NEET PG Normalization method: पोस्टग्रेजुएट सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए 11 अगस्त 2024 को नीट पीजी परीक्षा 2024 आयोजित की गई थी. परीक्षा में उपस्थित हुए करीब 2 लाख से अधिक छात्रों को अब अपने रिजल्ट (NEET PG Result 2024) का इंतजार है. परीक्षा एक से अधिक शिफ्ट (दो शिफ्ट) में हुई, इसलिए परीक्षा का परिणाम नॉर्मलाइजेशन फॉर्मले के आधार पर तैयार किया जाएगा.
एनबीईएमएस ने एम्स दिल्ली के नोटिस का हवाला देते हुए कहा है कि परीक्षा के लिए पर्सेंटाइल स्कोर नॉर्मलाइजड स्कोर है. पर्सेंटाइल स्कोर, परीक्षा में उस विशेष पर्सेंटाइल में 'बराबर या उससे कम' स्कोर पाने वाले छात्रों का प्रतिशत है. दोनों शिफ्टों से नीट पीजी 2024 के टॉपर को पर्सेंटाइल प्रक्रिया के परिणामस्वरूप 100 पर्सेंटाइल मिलेंगे. उच्चतम और निम्नतम स्कोर के बीच प्राप्त अंकों को पर्सेंटाइल में बदल दिया जाएगा. नोटिस में कहा गया है, "स्कोरिंग की इस पद्धति में, प्रत्येक पेपर में उच्चतम स्कोर (प्राप्त किए गए कच्चे स्कोर/प्रतिशत के बावजूद) 100 प्रतिशत होगा, जो यह बताया है कि 100% उम्मीदवारों ने उस शिफ्ट के उच्चतम स्कोरर/टॉपर के बराबर या उससे कम अंक प्राप्त किए हैं."
नॉर्मलाइजेशन की जरूरत क्यों होती है?
नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता कई कारणों से होती है, जिनमें शामिल हैं-
NEET PG 2024 नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला क्या है?
प्रत्येक शिफ्ट के लिए NEET PG परीक्षा परिणाम असल नंबरों और प्रतिशत के आधार पर कंपाइल्ड किए जाएंगे. इस स्कोरिंग सिस्टम में, प्रत्येक पेपर में टॉप स्कोर को असल स्कोर या प्रतिशत की परवाह किए बिना 100 पर्सेंटाइल दिया जाएगा. यह दर्शाता है कि उस शिफ्ट में अन्य सभी उम्मीदवारों ने इस टॉप स्कोरर के बराबर या उससे कम स्कोर किया है. NEET PG की फाइनल मेरिट लिस्ट और रैंकिंग असल स्कोर से प्राप्त पर्सेंटाइल स्कोर द्वारा निर्धारित की जाएगी. प्रतिशत में बराबरी की स्थिति में, पुराने उम्मीदवार को उच्च रैंक दी जाएगी. क्लस्टरिंग प्रभाव को कम करने और उम्मीदवारों के बीच बराबरी को कम करने के लिए प्रतिशत स्कोर की गणना सात दशमलव स्थानों तक की जाएगी.
पर्सेंटाइल निकालने का फॉर्मूला
उदाहरण के लिए मान लीजिए किस छात्र को नीट पीजी में सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत अंक मिले हैं और 70 फीसदी या उससे कम मार्क्स लाने वाले छात्रों की कुल संख्या 15000 है जबकि ग्रुप में कुल छात्रों की संख्या 18000 थी तो पर्सेंटाइल ऐसे निकालेंगे-100x15000/18000=83.33% (यह प्रतिशत ही उस छात्र का पर्सेंटाइल होगा जिसने 70% अंक प्राप्त किए हैं.)
बता दें कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी टाइ-ब्रेकिंग को कम करने के लिए किसी छात्र का पर्सेंटाइल स्कोर 7 डेसिमल तक निकालती है.
मान लीजिए दो शिफ्ट A और B हैं. शिफ्ट A का पेपर थोड़ा आसान है, जबकि शिफ्ट B का पेपर थोड़ा कठिन है. शिफ्ट A में औसतन उम्मीदवारों ने 150 में से 120 अंक प्राप्त किए हैं और शिफ्ट B में औसतन उम्मीदवारों ने 150 में से 100 अंक प्राप्त किए तो यहां नॉर्मलाइजेशन का उपयोग करके शिफ्ट B के उम्मीदवारों के अंकों को बढ़ाया जाएगा ताकि दोनों शिफ्टों के अंकों को एक समान पैमाने पर लाया जा सके. नॉर्मलाइजेशन के बाद, सभी उम्मीदवारों के अंक एक नए पैमाने पर तब्दील हो जाते हैं. अब, शिफ्ट A और शिफ्ट B के उम्मीदवारों के अंकों की तुलना एक ही पैमाने पर की जा सकती है.
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