लैटरल एंट्री के जरिए अब सीधे तौर पर जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर नियुक्ति होगी. मोदी सरकार ने जॉइंट सेक्रेटरी के लिए 10 वैकेंसी निकाली है. इसके लिए आपको यूपीएससी के जरिए नहीं जाना होगा. इनका टर्म 3 साल का होगा और अगर अच्छा प्रदर्शन हुआ तो 5 साल तक के लिए इनकी नियुक्ति की जा सकती है. आइए पहले जानते हैं कैसे बनते हैं जॉइंट सेक्रेटरी और क्या होता है काम..
आमतौर पर जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने के बाद आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) चुने जाने वाले अधिकारियों में से की जाती है. ये पद भारत सरकार के मंत्रालयों में अहम होता है.
कैसे बनते हैं जॉइंट सेक्रेटरी- यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद जो उम्मीदवार इस पद पर आते हैं, वह आमतौर पर ऑल इंडिया सर्विस में या फिर सेंट्रल सीविस सर्विस (ग्रुप ए) में होते हैं. बता दें, जॉइंट सेक्रेटरी के पद भर्ती और प्रमोशन केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति तय करती है.
जानें जॉइंट सेक्रेटरी का इतिहास- भारतीय सरकार में जॉइंट सेक्रेटरी के पद की शुरुआत सबसे पहले 1920 के दशक में की गई थी. इस पद पर 1930 के दशक में 36 हजार रुपए का दिए जाते हैं तो फिक्स सैलरी थी.
आजादी से पहले की स्थिति- साल 1937 में भारत सरकार के सेंट्रल सेक्रेटेरिएट में सात ज्वाइंट सेक्रेटरी थे. वो सभी इंपीरियल सिविल सर्विसेज के सदस्य थे. 1946 तक ये संख्या बढ़कर 25 तक पहुंच गई थी.
जॉइंट सेक्रेटरी की अपने विंग के अधीन आने वाले सभी मुद्दों पर स्वतंत्र कार्य की जिम्मेदारी होती है.
क्या है सैलरी- सातवें वेतन आयोग के अनुसार न्यूनतम सैलरी 44200 रुपए और अधिकतम 218200 रुपए है. इस सैलरी के साथ कई सुविधाएं अलग से दी जाती हैं.
नई अधिसूचना: मोदी सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार जॉइंट सेक्रेटरी के पदों के लिए वो लोग आवेदन कर सकते हैं, जिनकी उम्र 1 जुलाई तक 40 साल हो गई है और उम्मीदवार का किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होना आवश्यक है. उम्मीदवार को किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव होना भी आवश्यक है.