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एजुकेशन

भारत से पूरी अलग है पाकिस्तान में पढ़ाई, ऐसा है एजुकेशन सिस्टम

प्रियंका शर्मा
  • 18 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 6:39 PM IST
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पाकिस्तान में साक्षरता प्रतिशत करीब 50 फीसदी है और वहां पढ़ाई करवाने का तरीका भी बहुत अलग है. आइए जानते हैं पाकिस्तान में भारत से कितनी अलग पढ़ाई होती है और वहां का एजुकेशन सिस्टम कैसा होता है.

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पाकिस्तान में 6 स्तर के आधार पर पढ़ाई करवाई जाती है, जिसमें प्री-स्कूल, प्राइमरी, मिडिल, हाई, इंटरमीडिएट और यूनिवर्सिटी स्कूलिंग शामिल है. हालांकि वहां आधिकारिक तौर पर ग्रेड एक से ही पढ़ाई शुरू होती है, जबकि ग्रेड एक से पहले प्ले-ग्रुप की पढ़ाई का चलन अब बढ़ने लगता है.

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प्री-स्कूल- यह स्कूलिंग शुरू होने से पहले का स्तर है, जिसमें बच्चों को स्कूल जाने के लिए तैयार किया जाता है. इसमें 3-5 साल तक के बच्चे होते हैं, जो किंडरगार्टन तक की पढ़ाई करते हैं. हालांकि अभी इसका चलन कम है और सीधे कक्षा 1 से ही पढ़ाई शुरू होती है.

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प्राइमरी एजुकेशन- पाकिस्तान में 87 फीसदी बच्चे प्राइमरी स्कूल एजुकेशन की पढ़ाई करते हैं. प्राइमेरी एजुकेशन में ग्रेड एक से ग्रेड पांच तक पढ़ाई करवाई जाती है और इसमें पास होने के बाद मिडिल स्कूलिंग में एडमिशन लिया जाता है.

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पाकिस्तान में सिंगल-सेक्स एजुकेशन पर जोर ज्यादा दिया जाता है, यानि लड़के और लड़कियों के अलग स्कूल ज्यादा हैं.

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मिडिल एजुकेशन- ग्रेड 6 से कक्षा 8 तक की पढ़ाई मिडिल स्कूल के अधीन होती है. इसमें उर्दू, इंग्लिश, गणित, आर्ट्स, साइंस, सोशल स्टडीज, इस्लामिक स्टडीज की पढ़ाई करवाई जाती है. वहीं पंजाबी, सिंधी, पश्तो की भी पढ़ाई करवाई जाती है.

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सेकेंडरी एजुकेशन- सेकेंडरी एजुऐशन का मतलब ग्रेड 9 से 12 तक की पढ़ाई है. यहां हायर सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट के लिए 12वीं ग्रेड में परीक्षा देनी होती है और इस दौरान विद्यार्थी प्री-मेडिकल, प्री- इंजीनियरिंग, सोशल साइंस और कॉमर्स का चयन कर सकता है.

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टेरटिरी एजुकेशन- 12वीं के बाद होने वाली पढ़ाई को टेरटिरी एजुकेशन कहते हैं. जिसमें यूनिवर्सिटी की पढ़ाई करवाई जाती है. बताया जाता है कि पाकिस्तान में 8 फीसदी पाकिस्तानी ही टेरटिरी एजुकेशन ले पाते हैं और सरकार का लक्ष्य इसे 20 फीसदी करना है.

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बता दें कि पाकिस्तान में शैक्षणिक संस्थानों पर हमले भी बहुत अधिक संख्या में होते हैं. वॉशिंगटन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2000 से 2008 के बीच 82 हमले हुए जबकि 2009 से 2013 तक 642 हमले हुए हैं.

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