबदार: इस लाइन को पढ़कर तो यही लगता है कि ट्रक मालिक रौब जमाना चाहता है. तभी तो उसने लिखवाया, 'हमारी चलती है. लोगों की जलती है.

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शायराना अंदाज:
पढ़कर समझ आता है कि इसे तो शायरी पसंद आदमी ने ही लिखवाया होगा. 'जरा कम पी मेरी रानी बहुत महंगा है ईराक का पानी.'

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पसंद-नापसंद
किसी राजनीतिक पार्टी को ट्रक मालिक पसंद करता है और किसे नहीं, ये वो इस अंदाज में कहने में यकीं रखता है.

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रोमांटिक: 'आती क्‍या खंडाला' और 'साथ मत छोड़ो साहिबा' से तो यही समझ आता है कि ये रोमांस पसंद आदमी है.

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हम में है वो बात: 'दम है तो क्रॉस कर नहीं तो बरदास्‍त कर' पढ़कर तो लगता है कि ये महाशय अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझते. 

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मजाकिया अंदाज: 'सब्‍जी के सनम' कहकर इन्‍होंने जता दिया है कि इनका अंदाज तो मजाकिया है.

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हमसे अच्‍छा कौन है?: 'ये नीम का पेड़ चन्‍दन से कम नहीं, हमारा लखनऊ लन्‍दन से कम नहीं', ये बात तो वही कह सकता है जिसे अपने लखनवी होने पर नाज हो. 

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